हार्ट अटैक या एंजाइना के बाद आमतौर पर मरीज से यह कहा ही जाता है कि आप अपनी एंजियोग्राफी करा लीजिए. एक बार आपने एंजियोग्राफी करा ली, और उसमें कुछ ब्लॉक मिल गया तो कहा जाता है कि अब आप एंजियोप्लास्टी करा लीजिए, या अगर ब्लॉक ज्यादा ही हुए, बहुत खराब हुए या एंजियोप्लास्टी के लायक न हुए तो सलाह दी जाती है कि आप अपनी बाईपाससर्जरी करा लीजिए. आप करा भी लेते हैं. यहां तक तो कहानी में कोई पेंच नहीं है. सारे भ्रम एंजियोप्लास्टी और बाईपाससर्जरी के बाद के जीवन में होते हैं.
हार्ट अटैक, एंजियोप्लास्टी या बाईपाससर्जरी के बाद कुछ समय तक तो आदमी बड़ा डरा-डरा सा रहता है, फिर वह धीरे-धीरे सारी मुसीबतें भूलने लगता है. उसे लगता है कि यह तो कोई फौरी तूफान सा था जो गुजर चुका है. और यह तूफान अब शायद आएगा भी तो उसने एंजियोप्लास्टी या बाईपाससर्जरी से इसका पुख्ता इंतजाम कर लिया है. लेकिन वह भूल जाता है कि जब ईश्वर प्रदत्त एकदम असली दिल भी बीमार हो गया तो उसके पास अब तो एक मरम्मतशुदा, रिपेयर्ड दिल है और उसी के सहारे अब उसे बकाया जीवन चलाना है.

एंजियोप्लास्टी और बाईपाससर्जरी से दिल की बीमारी जड़ से दूर नहीं हो जाती. इससे तो बस जो रुकावट थी उसको मरम्मत करके खोल दिया जाता है या फिर बाईपासकर दिया जाता है. लेकिन ये सब फौरी उपाय हैं और यह रुकावट फिर से पैदा नहीं होगी इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसलिए एंजियोप्लास्टी या बाईपाससर्जरी के बाद भी यह बहुत जरूरी है कि मरीज डॉक्टर की बताई दवाइयां नियमिततौर पर लेता रहे. बीच-बीच में उसे डॉक्टर से सलाह भी लेते रहना चाहिए और बताई गई जांच भी करवाते रहना चाहिए. जो लोग ऐसा करते हैं वे अमूमन स्वस्थ रहते हैं. दूसरी तरफ जो मरीज दवाइयां बंद कर देते हैं या खुद ही उन्हें कम करते या बढ़ाते रहते हैं या खानपान-व्यायाम के प्रति लापरवाह हो जाते हैं और सबकुछ एजियोप्लास्टी-बाईपाससर्जरी के रिपेयर पर छोड़ देते हैं, फिर से दिल के दौरे या दर्द का शिकार होते हैं.
डॉक्टर अमूमन इन इलाजों की सीमाओं के बारे में नहीं बताते, लेकिन इनके बारे में जानना जरूरी है. यहां एक-एक कर इनकी ही चर्चा करेंगे ताकि भ्रम की स्थितियों से बचा जा सके :
पहली बात – एंजियोप्लास्टी चाहे कितनी भी अच्छी तरह से की गई हो, एक साल होते-होते वह एक से पांच प्रतिशत तक बंद हो जाती है. बहुत अच्छे डॉक्टर द्वारा बहुत अच्छी तरह से की गई एंजियोप्लास्टी और आपके द्वारा सबकुछ नियमित करने के बाद भी ऐसा हो सकता है. ऐसे में डॉक्टर को गाली न दें.
दूसरी बात – एंजियोप्लास्टी के बाद कुछ दवाएं बिलकुल नियमित लेनी होती हैं. अगर हम ये दवाएं अपने आप कम कर दें, जैसे डॉक्टर ने कोलेस्ट्रॉल घटाने की दवाई 80 मिलीग्राम बताई थी, हम 40 कर दें या इकोस्प्रिन और ब्रिलिएंटा आदि ऐसी कोई दवाई जिसे एकदम नियमित लेने को कहा गया था और हम बीच-बीच में कई दिन लेना ही भूल जाएं तो जानिए कि जहां ब्लॉक हटाया गया था वहां उसके वापस बनने की संभावना बहुत बढ़ जाती है.
तीसरी बात – एंजियोप्लास्टी या बाईपाससर्जरी के बाद हमें खानपान, व्यायाम और दवाइयों में बेहद नियमित होना पड़ता है वरना एक बहुत अच्छा किया गया ऑपरेशन भी फेल हो सकता है.
चौथी बात – अभी तक किसी स्टडी ने यह सिद्ध नहीं किया है कि एंजियोप्लास्टी या बाईपाससर्जरी से आदमी की उम्र बढ़ जाती है. दरअसल इससे उम्र नहीं बढ़ती बस उसके सिर पर लटक रही अगले हार्ट अटैक की आशंका की तलवार हट जाती है.
पांचवी बात – एंजियोप्लास्टी और बाईपाससर्जरी के बाद भी वे सारे कारक आपके शरीर में मौजूद होते हैं जो हृदय की रक्त नलिकाओं को ब्लॉक करते हैं. इन्हें कंट्रोल करने की बाद में भी जरूरत होती है. ये सब रिपेयर की हुई नलियों को फिर से ब्लॉक कर सकते हैं या नई जगह ब्लॉक पैदा कर सकते हैं.
छठवीं बाद – यह सवाल कि कौन सी एंजियोप्लास्टी जल्दी बंद हो सकती है, बड़ा तकनीकी है फिर भी मोटेतौर पर इसके जवाब में कुछ बातें समझी जा सकती हैं. अगर ब्लॉक लंबा है और इसमें लंबा स्टंट लगाना पड़ रहा है तो इसके बाद में बंद होने का खतरा ज्यादा रहता है. अगर पतली नली खोली गई है तो उसमें पतला स्टंट लगेगा. इसके भी जल्द बंद होने का डर रहता है. अगर मल्टीवेसल एंजियोप्लास्टी हुई है यानी कई जगह के ब्लॉक खोले गए हैं और इसी चक्कर में उनमें एक से ज्यादा स्टंट डाले गए हैं, साथ ही स्टंट ऐसी जगह डाला गया है जहां से रक्त नली की दूसरी शाखा निकल रही है तो इसके बंद होने के चांस ज्यादा होते हैं.
और अब आखिरी बात या सवाल – बाईपाससर्जरी की आवश्यकता किसे पड़ेगी?
यह तो तय है कि जहां भी एंजियोप्लास्टी संभव है, वहां कोई सर्जरी नहीं करेगा. हां, यदि एक ही नली बहुत सी जगहों पर ब्लॉक हो गई है या कई नलियां ब्लॉक हों या कई नलियों में कई जगह ब्लॉक हों या फिर ब्लॉक बहुत लंबा हो या वह नली से निकलने वाली शाखा के मुहाने पर हो तो बाईपाससर्जरी करानी पड़ती है. साथ ही बाएं तरफ की मुख्य नली जिसे लेफ्ट मेन कोरोनरी नली कहते हैं, में ब्लॉक है या खासकर मरीज को डायबिटीज है तो ऐसी स्थितियों में एंजियोप्लास्टी फेल हो जाती है या उसके रिजल्ट उतने अच्छे नहीं होते. ऐसे में बाईपाससर्जरी कराना बेहतर होता है.
मुझे एंजियोप्लास्टी या बाईपाससर्जरी की जरूरत बताई गई है लेकिन मैं इनमें से कुछ भी नहीं करवाना चाहता तो? बहुत से मरीज यह सवाल उठाते हैं. तो अगर कोई व्यक्ति जोखिम उठाने को तैयार है तो वह यह विकल्प भी आजमा सकता है. फिर लोगों को खान-पान में परहेज और नियमित व्यायाम पर बहुत ध्यान देना पड़ता है. नियमित दवाएं लेनी पड़ती हैं और अगर वजन ज्यादा है तो उसे कम करने की भी जद्दोजहद करनी पड़ती है. वैसे यहां ध्यान देने वाली बात है कि अगर लेफ्ट मेन कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉक बताया जाता है तब तो सर्जरी करा ही लेनी चाहिए.
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