नीतू कुमार
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अगर मां और दीदी ने मुझे वक्त रहते बताया होता तो मैं एक पूरी रात ये न सोचती कि मैं मरने वाली हूं
बचपन से जुड़ी वे यादें जो न होतीं तो जैसे हम हैं शायद वैसे न होते
नीतू कुमार
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क्यों राष्ट्रीय राजधानी की इस युवा महिला को स्वच्छ भारत अभियान एक नौटंकी लगने लगा है
रेल संग्रहालय में जो देखा उस पैमाने पर अगर स्वच्छता अभियान को तौला जाए तो पूरा मिशन एक छलावा लगने लगता है.
नीतू कुमार