सेंसर बोर्ड एक बार फिर विवादों में है. इस बार वजह प्रकाश झा की नई फिल्म ‘लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का’ है. इसे सेंसर बोर्ड ने जरूरत से ज्यादा महिला केंद्रित और जीवन से परे कल्पनाओं पर आधारित बताकर सर्टिफिकेट जारी करने मना कर दिया है. इसके बाद निशाने पर आए सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने आलोचनाओं का जवाब दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि लोगों को फिल्मों की प्रमाणन प्रक्रिया की जानकारी नहीं है और सेंसर बोर्ड मीडिया या सोशल मीडिया के दबाव में काम नहीं कर सकता.
पहलाज निहलानी ने आगे कहा, ‘सेंसर बोर्ड सालाना 2500 फिल्मों को सर्टिफिकेट जारी करता है. अगर 2500 फिल्मों में से किसी एक फिल्म को मंजूरी नहीं मिलती है तो यह कोई मुद्दा नहीं है.’ उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई फिल्म यू, यू/ए और ए रेटिंग के दायरे में नहीं आती तो उसे सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता. अपने आलोचकों का जवाब देते हुए पहलाज निहलानी ने कहा, ‘लोगों की असल परेशानी यह है कि अब वे पैसे देकर फिल्मों को सेंसर बोर्ड से पास नहीं करा सकते.’ इससे पहले फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने इस विवाद पर पहलाज निहलानी को फिल्म उद्योग के लिए बड़ा खतरा बताया था.
The real problem people have is that now they cannot get their films passed by paying money :Pahlaj Nihalani #LipstickUnderMyBurkha pic.twitter.com/KRfDIqLRjS
— ANI (@ANI_news) February 25, 2017
पहलाज निहलानी के मुताबिक उन्हें फिल्म के शीर्षक में बुर्का शब्द से नहीं, बल्कि कंटेंट को लेकर दिक्कत है. उन्होंने यह भी कहा कि ‘लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का’ के निर्माताओं के पास फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल (एफकैट) और अदालत जाने का मौका है. इस फिल्म का निर्देशन अलंकृता श्रीवास्तव ने किया है. इसे मुंबई फिल्म फेस्टिवल में ऑक्सफैम अवॉर्ड और टोक्यो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में द स्पिरिट ऑफ एशिया अवॉर्ड मिल चुका है.
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