केंद्र सरकार आज नोटबंदी की वर्षगांठ पर ‘कालाधन-विरोधी दिवस’ मना रही है. अपने इस ऐतिहासिक क़दम को लेकर वह कई दावे कर रही है. उनमें एक दावा यह है कि नोटबंदी के दौरान देश की कुल आबादी में 0.00011 प्रतिशत नागरिकों ने बैंकों में जमा कुल कैश का 33 प्रतिशत हिस्सा जमा कराया था. सरकार की तरफ़ से देश के कई अख़बारों में दिए विज्ञापन में यह दावा किया गया है. विज्ञापन में सरकार ने नोटबंदी को ‘एक ऐतिहासिक और बहुआयामी सफलता’ बताया है.
125 crore Indians fought a decisive battle and WON. #AntiBlackMoneyDay pic.twitter.com/3NPqEBhqGq
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2017
विज्ञापन में दावा किया गया है कि नोटबंदी की वजह से आतंकनिरोधी प्रयासों से लेकर नौकरियों के सृजन तक हर चीज़ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा. 500 और एक हज़ार के नोटों को रद्द करने के फ़ैसले को सरकार ने आतंकवाद और नक्सलवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष में एक निर्णायक क़दम बताया. यह भी कहा गया कि नोटबंदी की वजह से कश्मीर में पत्थरबाज़ी की घटनाओं में 75 प्रतिशत तक की कमी आई. सरकार ने कहा कि नोटबंदी ने नक्सलवाद के चलते होने वाली घटनाओं को भी 20 प्रतिशत तक कम कर दिया.
Here are the benefits of demonetisation, encapsulated in this short film. Have a look. #AntiBlackMoneyDay pic.twitter.com/rPmGUYnTzI
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2017
सरकार ने यह भी कहा है कि नोटबंदी ने देश के वित्तीय तंत्र और अन्य क्षेत्रों की बड़े स्तर पर सफ़ाई करने का काम किया. विज्ञापन में उसका कहना है, ‘नोटबंदी के बाद शेल कंपनियों पर सर्जिकल स्ट्राइक (कार्रवाई) की गई, 2.24 लाख कंपनियों को बंद किया गया, 35 हज़ार कंपनियों के 58 हज़ार बैंक खातों पर कार्रवाई हुई जो 17 हज़ार करोड़ रुपये का लेन-देन कर रहे थे.’
नोटबंदी की वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफ़ी सक्रिय नज़र आए. उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए. ट्विटर पर उन्होंने एक शॉर्ट फ़िल्म भी शेयर की जिसमें नोटबंदी के फ़ायदे गिनाए गए हैं.
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