हाल में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में वंशवाद कई क्षेत्रों में है, इसलिए केवल उन्हीं की बात न की जाए. उन्होंने यह बात अमेरिका की कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ संवाद के दौरान वंशवाद पर किए गए एक सवाल पर कही थी.
अपने बयान में उन्होंने राजनीति से लेकर मनोरंजन जगत के उदाहरण दिए थे.

उनके बयान के बाद दो लोग निशाने पर आ गए - एक ख़ुद राहुल गांधी, और दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. राहुल गांधी इसलिए आ गए क्योंकि भाजपा सहित एक वर्ग को लगा कि उन्होंने ऐसा बयान देकर देश का अपमान किया है. और नरेंद्र मोदी इसलिए निशाने पर आ गए क्योंकि राहुल गांधी के समर्थकों को उनका निशाने पर आना अच्छा नहीं लगा.

परिणामस्वरूप, सोशल मीडिया पर ‘ईंट का जवाब पत्थर’ से देने की नीति के चलते प्रधानमंत्री के दो साल पुराने वीडियो का छोटा सा हिस्सा शेयर किया जाने लगा. कहीं सीधे, तो कहीं व्यंग्यात्मक तरीक़े से प्रचार किया गया कि देश का अपमान राहुल गांधी ने नहीं बल्कि दो साल पहले नरेंद्र मोदी ने किया था. नीचे आप वह वीडियो देख सकते हैं.

इस वीडियो में पीएम मोदी कह रहे हैं, ‘एक समय था...जब लोग (सोचते थे) यार, पता नहीं पिछले जन्म में क्या पाप किया था. हिंदुस्तान में पैदा हुए. ये कोई देश है. ये कोई सरकार है. ये कोई लोग हैं. चलो छोड़ो चला जाए कहीं और...और लोग निकल पड़ते थे.’

यह वीडियो क्लिप पहले भी शेयर की जाती रही है. नवंबर 2015 में जब अभिनेता आमिर ख़ान ने देश में असहिष्णुता पर बयान दिया था, तो सोशल मीडिया पर उनके ख़िलाफ़ चल रहे अभियान के जवाब में नरेंद्र मोदी का यह वीडियो बतौर ‘जवाबी हमला’ शेयर किया गया था. अब राहुल गांधी के बयान के बाद यह फिर से शेयर होने लगा है.

कुछ दिन पहले वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की इस बात को भी भ्रामक तरीक़े से शेयर किया गया था कि उन्होंने पीएम मोदी को ‘गुंडा’ कहा, जबकि ऐसा नहीं था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस क्लिप को लेकर भी कुछ ऐसा ही है. यह उनके दो साल पहले के दक्षिण कोरियाई दौरे का वीडियो है जब उन्होंने वहां रह रहे भारतीय समुदाय को संबोधित किया था. वीडियो के साथ-साथ नीचे प्रधानमंत्री की बात को सही संदर्भ में स्पष्ट किया गया है.

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36.01 मिनट के इस वीडियो के 9.40 मिनट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वह बात कहते हैं जो सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है. अगर हम इससे एक-दो मिनट पीछे चलें तो समझ में आ जाता है कि मोदी के शब्दों को ग़लत दिशा में प्रचारित किया गया. वीडियो में 8.56 मिनट पर वह कहते हैं, ‘आपने कोरिया में जो टेक्नॉलजी का रेवलूशन देखा है. आप भी चाहते हैं ना कि ऐसा भारत में भी हो. (कुछ सेकंड बाद) आपके बिना कैसे होगा? आपका अनुभव आपका ज्ञान, आपको जो अवसर यहां मिला है, वो जितना भारत से जुड़ेगा भारत को आगे बढ़ने में सुविधा बढ़ जाएगी. एक समय था...जब लोग (सोचते थे) यार, पता नहीं पिछले जन्म में क्या पाप किया था. हिंदुस्तान में पैदा हुए. ये कोई देश है. ये कोई सरकार है. ये कोई लोग हैं. चलो छोड़ो चला जाए कहीं और...और लोग निकल पड़ते थे. कुछ वर्षों में तो हम यह भी देखते थे कि उद्योग जगत के लोग कहते भाई अब तो यहां व्यापार नहीं करना चाहिए, अब यहां नहीं रहना है. और ज़्यादातर लोगों ने तो एक पैर बाहर रख ही दिया था. मैं इसके कारणों में नहीं जाता, और ना ही मैं कोई राजनीतिक टीका-टिप्पणी करना चाहता हूं. लेकिन यह सच्चाई है, कि लोगों में एक निराशा थी, आक्रोश भी था, और मैं आज विश्वास से कह सकता हूं कि अलग-अलग जीवन के गणमान्य लोग, बड़े-बड़े साइंटिस्ट...विदेशों में कितनी कमाई क्यों ना होती हो, उससे कम कमाई होती हो तो भी, आज भारत वापस आने में उत्सुक हो गए.’

इस तरह वीडियो को 9.40 से एक मिनट पीछे और एक मिनट आगे सुनने पर पता चलता है कि नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से भारत की ‘बदलती व्यापारिक परिस्थिति’ और उसके बारे में लोगों की ‘बदलती’ राय पर बोल रहे थे. लेकिन सोशल मीडिया पर केवल 28 सेकंड का वह हिस्सा शेयर किया गया जिसे देखकर लगता है कि मोदी भारत को कोस रहे थे, जबकि ऐसा था नहीं.