भाजपा सरकार के दो मंत्री मेनका गांधी (महिला एवं बाल विकास मंत्री) और प्रकाश जावड़ेकर (पर्यावरण मंत्री) आमने-सामने आ गए हैं. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय राज्यों को हर साल खेती और पर्यटन को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों को मारने की इजाजत देता है. मेनका गांधी जो कि जानवरों के अधिकारों के लिए अभियान चलाने के लिए जानी जाती हैं इस फैसले से काफी नाराज हैं. आज उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय पर बिहार में नीलगायों को मारने का आरोप लगाते हुए कहा कि जानवरों को मारने की यह हवस उनकी समझ के बाहर है. वहीं इस बारे पर्यावरण मंत्री ने स्पष्टीकरण दिया है कि उन्होंने जानवरों को मारे जाने की अनुमति राज्य सरकारों की अपील के चलते दी है. हालांकि दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे का नाम लेकर कोई सीधा बयान नहीं दिया है लेकिन सोशल मीडिया पर इस खबर को इन दोनों के बीच भिड़ंत की तरह पेश किया जा रहा है. यहां इस मुद्दे पर चुटकी लेते हुए पूछा गया है कि मारने से पहले सरकार यह बताए कि नीलगाय गौमाता है या नहीं? वहीं एक प्रतिक्रिया में मेनका गांधी को सलाह दी गई है कि उन्हें इस मुद्दे पर फिक्र नहीं करनी चाहिए क्योंकि नीलगाय के मरने से दंगे नहीं होते.

केरल की नवनिर्वाचित सरकार के खेलमंत्री ईपी जयराजन एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने उनपर अपना अपमान करने का आरोप लगाया है. अंजू केरल खेल परिषद की अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने बताया है कि हाल ही में जब वे खेलमंत्री से मिलने पहुंची तो जयराजन ने कहा कि उनकी नियुक्ति पिछली सरकार ने की है इसलिए वे विरोधी पार्टी की सदस्य हैं और खेल परिषद जो भी नियुक्तियां और तबादले कर रही है वे सब गैरकानूनी हैं. इसके साथ ही अंजू ने खेलमंत्री पर उन्हें परेशान करने और धमकी देने का आरोप भी लगाया है. सोशल मीडिया पर यह मसला आज खूब सुर्खियां बटोर रहा है.
ईपी जयराजन वही मंंत्री हैं जिन्होंने बीते हफ्ते बॉक्सर मोहम्मद अली को केरल का खिलाड़ी बता दिया था. सोशल मीडिया में लोगों ने खेलमंत्री पर तंज करते हुए कहा कि वे जिसे नहीं जानते उसे केरल की शान बता देते हैं और जिसे जानते हैं उसे दूसरी पार्टी का बता देते हैं.
मुंबई से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र ‘मिड-डे’ ने आज तहलका के पूर्व-संपादक तरुण तेजपाल पर एक आलेख प्रकाशित किया है. 2013 में तेजपाल पर उनकी एक सहकर्मी ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे. यह मामला फिलहाल अदालत में चल रहा है. मिड-डे ने अपने आलेख में इसी मामले का जिक्र करते हुए कहा है कि तेजपाल से भारीभूल हुई है, लेकिन लोगों को उदारवादी नजरिया अपनाते हुए उन्हें दूसरा मौका देना चाहिए. सोशल मीडिया पर मिड-डे का यह आलेख चर्चा में हैं. लोगों ने मिड-डे से अपील की है कि वह एक और आलेख प्रकाशित करके यह समझाए कि नजरिये को अमानवीय तरीके से उदारवादी कैसे बनाया जाए. सोशल मीडिया पर आज ट्रेंडिंग लिस्ट में तरुण तेजपाल दिखाई दिए लेकिन इस बहाने उनसे ज्यादा मिड-डे को निशाना बनाया जा रहा है.
विजय कुमार | fb/vijay.hariom.kumar
गाय को मां मानने वाले नीलगाय को मां नहीं तो सौतेली मां बना लो, शायद इससे उसकी भी जान बच जाए.
आशुतोष कुमार | fb/ashutosh.kumar3
न्यूज चैनल वाले भी गजब हैं, बिहार में नीलगाय की हत्या पर सवाल उठा रहे हैं. यहां इंसान को कोई पूछ नहीं रहा और ये नीलगाय के पीछे भाग रहे हैं.
इंडियन हिस्ट्री पिक्स | @IndiaHistorypic
13 अक्टूबर 1949 : प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू वाशिंगटन में हाऊस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स को संबोधित करते हुए.
October 13, 1949 :: PM Jawaharlal Nehru Addressing The U.S. House of Representatives in Washington pic.twitter.com/EUsoMARmSx
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) June 8, 2016
श्री श्री श्री मगल | @jhunjhunwala
प्रकाश जावड़ेकर को बताया जाए कि नीलगाय भी एक तरह की गाय ही है. इसके बाद बाद वे खुद मेनका गांधी के चरण छूकर उनसे माफ़ी मागेंगे.
पशु संरक्षण और उस पर मेनका गांधी की चिंता में उतना ही अंतर है जितना गाय और नीलगाय में!
नीलगाय और बंदरों को लेकर मेनका गांधी की राय गलत है. पर्यावरण संरक्षण के नाम पर इस तरह बिना सोच की सक्रियता उन्हें बदनाम कर सकती है.
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