आज सूचना का अधिकार यानी आरटीआई के दौर में बड़े से बड़े अधिकारी की सैलरी, संपत्ति और आमदनी जानने का हक तो हमें मिल गया है लेकिन, किसी पुरुष की सैलरी पूछना अभी-भी असभ्यता की निशानी है. ठीक वैसे ही जैसे किसी महिला से उसकी उम्र पूछना. महिलाओं से उम्र पूछने के बारे में तो 19वीं सदी के प्रसिद्ध आयरिश लेखक ऑस्कर वाइल्ड यहां तक कह चुके हैं, ‘किसी महिला द्वारा बताई गई उसकी उम्र पर कभी भरोसा मत करो.’ आज के ज्यादातर लोग इस बात से सहमत होंगे. इसकी पर्याप्त वजह भी है क्योंकि आधुनिक सभ्यता में महिलाओं से उनकी उम्र पूछने को ही असभ्यता की निशानी बना दिया गया है.

ऐसे में सवाल उठता है कि पुरुषों से उनकी सैलरी और महिलाओं से उनकी उम्र क्यों नहीं पूछी जानी चाहिए?

यह बड़ी दिलचस्प बात है कि पूरी दुनिया में भाषा, वेशभूषा, खान-पान आदि के मामले में जबरदस्त भिन्नता है लेकिन पुरुषों से सैलरी और महिलाओं से उम्र न पूछने के मामले में पूरी दुनिया एकमत है. गूगल पर अलग-अलग संस्कृति और समुदाय के लोगों ने इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की है पर कोई भी मुकम्मल जवाब देता हुआ पेज नजर नहीं आता.

सफलता के साथ-साथ सभी समाजों में प्रतिभा को भी सैलरी से जोड़कर देखा जाता है. आपकी जितनी ज्यादा सैलरी है आप उतने ही प्रतिभावान हैं

यदि हम सामान्य समझ लगाएं तो पुरुषों से सैलरी और महिलाओं से उनकी उम्र न पूछे जाने के पीछे कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण नजर आते हैं. यह महज इत्तेफाक नहीं है कि सवाल में पुरुषों की उम्र और महिलाओं की सैलरी की बात नहीं की गई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि समाज में पुरुष की कमाई का महत्व है उसकी उम्र का नहीं और महिलाओं के मामले में काबिलियत पर उनकी उम्र और सुंदरता को ज्यादा तवज्जो दी जाती है.

पारंपरिक समाज में महिला और पुरुष दोनों की भूमिका निश्चित होती है. पुरुष से घर खर्च और परिवार की सुरक्षा की अपेक्षा की जाती है. महिला से सुंदर, संवेदनशील और वंश बढ़ाने में सक्षम होने की अपेक्षा होती है. पुरुष खुद से की गई अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए कड़ी मेहनत करता है. ऐसे में पुरुष से उसकी सैलरी पूछना उसकी मेहनत और प्रयासों पर सवाल खड़े करने जैसा है और यह किसी भी पुरुष को स्वीकार्य नहीं होगा. दूसरी तरफ महिला की सुंदरता और सृजन क्षमता सीधे तौर पर उसकी उम्र से जुड़ी होती है. ऐसे में महिला से उम्र पूछने का मतलब उसे उम्र से जुड़ी चिंताओं में धकेलने जैसा है.

समाज में पुरुषों की सफलता का पैमाना उनकी सैलरी है. जिसकी जितनी ज्यादा सैलरी वह उतना ज्यादा सफल. यह भी एक वजह है कि ज्यादातर लड़कियां ज्यादा सैलरी वाले लड़कों से शादी करना चाहती हैं. ठीक इसी तरह आमतौर पर लड़के ज्यादा सुंदर लड़कियों से शादी करना चाहते हैं. लड़कियों के लिए उनकी खूबसूरती उनके जीवन की सफलता का एक बड़ा पैमाना मानी जाती है.

मोटेतौर पर सभी समाजों में एक युवा और खूबसूरत लड़की को ज्यादा तवज्जो मिलती है. युवा होना तो उम्र का पैमाना ही है वहीं खूबसूरती का इससे सीधा संबंध है

सफलता के साथ-साथ सभी समाजों में प्रतिभा को भी सैलरी से जोड़कर देखा जाता है. आपकी जितनी ज्यादा सैलरी है आप उतने ही प्रतिभावान हैं. इस तरह किसी पुरुष से सैलरी पूछना उसकी प्रतिभा का हिसाब लेने जैसा है. पुरुषों से सैलरी पूछने वाले को यह आकलन करने की एक बुनियाद मिल जाती है कि वह कितना सफल, समर्थ और प्रतिभावान है. जाहिर सी बात है कि किसी भी इंसान के लिए अपनी समर्थता और सफलता के मूल्यांलन का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति देना, स्वाभिमान पर चोट करने जैसा होगा. इसके अलावा ज्यादातर समाजों में पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का मूल्यांकन करने का पूरा दायित्व हमेशा से पुरुषों पर रहा है. ऐसे में उनका मूल्यांकन कोई दूसरा करे, चाहे वह कोई दूसरा पुरुष ही क्यों न हो, यह बात उन्हें नागवार गुजरती है.

मोटेतौर पर सभी समाजों में एक युवा और खूबसूरत लड़की को ज्यादा तवज्जो मिलती है. युवा होना तो उम्र का पैमाना ही है वहीं खूबसूरती का इससे सीधा संबंध है. कम उम्र की सुंदर लड़कियों को तकरीबन हर जगह वरीयता मिलती है, फिर चाहे वह शादी का मामला या नौकरी का. इस कारण लड़कियां अपनी उम्र छिपाकर समाज में अपनी पूछ और मांग को बनाए रखना चाहती हैं.

दरअसल लड़कियों की उम्र का सीधा संबंध उनके सामाजिक अस्तित्व से है. बचपन में कोई लड़कियों को ज्यादा नहीं पूछता (हालांकि कुछ लड़कियां इसका अपवाद हो सकती हैं) और अधेड़ होने पर उनकी पूछ-परख और कम हो जाती है. एक खास उम्र की लड़कियों को ही समाज सबसे ज्यादा चाहता है. इस कारण महिलाएं अपनी उम्र छिपाकर उस आयुवर्ग में लंबे समय तक बने रहना चाहती हैं जहां उनकी सबसे ज्यादा पूछ है.

अक्सर ही कहा जाता है कि ‘महिलाएं समय के साथ बूढ़ी होती हैं जबकि पुरुष समय के साथ उत्कृष्ट.’ समय के साथ पुरुषों की महत्ता बढ़ने का सीधा संबंध उसकी सैलरी से है क्योंकि समय के साथ उसमें इजाफा होता जाता है

अक्सर ही कहा जाता है कि ‘महिलाएं समय के साथ बूढ़ी होती हैं जबकि पुरुष समय के साथ उत्कृष्ट.’ समय के साथ पुरुषों की महत्ता बढ़ने का सीधा संबंध उसकी सैलरी से है क्योंकि समय के साथ उसमें इजाफा होता जाता है.

कुल मिलाकर समाज में पुरुष का गौरव और प्रतिष्ठा उसकी सैलरी से जुड़ी है और महिला का उसकी सुंदरता यानी उम्र से. ऐसे में यह बिल्कुल आम बात है कि कोई भी किसी को अपनी प्रतिष्ठा से जुड़ी चीज पर सवाल करने का हक देना नहीं चाहता.

हालांकि बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाओं से उम्र और पुरुषों से सैलरी न पूछने का चलन कई कारणों से धीरे-धीरे ही सही खत्म भी हो रहा है. इसका एक कारण यह है कि तमाम तरह के आर्थिक दबावों के चलते लड़के चाहते हैं कि वे लड़की को अपनी सैलरी बता दें, ताकि कल को यह मुद्दा न बने कि सैलरी घर की जरूरतें पूरी करने के हिसाब से कम है. अब वह वक्त बीत चुका जब पत्नियां कितनी भी कम सैलरी में गुजारा कर लेती थीं.

दूसरी वजह यह है कि अब नई पीढ़ी के एक छोटे से वर्ग में यह सोच भी जगह बना रही है कि रचनात्मकता और सफलता का सैलरी से कोई संबंध नहीं है. ठीक वैसे ही जैसे नंबरों का इंटेलिजेंट होने से ज्यादा लेना-देना नहीं है.

इसके साथ ही आजकल महिलाओं की शिक्षा और नौकरी के चलते सिर्फ सुंदरता से ही पहचान बनने का दौर खत्म हो रहा है. अपनी काबिलियत, हुनर और आर्थिक आजादी के चलते अब महिलाएं ज्यादा उम्र और कम सुंदरता के साथ भी समाज में अपनी पूछ और पहचान बनाए हुए हैं. अब समाज में ऐसी महिलाओं और पुरुषों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें अपनी सही उम्र और सैलरी बताने से कोई गुरेज नहीं है.