कर्नाटक का असर बिहार,गोवा, मेघालय और मणिपुर जैसे राज्यों पर भी पड़ सकता है. ख़बरों की मानें तो इन राज्यों में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने वाली पार्टियां नए सिरे से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती हैं.
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया मुताबिक कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रही है क्योंकि राज्य विधानसभा में उसने सबसे ज़्यादा सीटें जीती थीं. ऐसी ही घोषणा बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तेजस्वी यादव ने भी की है. वे राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर अपनी पार्टी की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले हैं. बताया जाता है कि मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और मेघालय के मुकुल संगमा ने भी अपने-अपने राज्यों के राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. वे भी सरकार गठन का दावा पेश कर सकते हैं.
इन चारों ही राज्यों में सामने आए इस नए घटनाक्रम का आधार ये है कि कर्नाटक में राज्यपाल वजूभाई वाला ने सबसे ज़्यादा सीटें जीतने वाले दल- भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है. जबकि गोवा में 2017 में कांग्रेस ने 40 में से सबसे अधिक 21 सीटें जीती थीं. ऐसे ही मणिपुर-मेघालय में भी कांग्रेस ने 60-60 में से क्रमश: सर्वाधिक 28 और 21 सीटें जीतीं. लेकिन इन राज्यों के राज्यपालों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सरकार बनाने के बुलाया और वे जोड़-तोड़ से अपना बहुमत साबित करने में भी सफल रहे.
ऐसे ही बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद है. उसके पास 243 सदस्यों वाली विधानसभा में 80 सीटें हैं. लेकिन वह विपक्ष में बैठी है. जबकि उससे कम सीटें जीतने वाली पार्टियां जनता दल-एकीकृत (जेडीयू) और भाजपा सरकार मिलकर सरकार चला रही हैं. इन दोनों दलों ने 2015 में हुए चुनाव में क्रमश: 71 और 53 सीटें जीती थीं. इसीलिए अब कर्नाटक के राज्यपाल के फ़ैसले को आधार बनाकर इन राज्यों में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने वाले दलों के नेता अपने-अपने राज्यपालों के सामने सरकार गठन का दावा पेश कर रहे हैं.
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