राजनीति
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कांशीराम : जिन्हें समझने में अटल बिहारी वाजपेयी भी चूक गए थे
बसपा संस्थापक कांशीराम ने अपने संघर्ष से वंचितों को फ़र्श से अर्श तक पहुंचाया, लेकिन ख़ुद के लिए आरंभ से अंत तक ‘शून्य’ को प्रणाम करते रहे
दुष्यंत कुमार
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जयललिता : हार मान लेना जिनके स्वभाव में ही नहीं था
यह कहानी बताती है कि एमजीआर के निधन के बाद जयललिता किस अपमान और संघर्ष से गुजरने के बाद एआईएडीएमके का सर्वमान्य चेहरा बन सकी थीं
सत्याग्रह ब्यूरो
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क्या भाजपा अपने वैचारिक गुरू गोलवलकर की शिक्षाओं से आज उतनी ही दूर है जितनी कि कांग्रेस?
गुरू गोलवलकर का कहना था कि हमारे नेता आलोचना के इतने खिलाफ हैं, इसी से पता चल जाता है कि उनको आलोचना की जरूरत है
साक़िब सलीम
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वे कौन से छह कारण हो सकते हैं जिनके चलते दिशा रवि की गिरफ्तारी हुई होगी?
हाल में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है
रामचंद्र गुहा
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कर्पूरी ठाकुर : एक राजनीतिक योद्धा जिसने अपमान का घूंट पीकर भी बदलाव की इबारत लिखी
कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री रहते हुए ही बिहार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण लागू करने वाला देश का पहला सूबा बना था
जयंत जिज्ञासु
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सुषमा स्वराज : जिन्होंने विदेश मंत्रालय को आम आदमी से जोड़ा था
भारत में विदेश मंत्रालय के बारे में कहा जाता रहा है कि वह पीएमओ से चलता है, लेकिन सुषमा स्वराज ने इसे एक नई पहचान दी
विकास बहुगुणा
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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रिहाना के ट्वीट पर मोदी सरकार ने जो किया वह उसकी मजबूती नहीं दिखाता
रिहाना के ट्वीट पर सरकार की प्रतिक्रिया में पाखंड और बेईमानी तो थी ही, उसमें इस समझ की भी कमी थी कि किसी बात को कितना भाव दिया जाना चाहिए
रामचंद्र गुहा
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जो आम आदमी को भी दिखता है वह दिल्ली पुलिस को नज़र क्यों नहीं आता?
बीते साल हुए दिल्ली दंगों के बाद अब किसान आंदोलन में भी दिल्ली पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठ रहे हैं
अंजलि मिश्रा
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क्या संसद की कैंटीन से सब्सिडी हटने का सबसे ज्यादा नुकसान सांसदों को ही होने वाला है?
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बजट सत्र से संसद की कैंटीन को मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया है
सत्याग्रह ब्यूरो
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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क्या ‘लव जिहाद’ कानून बनाकर सरकारें खुद को खाप पंचायतों में तब्दील कर रही हैं?
भाजपा शासित राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की होड़ दिख रही है जिन्हें लव जिहाद कानून कहा जा रहा है
विकास बहुगुणा
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क्या सरकार का यह कहना सही है कि एमएसपी की गारंटी 17 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष का खर्चा है
मोदी सरकार का कहना है कि उसके लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर 17 लाख करोड़ रुपयों का बोझ पड़ेगा
सत्याग्रह ब्यूरो
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सुरक्षा बलों की सफलताओं के बावजूद कश्मीर में मिलिटेंसी घटने के बजाय बढ़ क्यों रही है?
2014 से 2016 के बीच हर साल मिलिटेंसी का हिस्सा बनने वाले कश्मीरी युवाओं की संख्या कभी भी 90 से ऊपर नहीं गई थी, लेकिन बीते साल यह आंकड़ा दोगुना हो गया.
सुहैल ए शाह
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है