बीते दिनों मेघालय की राजधानी शिलांग में प्रधानमंत्री के पीने के पानी को लेकर खूब हायतौबा मची. सुनी-सुनाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक खास ब्रांड का बोतलबंद पानी ही पीते हैं. यह ब्रांड है हिमालया. कुछ दिनों पहले वे मेघालय के दौरे पर थे. इस दौरे में उन्हें शिलांग में स्थित राजभवन भी जाना था. राजभवन में जिन लोगों पर प्रधानमंत्री के आने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी थी, उन्हें आखिरी वक्त में जाकर पता लगा कि नरेंद्र मोदी तो सिर्फ हिमालया ब्रांड का ही पानी पीते हैं.

अब लोग-बाग पूछ सकते हैं, इसमें हायतौबा की क्या बात है. सुनी-सुनाई यह है कि राजभवन तो छोड़िये पूरे शिलांग में ही इस ब्रांड का पानी उपलब्ध नहीं था. इसके बाद अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे. उन्हें यह जानकारी प्रधानमंत्री के राजभवन पहुंचने से तकरीबन 12 घंटे पहले ही मिली थी. अब सिर्फ एक ही उपाय था - पानी को गुवाहाटी से मंगवाया जाए. लेकिन वहां से सड़क मार्ग से शिलांग पहुंचने में दस घंटे लगते हैं. ऐसे में यह सुनिश्चित किया गया कि पानी लेकर कोई गाड़ी फटाफट गुवाहाटी से शिलांग रवाना हो. यह गाड़ी जब तक शिलांग नहीं पहुंची तब तक अधिकारियों की सांस फूलती रही. उनकी जान में तब जान आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजभवन पहुंचने से कुछ ही पहले गुवाहाटी से चला पानी शिलांग पहुंच गया.

मुलाकातियों से मुश्किल से अपनी रक्षा कर पा रहे हैं देश के रक्षा मंत्री

सुनी-सुनाई यह है कि देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर अपने मुलाकातियों को लेकर बड़ी सतर्कता बरत रहे हैं. उनके मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो पिछले कुछ सालों में रक्षा मंत्रालय पर लगे तरह के आरोपों की वजह से रक्षा मंत्री ऐसा कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि अगर वे किसी ऐसे व्यक्ति से मिले जिसका नाम आने वाले दिनों में किसी घपले-घोटाले में आए तो उनके लिए मुश्किल हो सकती है. इसलिए जो अधिकारी उनसे मिलने वालों को समय देते हैं, उन्हें मंत्री जी की तरफ से साफ कहा गया है कि वे खूब जांच-परख कर ही ऐसा करें.

लेकिन मिलने वाले भी इतनी आसानी से कहां मानने हैं. वे रक्षा मंत्री से मिलने के लिए तरह-तरह की जुगत भिड़ाते रहते हैं. सुनी-सुनाई यह है कि रक्षा क्षेत्र से संबंधित कारोबार में सक्रिय कई कारोबारी तो रक्षा मंत्री से मिलने के लिए देश के बाहर होने वाले उन कार्यक्रमों तक में चले जाते हैं जिनमें मनोहर पर्रिकर को बोलना होता है. बीते दिनों सिंगापुर के एक कार्यक्रम में मंत्री जी वक्ता के तौर पर गए थे. जो लोग उनसे रक्षा मंत्रालय में नहीं मिल पा रहे हैं, उनमें से कुछ वहां भी पहुंच गए.

बड़े-बड़ों के छक्के छुड़ा दिये इस बार के राज्यसभा चुनावों ने

राज्यसभा चुनावों को लेकर ऐसा माहौल बना कि जिन लोगों की जीत सुनिश्चित थी, वे भी खासे परेशान ही रहे. परेशान होने वालों में बड़े-बड़े दिग्गजों के नाम भी शामिल थे. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश भी थे. सुनी-सुनाई यह है कि जिस दिन उनकी राज्यसभा सीट के लिए कर्नाटक में चुनाव हो रहे थे तो मतदान के दौरान ऐसा मौका भी आया जब वे बड़े परेशान देखे गए.

दरअसल, हुआ यह कि जयराम रमेश की राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस ने विधायकों का जो कोटा उन्हें आवंटित किया था, उसमें से एक विधायक बीमार थे. जब वे वोट डालने पहुंचे तो उन्होंने चुनाव अधिकारी को बताया कि उन्हें वोट डालने के लिए एक सहयोगी की जरूरत पड़ेगी. इस पर एचडी देवगौड़ा की जनता दल सेकुलर के प्रतिनिधि ने आपत्ति जताते हुए उनसे मेडिकल सर्टिफिकेट मांग लिया. जयराम रमेश की परेशानी उस वक्त और बढ़ गई जब जेडीएस प्रतिनिधि ने संबंधित विधायक द्वारा दिए गए मेडिकल सर्टिफिकेट पर भी आपत्ति जता दी. इसके बाद चुनाव आयोग के अधिकारी हरकत में आए और इस बारे में राय-मशविरा शुरू किया. इस बीच जब राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जयराम के पक्ष में अपना वोट डाल दिया तब जाकर जयराम रमेश ने चैन की सांस ली.