सूत्रों के हवाले से खबरें आ रही हैं कि ई कॉमर्स कंपनी स्नैपडील के बोर्ड ने दूसरे ई कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट में विलय को मंजूरी दे ही है. कुछ समय पहले सॉफ्टबैंक ने स्नैपडील को प्रतिद्वंद्वी कंपनी फ्लिपकार्ट को बेचने के संभावित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श शुरू किया था. स्नैपडील में सॉफ्टबैंक सबसे बड़ा निवेशक है और इसमें उसकी 33 फीसदी हिस्सेदारी है. स्नैपडील के दोनों सह-संस्थापकों कुणाल बहल और रोहित बंसल के पास इसकी कुल मिलाकर 6.5 फीसदी हिस्सेदारी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि सॉफ्टबैंक इस सौदे के बाद फ्लिपकार्ट में अपनी हिस्सेदारी 20 फीसदी तक बढ़ा लेगा. बताया जा रहा है कि इसके लिए वह फ्लिपकार्ट में 50 करोड़ से एक अरब डॉलर का निवेश करने की सोच रहा है.
सूत्रों के अनुसार चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने भी स्नैपडील को खरीदने का प्रस्ताव दिया था. हालांकि उसका प्रस्ताव फ्लिपकार्ट की तुलना में बहुत कम रकम का था. विश्लेषकों का मानना है कि स्नैपडील का फ्लिपकार्ट में विलय भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर की सबसे बड़ी डील होगी. भारत के ई-कॉमर्स बाजार में फ्लिपकार्ट के अलावा अमेरिका की अमेजन और चीन की अलीबाबा (पेटीएम में सबसे बड़ी निवेशक) प्रमुख प्रतिद्वंदी हैं.
लेकिन फ्लिपकार्ट को स्नैपडील को खरीदकर क्या हासिल होगा? यह सवाल कइयों को मथ रहा है. 2015-16 में स्नैपडील का घाटा उससे पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में दोगुनी छलांग लगाते हुए 3316 करोड़ रु तक पहुंच गया था. उधर, फ्लिपकार्ट का हाल भी कोई खास अच्छा नहीं है. खबर है कि 2016 में कंपनी को रोज औसतन 14 करोड़ रु का घाटा हुआ. इसलिए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि स्नैपडील को खरीदकर फ्लिपकार्ट को क्या हासिल होगा.
जानकारों के एक वर्ग के मुताबिक इसका सबसे बड़ा कारण है सॉफ्टबैंक. जानकारों का मानना है कि निवेशकों के दबाव के चलते फंड की तंगी से जूझ रही फ्लिपकार्ट के खेमे में सॉफ्टबैंक जैसा नाम आ जाएगा. सॉफ्टबैंक ने कुछ समय पहले ऐलान किया था कि भारत के ई कॉमर्स बाजार में निवेश करने के लिए उसने करीब 100 अरब डॉलर का विजन फंड बनाया है. फ्लिपकार्ट की नजर इसी फंड के एक बड़े हिस्से पर है.
भारत के ई कॉमर्स बाजार के 2015 तक 200 अरब डॉलर से ऊपर जाने का अनुमान है. फ्लिपकार्ट के प्रतिद्वंदियों अमेजन और अलीबाबा की जेब में अभी इतना ज्यादा पैसा है कि वे लंबे समय तक घाटे में भी कंपनी चला सकते हैं. लेकिन फ्लिपकार्ट के लिए यह संभव नहीं है. ऐसा संभव हो सकता है अगर सॉफ्टबैंक इसके पाले में आ जाए. जानकारों के मुताबिक यही वजह है कि वह घाटे में चल रही स्नैपडील को खरीदने के लिए तैयार है.
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