क्रिसमस दुनियाभर में मनाया जाता है और दुनिया के हर कोने में इस सेलिब्रेशन में क्रिसमस ट्री बनाना, जिंगल गाना और केक खाना कॉमन है. लेकिन हर जगह यह सब करने का तरीका कहीं न कहीं उस देश की संस्कृति और तौर-तरीकों से प्रभावित हो जाता है. वहीं अपने देश की बात करें तो यह काम सबसे अलहदा तरीके से होता है क्योंकि हमारे जैसी विविधता शायद ही दुनिया के किसी देश में हो! इसीलिए तो यहां सांता क्लॉज के इंतजार में गाया जाने वाले सबसे लोकप्रिय कैरोल ‘जिंगल बेल - जिंगल बेल’ के भी कई-कई वर्जन मिल जाते हैं. यहां तक कि बॉलीवुड गानों में भी इनका इस्तेमाल किया गया है. लेकिन फिलहाल हम जिन कैरोल्स की बात करने जा रहे हैं वे अलग-अलग भारतीय भाषाओं में गाए गए हैं. जैसे - सोशल मीडिया पर बीते साल भोजपुरी में आया कैरोल आज भी कई लोगों ने शेयर किया है. इस समय सोशल मीडिया के जरा भी संपर्क में रहने वाला शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने यह न सुना हो.
जिंगल बेल का यह मराठी वर्जन बच्चों के लिए बनाई जाने वाली नर्सरी राइम है. इसे यूट्यूब चैनल ‘पेबल्स मराठी’ ने अपलोड किया है. यह पेबल्स लाइव नाम के इंफोटेनमेंट (इनफॉर्मेशन और एंटरटेनमेंट) देने वाले यूट्यूब चैनल का हिस्सा है. पेबल्स मराठी की तरह पेबल्स लाइव के अलग-अलग भाषाओं में कई चैनल हैं. इसलिए इस पर हिंदी, गुजराती, तमिल सहित कई भाषाओं में यह कैरोल सुनने को मिल जाता है.
बच्चों के राइम और गानों की बात चली है तो इस वीडियो की भी बात की जा सकती है, जो न सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों को भी पसंद आ सकता है. गुजराती और तमिल में जिंगल बेल सुनाता, एक मिनट का यह एनिमेशन वीडियो हमारी मिली-जुली संस्कृति का सुंदर उदाहरण भी है.
चलते-चलते, जिंगल बेल का इंडियन-क्लासिकल-इंस्ट्रूमेंटल वर्जन -
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