अयोध्या के विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मसले पर मुस्लिम समुदाय में अब मतभेद उभरते दिख रहे हैं. और इसके संकेत एआईएमपीएलबी (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड) के हैदराबाद में होने वाले 26वें पूर्ण अधिवेशन के पहले ही दिखने लगे हैं. सूत्रों के हवाले से यह ख़बर द टाइम्स ऑफ इंडिया ने दी है.

अख़बार के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नदवा मदरसे के प्रमुख मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी ने एक पेशक़श की है. इसके तहत उन्हाेंने बताया है कि इस्लाम की हंबली विचारधारा (सऊदी अरब, क़तर, कुवैत, मध्य पूर्व व कई अफ्रीकी देशों में मुस्लिम इमाम हंबल के फ़िक़ह पर ज़्यादा अमल करते हैं और वे ख़ुद को हंबली कहते हैं) के मुताबिक़ मस्जिद को भी एक से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. इस लिहाज़ से अयोध्या के विवादित स्थल पर भी बाबरी मस्जिद निर्माण की मांग छोड़ी जा सकती है.
नदवी ने बताया कि दूसरे पक्ष का प्रस्ताव है कि मुस्लिम समुदाय को विवादित स्थल से दूर भव्य मस्जिद और यूनिवर्सिटी बनाने के लिए ज़मीन दी जा सकती है. उन्हाेंने कहा कि मुस्लिमों और हिंदुओं को मिलकर इस विवाद का अदालत के बाहर ही समाधान खोजना चाहिए. बताते हैं कि मौलाना नदवी ने यह पेशक़श गुरुवार को की थी. इससे जुड़ी एक ऑडियो-वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हाे रही है. नदवी मुस्लिम समुदाय के उस छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल थे जिसने इस मुद्दे पर श्रीश्री रविशंकर से गुरुवार को ही मुलाकात की थी.
हालांकि मौलाना नदवी की पेशक़श पर पर्सनल लाॅ बोर्ड के कई सदस्यों ने आपत्ति जताई है. मसलन- जमैयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने नदवी की पेशकश को ‘मुस्लिम समुदाय के साथ भितरघात’ बताया है. उनसे जुड़े सूत्रों के मुताबिक़ उन्होंने शुक्रवार को एआईएमपीएलबी के अधिवेशन के दौरान नदवी पर कार्रवाई की भी मांग की है. मदनी और नदवी दोनों ही बोर्ड की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. इस अधिवेशन के लिए लखनऊ से ही विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर हैदराबाद पहुंचे एक अन्य सदस्य भी कहते हैं, ‘नदवी को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था.’
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