प्रियदर्शन
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पटकथा : धूमिल की यह कविता अभी ठीक से पढ़ी जानी बाकी है
आधी सदी पहले सुदामा पांडेय यानी धूमिल ने ‘पटकथा’ नाम की वह कविता लिखी थी जिसने तार-तार होते हिंदुस्तान को इस तरह देखा जैसे पहले किसी ने नहीं देखा था
प्रियदर्शन
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न मूर्तियों से गोडसे जिंदा होंगे, न गोलियों से गांधी मर सकते हैं
गांधी को मारने वाले गोडसे की चाहे जितनी मूर्तियां बना लें, वे गोडसे में प्राण नहीं फूंक सकते. गांधी को वे चाहे जितनी गोलियां मारें, गांधी अब भी सांस लेते हैं
प्रियदर्शन
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आरके लक्ष्मण : जिनकी रेखाएं हमारे चेहरे की धूल बुहारती थीं
लक्ष्मण को जो भारत मिला, वह कई मायनों में बहुत सहनशील था. तब राजनीति और विचारधाराएं व्यंग्य का बुरा नहीं मानती थीं और कार्टूनों पर हंसने का सलीका जानती थीं
प्रियदर्शन
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मोहम्मद अली : जिनका बड़बोलापन शायद दुनिया से उनका प्रतिशोध था
मोहम्मद अली में कई चीज़ें थीं जिनसे समझदार आदमी को नाक-भौं सिकोड़नी चाहिए. लेकिन इन सभी पर वह सच्चाई भारी थी जिससे लड़ते हुए वे अपने मुकाम तक पहुंचे
प्रियदर्शन
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सोशल मीडिया पर दौड़ते ये रेडीमेड विचार हमें सिर्फ जड़ ही नहीं बना रहे हैं
इन दिनों सोशल मीडिया पर जो कुछ हो रहा है उसमें हमारी तरफ बढ़ रहे एक भयानक संकट की आहटें सुनी जा सकती हैं
प्रियदर्शन
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छह दिसंबर की कर्मकांडी याद से ज़्यादा ज़रूरी क्या है?
अगर यह जरूरी कर्म नहीं किया जाएगा तो बाबरी से दादरी तक जो सिलसिला तरह-तरह के भेस बदलता हुआ चल रहा है वह समाज को और तोड़ता और तंग करता रहेगा
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क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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जिसे हम अध्यात्म कहते हैं, उसका सही अर्थ मन्ना डे की आवाज में खुलता है
यह अनायास ही नहीं है कि हिंदी फिल्मों में दार्शनिक या सूफी आशयों वाले कुछ सबसे अच्छे गीत मन्ना डे की आवाज़ में ही हैं
प्रियदर्शन
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अभिनय का जो व्याकरण ओम पुरी ने अपने ढंग से साधा था, वह आज भी नई पीढ़ियों के काम आता है
सिनेमा जिस ओम पुरी को याद करता है, वह 70 और 80 के दशक में लरजती आंखों और खुरदरी आवाज़ वाला वह अभिनेता है जिसके बिना कई फिल्में इतनी यादगार नहीं होतीं
प्रियदर्शन
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वह अमृत कहां से आता है जो शेक्सपियर को अमर बनाता है?
शेक्सपियर को लेकर इस प्रश्न का उत्तर दुनिया चार सदी से लगातार खोज रही है और इसके इतने सारे और परस्पर अंतर्विरोधी उत्तर हैं कि हर उत्तर अधूरा लगता है
प्रियदर्शन
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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‘किताबों ने जीवन का मोल समझाया और दुनिया की व्यर्थता भी’
जिन्हें किताबें पढ़ने का शौक है वे इस अनुभव को गहराई से महसूस करेंगे और जिन्हें नहीं है उनके लिए यह किताबें पढ़ने की प्रेरणा बन सकता है
प्रियदर्शन
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दिलीप कुमार न होते तो अमिताभ, शाहरुख और आमिर भी ऐसे न होते
दिलीप कुमार ने हिंदी फिल्मों में अभिनय की सबसे मज़बूत और समृद्ध विरासत दी है.
प्रियदर्शन
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विश्व कप के फाइनल में न्यूजीलैंड ही नहीं, क्रिकेट भी हारा है
चौकों-छक्कों की संख्या के बेतुके आधार पर विश्व कप का फ़ैसला करने से बेहतर क्या यह नहीं होता कि दोनों टीमों को संयुक्त विजेता घोषित कर दिया जाता?
प्रियदर्शन
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है