हाल ही में बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स इंडिया ने ‘30 अंडर 30’ शीर्षक से एक लिस्ट जारी की है. इसमें तीस साल से कम उम्र के उन तीस युवाओं को जगह दी गई है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. इनमें एक्टर विकी कौशल, एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर, मूर्तिकार साहिल नायक, सिंगर जुबिन नौटियाल, फास्ट बॉलर जसप्रीत बुमराह हैं जैसे कुछ मशहूर नाम शामिल है. इनके अलावा लिस्ट में जो भी बचते हैं, उनमें से ज्यादातर नाम और उनके कारनामों को लोग पहली बार सुन रहे हैं. इनमें कई उद्यमी हैं जिन्होंने ढेर सारे पैसे कमाए हैं, कुछ कलाकार हैं जो दाम और नाम साथ-साथ कमा रहे हैं और कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने अपने हुनर और कोशिशों के जरिए समाज में कोई बदलाव लाने वाला काम किया है. इस आलेख में हम इस तीसरे तबके के कुछ लोगों की बात करने जा रहे हैं जिन्होंने अपने शौक को न सिर्फ अपनी बल्कि दूसरों की जिंदगी बदलने के लिए भी इस्तेमाल किया.

1. अंकित अग्रवाल, करण रस्तोगी - कानपुर के रहने वाले अंकित अग्रवाल ने बचपन में अपने शहर में गंगा की दुर्गति देखी थी. उन्होंने ध्यान दिया कि गंगा को प्रदूषित करने में एक बड़ा हिस्सा पूजा के उन फूलों का होता है जो मंदिरों में चढ़ाए जाने के बाद नदी में प्रवाहित कर दिए जाते हैं. इससे गंगा और उसके किनारे रहने वाले लोगों को निजात दिलाने के लिए उन्होंने अपने साथी करण रस्तोगी के साथ हेल्प अस ग्रीन नाम से एक एनजीओ शुरू किया. यह एनजीओ मंदिर और मस्जिदों से बेकार फूल उठाता है और उनका इस्तेमाल साबुन, धूपबत्ती, ऑर्गेनिक खाद और स्टाइरोफोम जैसी चीजें बनाने में करता है. 2015 में यह संस्था मात्र 72 हजार रुपए की लागत से शुरू हुई थी जिसे बाद में टाटा ट्रस्ट - सोशल अल्फा, ग्रीनफील्ड वेंचर्स और इकोइंग ग्रीन की तरफ से फंडिंग मिली और ताजा वित्त वर्ष (2017-18) के मुताबिक हेल्प अस ग्रीन्स का रेवेन्यू एक करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है. इसके अलावा खास बात यह है कि हेल्प अस ग्रीन महिलाओं को वरीयता देते हुए उन्हें रोजगार भी दे रहा है और अपने सभी कर्मचारियों को प्रॉविडेंट फंड और स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभ भी देता है.

अंकित अग्रवाल और करण रस्तोगी
अंकित अग्रवाल और करण रस्तोगी

2. गौरव मुंजाल, रोमान सैनी, हिमेश सिंह - इंजीनियर गौरव मुंजाल और डॉक्टर रोमान सैनी अपने साथी हिमेश सिंह के साथ मिलकर ‘अनएकेडमी’ नाम से एक डिजिटल एजुकेशन प्लेटफार्म चलाते हैं. इसके लिए गौरव अपनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की और रोमान सैनी आईएएस की नौकरी छोड़कर आए हैं. इंटरनेट के जरिए पढ़ाई करवाने का यह सिलसिला साल 2010 में मुंजाल द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किए गए एक वीडियो से शुरू हुआ था. और अब, अनएकेडमी अपने मोबाइल एप, वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनल के जरिए छात्रों के लिए तमाम विषयों पर लेक्चर उपलब्ध करवाता है. अनएकेडमी ने अब तक डेढ़ लाख ट्यूटोरियल वीडियोज बना लिए हैं जिनमें से कुछ मुफ्त देखे जा सकतेे हैं और बाकी पेड वीडियो हैं. इस तरह अनएकेडमी करीब चार हजार शिक्षकों को ‘वर्क फ्रॉम होम’ कॉन्सेप्ट की तर्ज पर रोजगार दे रहा है और बीस लाख से अधिक छात्रों को उनके घरों में ही पढ़ाई के लिए मदद उपलब्ध करवा रहा है.

3. सतीश कन्नन और एनबासेकर डी - इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई साथ-साथ करने वाले सतीश कन्नन और एनबासेकर डी ने मिलकर ने डॉक्स ऐप नाम से एक मोबाइल एप बनाया है. इस ऐप के जरिए मरीज की पहुंच लगभग दो हजार से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टरों तक बन जाती है. ऐप पर मरीज डॉक्टरों से फोन कॉल या इन-बिल्ट चैट एप्लिकेशन के माध्यम से बातचीत कर सकते हैं. इसके लिए मरीज को 150 से 500 रुपए तक का भुगतान करना होता है. इस ऐप से जुड़े करीब चालीस प्रतिशत मरीज छोटे शहरों या दूर-दराज के इलाकों से होते हैं, इसलिए उनके लिए यह एक सस्ता और सुविधाजनक उपाय है. इसके अलावा ऐप पर उपलब्ध डॉक्टर इंटरनल पैनल के जरिए मेट्रो शहरों में काम कर रहे बड़े विशेषज्ञ डॉक्टरों को ढूंढ़ने में मदद भी करते हैं.

4. जाह्नवी जोशी, नुपुरा किर्लोस्कर - एमआईटी पुणे में इंडस्ट्रियल डिजाइन की पढ़ाई करते हुए जाह्नवी जोशी और नुपुरा किर्लोस्कर ने घड़ी, बैंड्स या इसी तरह की पहनने वाली डिवाइसों के कुछ नमूने तैयार किए थे जिन्हें पहनकर श्रवण बाधित (बधिर) कोई भी व्यक्ति संगीत को महसूस कर सकता था. साल 2015 में इन लड़कियों ने सिर्फ 22 साल की उम्र में ब्लीटेक इनोवेशन नाम की एक कंपनी शुरू की है जो इस तरह के वीयरेबल्स बनाने की दिशा में काम कर रही है. इन्होंने बधिर लोगों के लिए ब्लीवॉच नाम की एक घड़ी तैयार की है. ब्लीवॉच से जुड़े एप में फायर अलार्म, बच्चे के रोने, प्रेशर कुकर की सीटी या कुत्ते के भौंकने जैसी कई आवाजें रिकॉर्ड हो सकती हैं और ये पहनने वाले को ऐसी आवाज आने पर संदेश पहुंचा सकती हैं. इसके अलावा यह घड़ी पांच आपातकालीन नंबरों पर सहायता संकेत भी भेज सकती है. साथ ही, ब्लीटेक ने ब्लीटीवी नाम से एक प्लेटफॉर्म बनाया है जो भारतीय सांकेतिक भाषाओं में उनके मनोरंजन और शिक्षा के लिए वीडियो बनाता है. इस तरह जाह्नवी और नुपुरा मूक-बधिर लोगों की जिंदगी आसान बना रही हैं.

(कवर फोटो में बाएं से दाएं - गौरव मुंजाल, रोमान सैनी, हेमेश सिंह, सतीश कन्नन और एनबासेकर डी, जाह्नवी जोशी और नुपुरा किर्लोस्कर)