सीआईए हैकर को अपना सिर दीवार पर मारने के लिए मजबूर कैसे किया जाए? उसे चीनी भाषा दिखाइए. सीआईए पर विकीलीक्स के ताजा खुलासे के बाद यह साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक हेडलाइन है. इस खुलासे के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए आपके कंप्यूटर में ही नहीं, बल्कि आपके फोन, टीवी और हर उस उपकरण में सेंध लगा सकती है जो इंटरनेट से जुड़ा हुआ है.
विकीलीक्स ने जो फाइलें सार्वजनिक की हैं उनमें एक छोटा सा लेकिन अहम किस्सा यह भी है जब एक चीनी सिस्टम में सेंध लगाने या कहें कि उसे हैक करने की कोशिश में एक सीआईए एजेंट को बहुत दिक्कत हुई. जब भी वह कंप्यूटर में अपना टेस्ट प्रोग्राम इंस्टाल करने की कोशिश करता, चीनी भाषा में एक डॉयलॉग बॉक्स खुल जाता. भाषा समझने में नाकाम एजेंट ने हर उपाय अपनाया. मसलन सिस्टम की भाषा बदलने के लिए उसके रीजन यानी इलाके की सेटिंग एक ऐसे जोन में की जहां अंग्रेजी बोली जाती है, प्रोग्राम इंस्टालर को अंग्रेजी इस्तेमाल करने के लिए बाध्य किया, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. आखिर में चीनी भाषा के जानकार एक दूसरे सीआईए एजेंट ने बॉक्स में दिख रहे शब्दों का अनुवाद किया और तब बात बन पाई.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ के मुताबिक इससे दो अहम बातें पता चलती हैं. पहली, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने भाषा के मुद्दे पर शायद ही कभी ध्यान दिया है क्योंकि सारे कोड उस सार्वभौमिक भाषा में लिखे जाते हैं जिसे कोई भी प्रोग्रामर पढ़ सकता है. लेकिन कुछ चीनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर सोर्स कोड में अपनी भाषा के कुछ शब्द भी डाल देते हैं ताकि उन्हें कोई विशेष जानकारी याद रहे और वे अपने सहयोगियों के साथ संवाद भी कर सकें. इससे विदेेशी हमलावरों के लिए अप्रत्याशित बाधाएं खड़ी हो सकती हैं. दूसरी, सीआईए ने अपने यहां चीनी भाषा के जानकार कई हैकरों को रखा है जो चीन से जुड़े खुफिया अभियानों में उसकी मदद कर रहे हैं.
इसमें दूसरी बात तो साफ ही है. लेकिन पहली बात भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए काम की हो सकती है जो अपने सिस्टम हैक नहीं करवाना चाहते. सीआईए कह रही है कि विकीलीक्स के खुलासे ने अमेरिका की आतंकवाद और दूसरे दुश्मनों से रक्षा करने की खुफिया समुदाय की क्षमता को चोट पहुंचाई है. लेकिन भारतीय साइबर सुरक्षा विशेेषज्ञ इस खुलासे से सबक ले सकते हैं. अपने कोड में यहां-वहां संस्कृत के शब्द इस्तेमाल कर वे अति गोपनीय सूचनाओं को सेंध से बचा सकते हैं. हालांकि यह उपाय तब तक ही कारगर होगा जब तक कि सीआईए डोनाल्ड ट्रंप को कुछ संस्कृत विशेषज्ञों की भर्ती के लिए नहीं मना लेती. (स्रोत)
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