चर्चित गायक पैपॉन द्वारा एक नाबालिग बच्ची को गलत तरीके से छूने का मामला चर्चा में है. इसकी शिकायत नेशनल कमीशन फाॅर प्रोटेक्शन आॅफ चाइल्ड राइट्स में दर्ज की गई है. यह घटना एक रियलिटी शो के कंटस्टेंट से जुड़ी है. फेसबुक पर लाइव वीडियो में पैपॉन शो में आई एक बच्ची को गलत तरीके से किस करते दिख रहे हैं. इस घटना पर लोगों की कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

सबसे पहले उस वीडियो में साफ तौर पर दिखाई दे रही चीजों की बात. पहली बात तो यह है कि पैपॉन द्वारा बच्ची को गुलाल लगाकर उसे चूमने से पहले बच्ची बेहद स्वाभाविक तरीके से खुश और हंसती हुई नजर आ रही थी. लेकिन इस घटना के बाद बच्ची के चेहरे पर मुस्कुराहट तक नहीं थी. वह अस्वाभाविक तरीके से चुप हो गई थी. बेहद हंसी और खुशी के मूड से अचानक संजीदा चुप्पी में आना साफ तौर पर बताता है कि उसके लिए कुछ अनिच्छित, अस्वाभाविक और नापंसदगी जैसा घटा है.

दूसरा, उस वीडियो में आई यह आवाज ‘अरे ये क्या हो रहा है?’, भी इशारा करती है कि कुछ ऐसा घटा जो कि नहीं घटना चाहिए था. तीसरा, ‘यह क्या हो रहा है?’ सवाल के जवाब पर स्वयं पैपॉन की प्रतिक्रिया भी अस्वाभाविक लगती है. उनकी बाॅडी लैंग्वेज और जवाब में बिना किसी संदर्भ के अचानक से ‘म्यूजिक-म्यूजिक’ बोलने से लगता है कि पैपॉन खुद भी अपनी उस अचानक से की गई हरकत और उस पर आए अनपेक्षित सवाल से बेहद असहज हो गए थे.

चौथा, इस सवाल के तुरंत बाद पैपॉन का यह कहना कि ‘क्या अभी भी फेसबुक लाइव चल रहा है?...इसे बंद करो’ भी इशारा करता है कि कुछ तो ऐसा था जिसे पैपॉन नहीं चाहते थे कि कोई और देखे. क्योंकि उस क्षणिक घटना से ठीक पहले तक पैपॉन लाइव हो रहे वीडियो को बेहद एंजाॅय कर रहे थे.

कई तरह की प्रतिक्रियाएं

इस घटना पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. मसलन, यह एक अपराध है जिसके लिए पैपॉन को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. यह भी कहा जा रहा है कि पैपॉन एक बहुत अच्छा इंसान है और यह उसने जानबूझकर नहीं किया है. कुछ लोगों ने इसमें क्षेत्रीयता का रंग भरने की भी कोशिश की है. यह कहते हुए कि यह पहले से ही हाशिये पर रह रहे असम के लोगों को फिर से हाशिये पर धकेलने की साजिश है. इसके अलावा, खुद पैपॉन ने अपनी 14 साल की शादी का वास्ता देकर इस व्यवहार के लिए माफी मांगी है. कुछ यह भी कह रहे हैं कि पैपॉन तो इन बच्चों से पिता की तरह प्यार और व्यवहार करते रहे है और यह भी ऐसा ही था.

हम मानकर चलते हैं कि पैपॉन ने यह जानबूझकर नहीं किया क्योंकि वे सबके बीच में थे और जानते थे कि फेसबुक लाइव वीडियो चल रहा है. स्वयं पैपॉन और उनके समर्थन में आए अन्य तमाम लोगों का भी यह कहना है कि यह सोच-समझकर या जानबूझकर किया गया व्यवहार नहीं था. यह एक वाक्य बेहद साफ तौर पर इशारा करता है कि पुरुषों द्वारा घरों और सार्वजनिक जगहों पर ऐसी हरकतें या यौन दुर्वव्यवहार करना इतना ज्यादा सहज है कि इसके लिए उन्हें सोचना नहीं पड़ता. वे बस चाहे-अनचाहे जब-तब ऐसा कर जाते हैं, जो कि उनकी सोची-समझी मंशा नहीं होती!

इस बात से पूरी तरह सहमत हुआ जा सकता है कि पैपॉन ने भी सोच-समझकर या किसी योजना के तहत ऐसा नहीं किया है. लेकिन, किसी भी पुरुष का ऐसा कोई भी व्यवहार पूरी तरह अस्वीकार्य और नाकाबिले बर्दाश्त है जो किसी भी बच्ची/लड़की/महिला को असहज करता हो या नापसंद हो. फिर चाहे वह सोच समझकर किया गया हो या बिना सोचे समझे. किसी परिचित द्वारा किया गया हो या अजनबी द्वारा. फिर चाहे वह परिचित पिता, भाई, चाचा, ताऊ, पति, प्रेमी या दोस्त ही क्यों न हो!

इस गलत व्यवहार के लिए पैपॉन को गिरफ्तार किया जाना चाहिए या नहीं. या फिर उन्हें क्या और कितनी सजा दी जानी चाहिए यह एक व्यापक बहस और विचार विमर्श का विषय है. यदि हम सच में पैपॉन के इस पूरी तरह से गलत व्यवहार को सजा और गिरफ्तारी के लायक मानते हैं तो फिर हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि पैपॉन जैसे या उससे भी ज्यादा गंभीर किस्म के अपराध करके असंख्य पुरुष हमारे इर्द-गिर्द आजाद घूम रहे हैं. यदि सच में ऐसे तमाम पुरुषों को जेल भेजने की बात की जाए तो मुझे लगता है कि जेल से बाहर बचे पुरुषों की संख्या, कुल पुरुष आबादी का संभवत एक प्रतिशत ही होगी!

इस घटना के बाद उस बच्ची का भी एक वीडियो जारी किया गया है. इसमें उसने कहा है कि उसके पिता भी इस तरह से प्यार करते हैं और इस घटना को उसी तरह से लिया जाना चाहिए. जिस तरह से यह बच्ची इस वीडियो में अपनी बात रखती दिख रही है उससे संकेत मिलता है कि शब्द किसी और के हैं जो उससे कहलवाए जा रहे हैं. हो सकता है ऐसा नहीं भी हो लेकिन ऐसी बातें कहने और सोचने वाले तमाम लोग असल में पुरुषों को ऐसे असहज करने वाले व्यवहार को करते चले जाने के लिए बढ़ावा देने के दोषी हैं.

अक्सर ही हमारे घरों के भीतर पुरुषों के इससे भी ज्यादा आपत्तिजनक व्यवहार को ‘चलो छोड़ो’, ‘हो जाता है’, ‘जानबूझ के तो नहीं किया’ जैसे वाक्यों ने बहुत बढ़ावा दिया है. यह उसी का परिणाम है कि ज्यादातर पुरुष अनजाने में या अपने सहज व्यवहार में ही, लड़कियों/महिलाओं को असहज करने वाले ऐसे असंख्य व्यवहार करते हैं. इन्हें लेकर या तो सच में आज तक पुरुषों को ठीक से अहसास ही नहीं कि उनकी हरकतों का महिलाओं/लड़कियों पर क्या फर्क पड़ता है. या फिर वे ‘चलो छोड़ो’, ‘जाने दो’ और ‘जानबूझकर तो नहीं किया’ जैसे जुमलों की आड़ लेकर भरपूर फायदा उठाते हैं.

अहम बात यह भी है कोई लेखक, शिक्षक, गायक, डाॅक्टर, इंजीनियर या कोई भी अच्छा पेशेवर जो एक अच्छा इंसान भी है, कोई एक गलत काम करने से अचानक से पूरी तरह से बुरा नहीं बन जाता. कहने का मतलब यह है कि किसी एक घटना से किसी के व्यक्तित्व का आकलन नहीं किया जाना चाहिए. एक अच्छा इंसान भी कई तरह की अनचाही चीजें कर सकता है. खासतौर से पुरुषों द्वारा महिलाओं के साथ किया जाने वाला दुर्वव्यवहार या यौन दुर्वव्यवहार तो इतना ज्यादा पुरुषों के सहज व्यक्तित्व का हिस्सा है कि ज्यादातर बेहद अच्छे पुरुष भी जाने-अनजाने ऐसा गलत व्यवहार अक्सर ही करते देखे जा सकते हैं. इसके अलावा अगर यह व्यवहार सहजता और अनौपचारिकता के चलते हुआ है तो यह अनौपचारिकता भी खतरनाक है.

एक बात यह भी है कि ऐसे किसी व्यवहार के बाद अपने करियर, शादी, परिवार या फिर अपने पिछले सालों के रिकाॅर्ड की दुहाई देने से किसी भी छोटे या बड़े अपराध की तीव्रता कम नहीं हो जाती. और न ही इन सब चीजों को किसी भी अपराध की सजा का आधार बनाया जाना चाहिए. क्योंकि कोई भी गलत काम या अपराध कभी न कभी पहली ही बार होता है. इसके अलावा इस घटना को क्षेत्रीयता के रंग में रंगना निहायत ही एक घटिया सोच और व्यवहार है क्योंकि ऐसी बातें मुद्दे को गलत दिशा में ले जाकर समाज में सिर्फ असंतोष ही फैलाती हैं.

कुछ लोगों का कहना है यह घटना रियलिटी शोज में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है. निःसंदेह यह घटना बच्चियों और माता-पिताओं के मन में डर पैदा करेगी. लेकिन रियलिटी शोज में बच्चों की सुरक्षा से भी गंभीर सवाल यह है कि ऐसा क्या किया जाए कि रोजमर्रा के जीवन में जाने-अनजाने ऐसे कई यौनदुर्वव्यहार करने वाले तमाम पुरुष ऐसा न करें. ऐसा क्या किया जाए कि ज्यादातर पुरुष खुद अपने इस असहज करने वाले व्यवहार के प्रति सचेत हों?

अगर पैपॉन ने यह व्यवहार जानूझकर नहीं किया तो यह सबसे ज्यादा चिंता की बात है. इसका मतलब है कि ऐसे असहज करने वाले व्यवहार पुरुषों के लिए सांस लेने जैसी स्वाभाविक क्रिया बन चुके हैं जिसके लिए उन्हें सोचने तक की जरूरत नहीं! वे बस ऐसा कर जाते हैं. पैपॉन को इस पूरी तरह से अस्वीकार्य और गलत व्यवहार की क्या और कितनी सजा दी जाए यह ठहरकर सोचा जाना चाहिए. इसके साथ यह भी सोचे जाने की सख्त जरूरत है कि पुरुषों द्वारा सहजता में किये जा रहे ऐसे असहजता भरे व्यवहारों को खत्म करने के लिए क्या किया जाए.