सत्यजीत रे ने भारतीय सिनेमा का परिचय दुनिया से और दुनिया के सम्मानों का परिचय भारत से कराया
जिंदगी की फिल्म में सत्यजीत रे फिल्मकार, लेखक, संपादक, चित्रकार बनते रहे और अपनी हर भूमिका में हमेशा सर्वश्रेष्ठ रहे
बंगाली फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे चलता-फिरता फिल्म संस्थान कहे जाते थे. उन्होंने भारतीय सिनेमा का परिचय दुनिया से और दुनिया भर के सम्मानों का परिचय भारत से करवाया. देश ने उन्हें 1985 में दादा साहब फालके सम्मान दिया तो विश्व ने उन्हें 1992 में ऑस्कर लेडी से नवाजा. फिल्मों में उनके योगदान के लिए सन 1992 में उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भी दिया गया. दुनिया भर में उनकी लोकप्रियता कुछ ऐसी थी कि इससे पहले 1987 में ही वे फ्रांस के सबसे बड़े सम्मान लीज़न ऑफ ऑनर से सम्मानित किए जा चुके थे.
अपने 40 साल के फिल्मी करियर में उन्होंने 36 फिल्मों का निर्देशन किया. फीचर फिल्मों के साथ उन्होंने शॉर्ट फिल्में और डॉक्युमेंट्रीज भी बनाईं. अपनी 36 में से 21 फीचर फिल्मों के लिए उन्होंने दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के अवार्ड जीते थे. इनमें छह राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल हैं.
रे की फिल्मों ने कुल मिलाकर 32 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे. दुनिया भर में कान्स, बाफ्टा, बोडिल, वेनिस जैसे फिल्म समारोहों में उन्हें मिले सम्मानों का आंकड़ा करीब पचास तक पहुंचता है. उनकी फिल्म पाथेर पांचाली को ही अकेले 11 अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले. इनमें कांस में उसे मिले बेस्ट ह्यूमेन डॉक्युमेंट का खिताब भी शामिल है. उनकी फिल्म अपराजितो ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन लायन पुरस्कार जीता और सेन फ्रांसिस्को फिल्म फेस्टिवल में रे को अकीरा कुरोसावा लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान दिया गया.
सत्यजीत रे ने निर्देशन के साथ पटकथा, संवाद और गीत लिखने के लिए भी करीब 20 अवार्ड जीते. फिल्मों से हटकर रे, पेंटिंग और कैलिग्राफी में भी रुचि लेते थे. उन्होंने कई टाइपफेस भी बनाए थे. इनमें से रे रोमन और रे बिजार नाम के उनके दो अंग्रेजी टाइपफेसों ने 1971 में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता भी जीती. उनके सम्मानों का सिलसिला कुछ यूं था कि डीयू, बीएचयू सहित देश के सात विश्वविद्यालयों ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधियां दी थीं. 1978 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी उन्हें मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया. यह सम्मान उनसे पहले केवल चार्ली चैप्लिन को ही दिया गया था.
जिंदगी की फिल्म में सत्यजीत रे फिल्मकार, लेखक, संपादक, चित्रकार बनते रहे और अपनी हर भूमिका में हमेशा सर्वश्रेष्ठ रहे.
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