पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रांची में 40 हजार लोगों के साथ योग किया. इस दौरान उन्होंने यहां प्रभात तारा मैदान में उपस्थित लोगों से कहा कि योग हमेशा से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है और लोगों को इसके प्रसार के लिए आगे आना चाहिए.
भारत में योग चर्चा के साथ-साथ विवाद भी बटोरता रहा है. कुछ समय पहले सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि योग इस्लाम के खिलाफ है. उनका तर्क था कि एक मुसलमान सिर्फ इबादत के लिए अल्लाह के सामने सिर झुकाता है और वह सूर्य नमस्कार करके सूरज के सामने क्यों सिर झुकाए. तीन साल पहले जब पहला योग दिवस मनाया गया था तो इस मौके पर पाकिस्तान जाने वाले योग प्रशिक्षक को वीजा देने से इनकार कर दिया गया था. इस प्रशिक्षक को वहां जाकर भारतीय दूतावास के कर्मचारियों को योग करवाना था. उसी दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी कहा था कि योग इस्लाम की भावना के खिलाफ है.
इन खबरों से किसी को यह लग सकता है कि मुस्लिम बहुल देश योग के खिलाफ हैं. लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है. पाकिस्तान में योग खूब फल-फूल रहा है. वहां इस्लामाबाद, लाहौर और कराची जैसे बड़े शहरों में ही नहीं, देहात में भी कई लोगों को योग करते देखा जा सकता है. उन्हें योग से खूब फायदे भी हो रहे हैं. पाकिस्तान में लोगों को योग में कुछ भी इस्लामविरोधी नहीं लगता. उनके लिए योग सिर्फ सेहत की दवा है. पाकिस्तान में योग की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वहां टीवी पर योग से जुड़े कार्यक्रम आना एक सामान्य बात है.
धर्म के बजाय योग को विज्ञान की नजर से देखा जाए
शमशाद हैदर पाकिस्तान में योग की अलख जगा रहे लोगों में से एक हैं. उन्होंने योग की तालीम भारत में हासिल की है. शमशाद का कहना है कि धर्म की बजाय योग को विज्ञान के चश्मे से देखा जाना चाहिए. बल्कि वे तो मानते हैं कि योग सिर्फ भारत ही नहीं, पाकिस्तान की भी धरोहर है. शमशाद के कई दोस्त पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में योग सिखा रहे हैं. पाकिस्तान में कई योग क्लब हैं. वहां जाने वाले लोग खुद कहते हैं कि योग की वजह से उन्हें कई बीमारियों में फायदा हुआ है. लाहौर में सिर्फ महिलाओं के लिए चलने वाले इंडस योगा हेल्थ क्लब में योग प्रशिक्षक आरिफा जाहिद कहती हैं, ‘घर-बाहर की तमाम जिम्मेदारियों के चलते आदमी इतना बिखर चुका है कि उसे सिर्फ योग जोड़ सकता है.’
एक वक्त था जब आरिफा खुद अपनी घुटनों की तकलीफ से परेशान थीं. तमाम डॉक्टरों से राय लेने और दवाएं खाने के बावजूद जब यह तकलीफ ठीक नहीं हुई तो उन्होंने मान लिया था कि अब उन्हें सारी उम्र लंगड़ाकर चलना पड़ेगा. फिर उन्हें योग के बारे में पता चला. आरिफा ने इसे आजमाया और उन्हें इतना फायदा हुआ कि उन्होंने दूसरी महिलाओं को भी योग सिखाने का फैसला कर लिया. आज उनके क्लब में योग सीखने वालों की अच्छी खासी भीड़ देखी जा सकती है. योग से जुड़ा उनका एक कार्यक्रम समाचार चैनल पर भी आता है.
भारत में कई उलेमा योग और सूर्यनमस्कार के दौरान ओम के उच्चारण के चलते इसे इस्लाम विरोधी बताते रहे हैं. सरहद पार आरिफा ने इसका सरल हल निकाल लिया है. सूर्य नमस्कार की शुरुआत में वे कहती हैं, ‘बिस्मिल्लाह पढ़ लीजिए.’ पाकिस्तान के चर्चित योग विशेषज्ञ योगी वजाहत कहते हैं, ‘उसे उर्दू में बयां करें या संस्कृत में, फूल की खुशबू तो वही है.’ यानी योग आया कहीं से भी हो, उससे फायदा सबको होना है.
पाकिस्तान में योग के बढ़ते चलन से हो रहे फायदे यहीं खत्म नहीं होते. वहां इससे युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके भी पैदा हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि कई पाकिस्तानी युवा योग सीखकर दूसरे देशों में इसका प्रचार-प्रसार करने की तैयारी में हैं.
लोकप्रियता ईरान में भी
एक और मुस्लिम गणतंत्र ईरान में भी योग खासा लोकप्रिय है. वहां इसे खेल की तरह समझा जाता है. टेनिस और फुटबॉल जैसे खेलों के संघ यानी फेडरेशनों की तरह वहां योग फेडरेशन भी हैं. समाचार वेबसाइट बीबीसी से बातचीत में एक योग शिक्षक बताते हैं कि योग फेडरेशन के कार्यक्रमों में प्रत्येक आसन के फायदों पर चर्चा भी होती है. उनके छात्रों का कहना है कि योगाभ्यास से उनकी एकाग्रता बढ़ी है.
कुछ साल पहले ईरान के राजदूत गुलाम रजा अंसारी हरिद्वार में बाबा रामदेव के मशहूर पतंजलि योगपीठ पहुंचे थे. तब उन्होंने कहा था कि योग से दुनिया को जीवन से संबंधित नई दृष्टि मिली है. भारत और ईरान के बीच कई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समानताएं बताते हुए उन्हें ईरान में योग को और भी प्रोत्साहन देने की बात कही थी
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