यह पांच साल पहले की बात है. जब प्रणब मुखर्जी का नाम देश के 13वें राष्ट्रपति के रूप में घोषित किया गया तब कई पत्रकार उनसे प्रतिक्रिया लेने पहुंचे. इन्हीं में से एक ने सवाल किया कि वे देश के तेरहवें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं और 13 का अंक अशुभ माना जाता है तो इस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है. प्रणब मुखर्जी ने तब मुस्कुराते हुए जवाब दिया था कि भारतीय संस्कृति के अनुसार इसे अशुभ नहीं, शुभ अंक समझा जाता है. खैर राष्ट्रपति महोदय का जवाब जो भी रहा हो लेकिन इस घटना से यह बात एक बार फिर जाहिर हुई कि 13 के अशुभ होने की धारणा इतनी प्रचलित है कि मौके-बेमौके इसका जिक्र कहीं भी हो सकता है.
तेरह को लेकर दुनियाभर में तमाम तरह के वहम फैले हुए हैं. ज्यादातर पश्चिमी देशों में तेरह तारीख को पड़ने वाले शुक्रवार से लोग बुरी तरह डरते हैं. इस दिन बहुत से लोग या तो घर से बाहर नहीं निकलते या फिर कोई नया या शुभ काम करने से बचते हैं. आंकड़े बताते हैं कि 13 तारीख और शुक्रवार के संयोग के चलते हर साल अमेरिका में करीब नौ अरब डॉलर मूल्य की उत्पादकता प्रभावित होती है.

अंक तेरह से यह डर मनोविज्ञान की भाषा में थर्टीन डिजिट फोबिया या ट्रिस्काइडेकाफोबिया कहलाता है. मनोविज्ञान इसे तर्कशक्ति और सोचने की क्षमता में कमी से जोड़कर देखता है. मनोविज्ञान के अनुसार यह डर लोगों के आत्मविश्वास को कम कर देता है. तेरह तारीख को पड़ने वाले शुक्रवार को पश्चिमी देशों में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और मनोवैज्ञानिक इसके पीछे थर्टीन डिजिट फोबिया को भी एक कारण मानते हैं. उनके मुताबिक दुर्घटनाग्रस्त कारों के ड्राइवरों के अवचेतन में कहीं न कहीं उस दिन यह डर काम कर रहा होता है.
तेरह को अशुभ समझने की शुरूआत कोड ऑफ हम्मूराबी से मानी जाती है. कोड ऑफ हम्मूराबी बेबीलोन की सभ्यता में बनाए गए कानूनों का दस्तावेज है. इसमें तेरहवें क्रमांक का नियम शामिल नहीं है और इसी के चलते 13 को अशुभ मानने की धारणा को बल मिला. आम लोगों में इस वजह से प्रचार हुआ कि 13 अंक अशुभ है और प्राचीन सभ्यताएं भी इस रहस्य को जानती थीं. हालांकि इतिहासकार इस व्याख्या को नकारते हैं. उनके मुताबिक कोड ऑफ हम्मूराबी के मूल दस्तावेज नंबरिंग करके नहीं लिखे गए थे. और जब पहली बार इन दस्तावेजों का आधुनिक भाषाओं में अनुवाद हुआ उस दौरान लेखन की गलती से 13 का अंक छूट गया.
वहीं हम गणित की नजर से देखें तो शुभ-अशुभ से अलग तेरह को अपने गणितीय मान की वजह से असुविधाजनक और एक न्यूनतम उपयोगी अंक समझा जाता है. ज्यादातर वैज्ञानिक और गणितज्ञ तेरह के ठीक पहले आने वाले अंक बारह को परफेक्ट नंबर मानते हैं. प्राचीन सभ्यताओं में भी बारह के साथ कई गणितीय व्यवस्थाएं बनाई गईं. जैसे हमारे कैलेंडर में 12 महीने और दिन 12-12 घंटों के समय में बंटा हुआ है. परफेक्ट अंक का निकटतम पड़ोसी होने के बावजूद 13 एक अविभाज्य और अपरिमेय संख्या (जिसे दो संख्याओं के अनुपात में न दिखाया जा सके) है. संभव है कि कम उपयोगी होने के कारण ही धीरे-धीरे इसे अशुभ समझा जाने लगा हो.
तेरह को शैतानी अंक मानने का चलन पश्चिम के देशों में ज्यादा प्रचलित होने का कारण इसका धर्म से जुड़ा होना भी है. बाइबल में दर्ज कथा के अनुसार जीज़स क्राइस्ट हिरासत में लिए जाने से पहले एक भोज शामिल हुए थे. यहां जुडास इस्केरियट नाम का व्यक्ति भी शामिल था. जुडास इस भोज में शामिल होने वाला तेरहवां मेहमान था और कथा के मुताबिक उसने जीज़स को धोखा देकर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया था. इसके अगले दिन जीज़स को सलीब पर चढ़ा दिया गया. जीज़स क्राइस्ट का आखिरी भोज होने के चलते इस आयोजन को द लास्ट सपर कहा जाता है. द लास्ट सपर में शामिल तेरहवें धोखेबाज मेहमान की वजह से तेरह को अशुभ मानने का एक धार्मिक कारण भी लोगों को मिल गया.
बाइबल की इस कथा से मिलती-जुलती एक और पौराणिक कथा तेरह को बुरा अंक करार देती है. नॉर्स (उत्तरी जर्मनी में प्रचलित) पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवताओं के लिए भोज आयोजित किया गया था. इसमें गॉड लोकी तेरहवें मेहमान के रूप में शामिल हुए. लोकी बुराई और अंधेरे के देवता माने जाते थे और उन्होंने इस आयोजन के दौरान सभी 12 देवताओं की हत्या कर दी थी. कहा जाता है कि इस घटना के जरिए बुराई और अशांति पहली बार अस्तित्व में आए थे, और हो सकता है 13 को अशुभ मानने का चलन भी.
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