ब्रिटिश संसद ने ब्रेक्जिट का रास्ता साफ किया, थेरेसा मे अब यूरोपीय संघ से बात कर पाएंगी | सोमवार, 13 मार्च 2017
ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है. सोमवार को ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स ने ब्रेक्जिट विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया. इस विधेयक को 335 सांसदों ने अपनी सहमति दी. दूसरी ओर, इसके विरोध में कुल 287 वोट पड़े. इसके बाद संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्डस में भी इसे 118 के मुकाबले 274 मतों से पारित कर दिया गया. अब महारानी एलिजाबेथ-II से मंजूरी मिलने के बाद इसे कानून का दर्जा हासिल हो जाएगा.
इससे पहले तीन नवंबर, 2016 को लंदन हाईकोर्ट ने ब्रेक्जिट के लिए संसद की अनुमति हासिल करने को जरूरी बताया था. अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि प्रधानमंत्री थेरेसा मे को यह अधिकार नहीं है कि वे संसद को दरकिनार करके लिस्बन समझौते के अनुच्छेद 50 का इस्तेमाल करें. यह अनुच्छेद यूरोपीय संघ को छोड़ने से संबंधित है. इसके बाद सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. शीर्ष अदालत ने भी याचिका को खारिज करते हुए संसद की अनुमति जरूरी बताई थी.
शंघाई सहयोग संगठन में भारत-पाकिस्तान को शामिल करने से क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ेगी : चीन | मंगलवार, 14 मार्च 2017
चीन ने छह सदस्यीय शंघायी सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत और पाकिस्तान को सदस्य बनाने की वकालत की है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक इससे दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने और आपसी मतभेदों को सुलझाने में मदद मिलेगी.
ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में कहा है कि दोनों देश एससीओ की सदस्यता पाने के लिए इसके समझौतों और संधियों का पालन करेंगे जिससे दोनों के संबंध में सुधार आएगा. लेख में कहा गया है, ‘एससीओ की सदस्यता पाने के लिए हमेशा लड़ने वाले भारत और पाकिस्तान को न केवल दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होंगे, बल्कि एससीओ के कानूनों का भी पालन करना होगा. इनमें सीमा रक्षा सहयोग समझौता भी शामिल होगा जिस पर एससीओ के सदस्य देशों ने 2015 में हस्ताक्षर किए थे.’
डोनाल्ड ट्रंप को एक और बड़ा झटका, प्रवासियों पर पाबंदी वाले दूसरे आदेश पर भी अदालत की रोक | बुधवार, 15 मार्च 2017
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मुस्लिम बहुल देशों के प्रवासियों पर पाबंदी लगाने वाला दूसरा आदेश भी अदालती दांवपेंच में उलझ चुका है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक हवाई राज्य के फेडरल जज डेरिक वाटसन ने प्रवासियों पर पाबंदी से जुड़े नए आदेश पर आपातकालीन रोक लगा दी है. फेडरल जज ने यह रोक हवाई राज्य की याचिका पर लगाई है. इसमें डोनाल्ड ट्रंप के संशोधित आदेश को अमेरिकी संविधान के खिलाफ और मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने वाला बताया गया था. हवाई की यह भी दलील थी कि ट्रंप प्रशासन के इस आदेश से उसके पर्यटन कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा. ट्रंप के संशोधित आदेश को अन्य राज्यों ने भी अदालतों में चुनौती दी है.
उधर, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल जज के इस फैसले को अपने प्रशासन को कमजोर दिखाने वाला और अदालतों की ‘अप्रत्याशित पकड़’ का उदाहरण बताया है. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो उनका प्रशासन इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएगा. कुल मिलाकर इससे यह साफ हो चुका है कि राष्ट्रपति ट्रंप का दूसरा आदेश अब कानूनी लड़ाई जीतने के बाद ही जमीन पर उतर सकता है.
पाकिस्तान में हाफिज सईद को किसी बादशाह जैसी सुरक्षा मिली हुई है! | गुरुवार, 16 मार्च 2017
पाकिस्तान में आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) का प्रमुख हाफिज सईद किसी बादशाह की तरह रहता है. उसे न सिर्फ सरकार का पूरा संरक्षण है बल्कि उसकी सुरक्षा इतनी सख्त है कि कोई उसके आसपास भी नहीं फटक सकता, उस पर हाथ डालना तो बहुत दूर की बात है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गिलगित-बाल्टिस्तान में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल हमीद खान ने संयुक्त राष्ट्र संघ महासचिव एंटोनियो गुटेरेश को लिखे पत्र में इस तरह की तमाम जानकारियां दी हैं. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड सईद के बारे में उन्होंने यह भी बताया है कि वह पाकिस्तान में सबसे सम्मानित आतंकी है और यह कोई गोपनीय तथ्य नहीं है.
अखबार के मुताबिक खान ने इस चिट्ठी में लिखा है, ‘पाकिस्तान में मदरसों, धार्मिक संगठनों और राजनीतिक दलों की आड़ में कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं. इन्हें सरकार का संरक्षण और समर्थन हासिल है. इन आतंकी संगठनों के सदस्य खुलेआम घूमते हैं. जबकि पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान (पीओजीबी) में जो भी इन संगठनों या खुफिया एजेंसी आईएसआई (इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस) का हुक्म नहीं मानते, उन्हें आतंकी बताकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है. फिर चाहे वे राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता हों, छात्र या फिर धर्मगुरु.’
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम चीन-अमेरिका के रिश्तों में भूचाल ला सकता है | शुक्रवार, 17 मार्च 2017
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ताइवान के जरिए चीन को घेरने की रणनीति पर आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ट्रंप प्रशासन अब ताइवान के साथ एक बड़ा रक्षा सौदा करने जा रहा है. इसमें उन्नत रॉकेट प्रणाली और एंटी-शिप मिसाइल जैसे हथियार शामिल हैं.
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि यह रक्षा सौदा ओबामा प्रशासन के समय प्रस्तावित सौदे से काफी बड़ा हो सकता है. बीते साल दिसंबर में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ताइवान के साथ एक अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर चल रही बातचीत रोक दी थी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद के तत्कालीन प्रवक्ता नेड प्राइस के मुताबिक ओबामा प्रशासन ने अगले प्रशासन को फैसला लेने का मौका देने के लिए इस बातचीत को रोक दिया था.
हालांकि, जानकारों का मानना है कि अगर ताइवान और अमेरिका के बीच यह रक्षा सौदा अपनी मंजिल तक पहुंचता है तो चीन और अमेरिका के रिश्तों में जबरदस्त दरार आना तय है. इसकी वजह यह है कि चीन, ताइवान को अपना स्वायत्त राज्य मानता है और इससे अलग जाते किसी भी रुख को वह बेहद गंभीरता से लेता है. दिसंबर में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन से फोन पर बात करने और वन चाइना पॉलिसी पर सवाल उठाने जैसे मौकों पर चीन की प्रतिक्रिया से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
एंजेला मर्केल के कहने के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप ने उनसे हाथ नहीं मिलाया | शनिवार, 18 मार्च 2017
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने व्यवहार से लगातार चर्चा में बने रहते हैं. ताजा मामला मीडियाकर्मियों के कहने के बावजूद उनका जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से हाथ न मिलाकर कूटनीति की स्थापित परंपरा को तोड़ने का है. कूटनीतिक शिष्टाचार के तहत जब दो राष्ट्राध्यक्ष मीडिया से मुखातिब होते हैं तो वे एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने इस शिष्टाचार को निभाना जरूरी नहीं समझा और हाथ मिलाने की राय को अनसुना कर दिया. उनके इस व्यवहार की दुनिया भर में खूब आलोचना हो रही है.
Donald J. Trump appears to ignore requests for a handshake with Angela #Merkel during their first meeting.
— The Kelves (@the_kelves) March 17, 2017
Credit: @businessinsider pic.twitter.com/Q4QZqpabJN
इस समय जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल अमेरिका के दौरे पर गई हुई हैं. व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में बैठक के बाद औपचारिक फोटो सेशन के लिए दोनों देशों के प्रमुख साथ-साथ बैठे थे. मौके पर मौजूद मीडियाकर्मियों ने बार-बार दोनों को हाथ मिलाने के लिए कहा. इस पर मर्केल ने ट्रंप से धीरे से पूछा कि क्या वे हाथ मिलाएंगे, पर डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अनसुना कर दिया. उन्होंने न तो इनकार किया और न ही मर्केल से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ ही बढ़ाया. वे सिर्फ मुस्कुराते रहे और मर्केल की तरफ देखा भी नहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस रूखे व्यवहार का असर मर्केल के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था.
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