प्रिय-अप्रिय
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सोशल मीडिया पर दौड़ते ये रेडीमेड विचार हमें सिर्फ जड़ ही नहीं बना रहे हैं
इन दिनों सोशल मीडिया पर जो कुछ हो रहा है उसमें हमारी तरफ बढ़ रहे एक भयानक संकट की आहटें सुनी जा सकती हैं
प्रियदर्शन
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छह दिसंबर की कर्मकांडी याद से ज़्यादा ज़रूरी क्या है?
अगर यह जरूरी कर्म नहीं किया जाएगा तो बाबरी से दादरी तक जो सिलसिला तरह-तरह के भेस बदलता हुआ चल रहा है वह समाज को और तोड़ता और तंग करता रहेगा
प्रियदर्शन
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हम एक बहुत बोलने और बहुत कम विचार करने वाला समाज बन रहे हैं
हमारी असंवेदनशील भाषा में सबकुछ एक ‘कांड’ है - तंदूर कांड, निठारी कांड, कठुआ कांड, अलीगढ़ कांड. ये कांड आते-जाते रहते हैं और हम बहस का कारोबार चलाते रहते हैं
प्रियदर्शन
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सड़क हादसों में हर साल डेढ़ लाख लोगों के मरने का सवाल कभी राजनीतिक मुद्दा क्यों नहीं बनता?
क्या इसके पीछे कोई नियतिवादी मनोविज्ञान है? क्या बहुत असुरक्षित ज़िंदगी जीने वाला आम हिंदुस्तानी सड़क हादसों को इत्तिफाक मान कर संतोष कर लेता है?
प्रियदर्शन
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समाज सिर्फ सिक्योरिटी गार्ड और पुलिस के भरोसे नहीं चल सकता, आपसी भागीदारी भी बढ़ानी पड़ती है
नोएडा की महागुन सोसाइटी में बीते दिनों जो कुछ घटा उसे एक बस्ती के लोगों का हिंसक व्यवहार कहकर नहीं समेटा जा सकता
प्रियदर्शन
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अगर ट्रंप या नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री मोदी के सिर पर छतरी लगाई होती
हमें वह परदा हटाकर देखने की जरूरत है जिसमें खबरों की जगह सिर्फ दृश्य और अतिरेक से भरी व्याख्याएं हैं
प्रियदर्शन
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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प्रधानमंत्री की लिखी किताब को कैसे पढ़ा जाना चाहिए?
तनाव कम करने के नुस्खे बताने वाले बहुत सारे जानकार हैं. क्या पूरे देश का दायित्व संभालने वाले व्यक्ति को पूरी शिक्षा पद्धति पर विचार नहीं करना चाहिए?
प्रियदर्शन
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मजीठिया आयोग की सिफारिशों पर जो हो रहा है वह त्रासदी का सिर्फ एक सिरा है
यह एक बड़ी त्रासदी है जिसे पूंजी की नई दुनिया अवसरों और चुनौतियों की चमकीली पन्नी में लपेट कर पेश कर रही है
प्रियदर्शन
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शाह क्या जाने गांधी का सौदा
बापू नाम के बनिए को कैसे सौदे पसंद थे? इसका एक जवाब गणित की पढ़ाई को लेकर उनकी एक राय से मिलता है
प्रियदर्शन
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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यह संसद नहीं, पूरे लोकतंत्र की अवमानना है
एक सांसद के आपराधिक व्यवहार का बचाव करने वाली संसद से हम कैसे यह उम्मीद करें कि वह हमारे बिल्कुल बुनियादी अधिकारों की भी रक्षा कर पाएगी?
प्रियदर्शन
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इस तरह आप पूरे देश को एक बूचड़खाना तो नहीं बना रहे?
बूचड़खाने सहित जो कुछ भी अवैध है उस पर कार्रवाई होनी चाहिए वाले तर्क पर चलें तो आधे से ज़्यादा देश उजाड़ना होगा. लेकिन तर्क यह भी नहीं है कि सब ऐसे ही चलता रहे
प्रियदर्शन
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सरकारी संरक्षण के भरोसे के साथ ऐसी कई सेनाएं पूरे देश में डंडे लिए तैयार बैठी हैं
नफ़रत और हिंसा की घुट्टी पिला-पिला कर तैयार किया गया एक तबका राजनीति, विचारधारा, इतिहास, देश- सब कुछ पर अपने कुछ बने-बनाए पूर्वग्रहों की रक्षा में जुटा है
प्रियदर्शन
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है