सुप्रीम कोर्ट ने केरल के लव जिहाद मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है. इंडिया टुडे के मुताबिक शीर्ष अदालत ने एनआईए को इसकी भी जांच करने का आदेश दिया है कि कहीं यह मामला आतंकी संगठन आईएस से जुड़ा तो नहीं. मामले में एक मुस्लिम युवक शफीन पर हिंदू लड़की हादिया को फुसलाकर शादी करने और जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है. बुधवार को चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा, ‘सभी लोग निष्पक्ष जांच चाहते हैं. केरल हाई कोर्ट ने भी कई गंभीर टिप्पणियां की हैं जिन पर विचार करने की जरूरत है.’ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस आरवी रविंद्रन को जांच का निगरानीकर्ता नियुक्त किया है.
इसके साथ शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि इस मामले की अंतिम सुनवाई के समय लड़की का अदालत में मौजूद रहना जरूरी है. इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने शफीन और हादिया की शादी को रद्द करते हुए इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया था. हाई कोर्ट के इसी फैसले को शफीन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में उसके पैरवीकार कपिल सिब्बल ने कहा, ‘एनआईए पहले भी कई बार अपनी बात से पलट चुकी है. ऐसे में उसकी जांच भरोसेमंद कैसे हो सकती है? लड़की को सुप्रीम कोर्ट में गवाही के लिए बुलाना ही चाहिए.’
रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला पहलू यह है कि केरल हाई कोर्ट ने हादिया की उस गवाही को नहीं माना है, जिसमें उसने आपसी रजामंदी से शादी करने और धर्म परिवर्तन के लिए उस पर कोई दवाब न होने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते केरल पुलिस को इस मामले से जुड़ी जानकारी एनआईए को सौंपने का निर्देश दिया था.
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