चुनिंदा
-
रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
एक अंग्रेज अफ़सर ने लक्ष्मीबाई के बारे में लिखा था, 'हमारी किस्मत अच्छी थी कि उसके पास उसी के जैसे आदमी नहीं थे’
पुलकित भारद्वाज
-
किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
भारत के धर्म, इतिहास और साहित्य में हर जगह फलों का राजा आम अपने अलग-अलग अंदाज में मौजूद दिखता है
गोविंद पंत राजू
-
दुनिया का दम निकालने वाले कोरोना संकट ने धनकुबेरों के भंडार में इस कदर बढ़ोतरी कैसे कर दी?
कोरोना वायरस से उपजे संकट ने एक ओर दसियों करोड़ लोगों की नौकरी खा ली तो दूसरी तरफ मुट्ठी भर अरबपतियों की दौलत ने इस दौरान नई ऊंचाई छू ली
विकास बहुगुणा
-
वे कौन से छह कारण हो सकते हैं जिनके चलते दिशा रवि की गिरफ्तारी हुई होगी?
हाल में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है
रामचंद्र गुहा
-
सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
उत्तर प्रदेश में गायों की वजह से कई किसानों की आमदनी घट रही है, खर्चा और मुसीबतें बढ़ रहीं हैं और वे खेती तक छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं
अभय शर्मा
-
इस आपदा में हमारे लिए छह मोर्चों पर सुधरने का अवसर छिपा है
कॉरपोरेट के प्रति मैत्री भाव रखने वाले लोग यह तर्क देंगे कि पर्यावरण संरक्षण अमीर देशों का शगल है लेकिन इस मामले में हमें उनसे ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है
रामचंद्र गुहा
क्विज
-
क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
-
क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
-
क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
-
इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
-
क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
-
क्यों सरकार का यह कहना सही नहीं है कि पेट्रोल-डीजल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार तय करता है
जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 और 3.56 रु प्रति लीटर हुआ करती थी. आज यह आंकड़ा 32.98 और 31.83 हो चुका है
विकास बहुगुणा
-
रिहाना के ट्वीट पर मोदी सरकार ने जो किया वह उसकी मजबूती नहीं दिखाता
रिहाना के ट्वीट पर सरकार की प्रतिक्रिया में पाखंड और बेईमानी तो थी ही, उसमें इस समझ की भी कमी थी कि किसी बात को कितना भाव दिया जाना चाहिए
रामचंद्र गुहा
-
जो आम आदमी को भी दिखता है वह दिल्ली पुलिस को नज़र क्यों नहीं आता?
बीते साल हुए दिल्ली दंगों के बाद अब किसान आंदोलन में भी दिल्ली पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठ रहे हैं
अंजलि मिश्रा
समाज और संस्कृति
-
जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
-
रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
-
किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
-
क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
-
कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
-
कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
किसान आंदोलन में शामिल महिलाओं को लगता है कि इसमें उनकी हिस्सेदारी पूरे समाज को छुएगी और उसे थोड़ा ही सही लेकिन हमेशा के लिए बदल डालेगी
प्रदीपिका सारस्वत
-
क्या व्हाट्सएप से हो रहा पलायन पूरी तरह से संभव है?
व्हाट्सएप की नई यूजर पॉलिसी के चलते भारत में भी दसियों लाख लोग दूसरे मैसेंजिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने लगे हैं
अंजलि मिश्रा
-
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट का रुख उस धारणा को मजबूती देता दिखता है कि वह सरकार के साथ खड़ा है
कई लोग मानते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता वह सबसे जरूरी मुद्दा है जिस पर तुरंत और सबसे ज्यादा ध्यान दिये जाने की जरूरत है
विकास बहुगुणा
विशेष रिपोर्ट
-
सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
-
कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
-
हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
-
क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
-
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है