‘जरा-सा मौसम क्या बदला कि हमें ज़ुकाम हो जाता है... हमें तो कभी-भी अचानक ही छींकें आने लगती हैं और नाक बहने लगती है. डॉक्टर कह देते हैं कि यह तो एलर्जी है भैया... यह एलर्जी हो या फेलर्जी, इससे बड़े परेशान हैं हम तो...’ रोज-रोज की बातचीत में हम आए दिन ये वाक्य कहते-सुनते हैं. डॉक्टर भी अक्सर ज़ुकाम को वैसा भाव नहीं देते जैसा अन्य बीमारियों को देते हैं. कई बड़े डॉक्टर तो कभी-कभी यूं तक कहते पाए गए हैं कि पट्ठे ने मुझे ज़ुकाम-बुखार का डॉक्टर समझ लिया है. अमूमन मरीज भी इसका इलाज या तो स्वयं ही यहां-वहां से पढ़-सुनकर करता रहता है, या फिर सीधे ही किसी दवा की दुकान से कोई ज़ुकाम की गोली ले लेता है.

हालांकि ज़ुकाम एक छोटी-सी लगती बड़ी मायावी बीमारी है. वैसे किसी को बताओ कि हमें ज़ुकाम है तो वह इस बात पर भले ही मुस्कुराए न, लेकिन आपको इस लिहाज़ कोई खास तवज्जो भी नहीं देता. वहीं जो इससे परेशान रहता है, उसकी हालत वही जानता है. जरा-सी बीमारी, जब तक पूरे फॉर्म में रहती है, जरा भी चैन नहीं लेने देती.

ज़ुकाम का मरीज दसों तरह की दुविधाओं में रहता है. मसलन, किस डॉक्टर को जाकर दिखाया जाए? इसका आखिर कारण क्या है? मुझे कैसे हो गया? अक्सर होने वाले इस ज़ुकाम का कोई इलाज है भी या नहीं? क्या एलर्जी की कहीं कोई जांच होती भी है? क्या एलर्जी के कोई ऐसे इंजेक्शन या टीके भी होते हैं जो शरीर में एलर्जी की टेंडेंसी कम कर दें या इसे खत्म ही कर डालें? इन दुविधाओं के बीच यहां आपको कुछ बातें याद रखनी चाहिए :

एलर्जी के अलावा भी ज़ुकाम के पचासों अन्य कारण हो सकते हैं. जरूरी नहीं कि हर ज़ुकाम एलर्जिक रायनाइटिस ही हो. कई बार ज़ुकाम-सा लगना, नाक बंद होना, नाक बहना, छींकें आना आदि तकलीफों का कारण एलर्जी के अलावा कुछ और भी हो सकता है. दसों और बीमारियां भी ज़ुकाम जैसी लग सकती हैं. इन बीमारियों में कुछ बेहद गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं. सो ज़ुकाम की कम से कम एक बार तो बड़ी गंभीरता से जांच करने की आवश्यकता होती है.

वे कौन-सी बीमारियां हैं जो ज़ुकाम जैसी ही तकलीफ देती हैं, पर कुछ और ही निकलती हैं?

  • सामान्य ज़ुकाम (एलर्जिक रायनाइटिस) कष्ट तो देता है, पर गंभीर बीमारी नहीं है. ऐसे ही वायरल इन्फेक्शन का ज़ुकाम (वायरल रायनाइटिस) भी सामान्य बीमारी है, गो कि वह एलर्जिक रायनाइटिस की तरह बार-बार नहीं होती
  • सायनुसाइटिस भी ज़ुकाम जैसा ही लग सकता है, लेकिन उसका इलाज एकदम अलग है.
  • यदि नाक की सेप्टम (नासिका नली) बहुत टेढ़ी हो या नाक में छोटी-छोटी पोलिप की गांठें हों तो भी ऊपर से तो ऐसे ही ज़ुकाम के लक्षण लग सकते हैं पर इन बीमारियों का इलाज एलर्जी से एकदम अलग है . सर्जरी द्वारा इनका पूरा इलाज हो सकता है, बशर्ते कि साथ में एलर्जी न हो जो सर्जरी के बाद भी बनी रहे.
  • कुछ ऐसी दवायें भी हैं जिनके साइड इफेक्ट्स के कारण ज़ुकाम जैसी स्थिति बन जाती है. इसीलिए यदि किसी अन्य बीमारी के लिये कोई दवा लंबे समय से चल रही हो या अभी-अभी शुरू की गई है और उसके बाद ज़ुकाम बढ़ गया हो तो अपने डॉक्टर को उन दवाओं के बारे में भी बता कर रखें. फिर डॉक्टर तय कर लेगा कि कहीं वे दवायें तो आपकी समस्या का कारण नहीं हैं.
  • इनके अलावा हॉर्मोनल रायनाइटिस, वेजनर ग्रेनुलोमा जैसी गंभीर बीमारियों को भी गलती से बस सामान्य ज़ुकाम मान लेने की भूल खुद डॉक्टर कर सकते हैं.
  • कई बार अगर पेट में बहुत एसिडिटी हो, और पेट का एसिड लौट-लौटकर मुंह में आए (‘खट्टे पानी का कुल्ला मुंह में आता है’ वाले लक्षण) तो यह भी ज़ुकाम की जड़ हो सकता है. ऐसे में जब तक एसिडिटी का पूरा इलाज न हो तब तक ज़ुकाम परेशान करता ही रहेगा.

एलर्जिक रायनाइटिस को कैसे पहचानें?

  • यदि मौसम बदलने पर या सालभर ही नाक में खुजली होती रहती हो, नाक में कंजेशन होता हो, बार-बार नाक बहे, छींकने का दौरा-सा आये जिसके साथ आंखों से पानी भी आ सकता है और आंखें लाल होकर उनमें खुजली भी हो सकती है, तो यह सब एलर्जिक रायनाइटिस के कारण ही है.
  • इसके साथ ही यदि खूब खांसी भी हो और छाती से सीटी जैसी आवाजें आयें तो मानिये कि एलर्जी नाक की झिल्ली से उतरकर फेफड़ों की नलियों तक पहुंच गई है. इसे एलर्जिक ब्रोंकाइटिस कहते हैं जो अंततः दमा या अस्थमा बन सकता है.
  • यदि उपरोक्त लक्षणों के साथ हमें यह भी पता हो कि हमारे परिवार में किसी रक्त संबंधी को दमा की बीमारी रही है या एलर्जी की कोई अन्य बीमारी (आमतौर पर चमड़ी की एलर्जी की बीमारी) है तो फिर आपको एलर्जिक रायनाइटिस ही है.

यह एलर्जी कैसे होती है?

हमारी श्वास नलियां, तथा नाक और गला, लगातार वातावरण की हवा तथा तापमान के सीधे संपर्क में रहते हैं. मतलब यह कि हवा में जो भी धूल-धक्कड़ आदि घुले-मिले हैं वे भी हर श्वास के साथ हमारे अंदर आ जा रहे हैं. यदि हमारा श्वासतंत्र हवा में घुले-मिले इन पदार्थों से एलर्जिक है तो हमारी हर श्वास एलर्जी पैदा कर सकती है. वैसे एलर्जी पैदा करने वाली चीजों की सूची लंबी है. फिर भी कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं :

  1. पौधे, फूल-पत्तियों के परागण आदि
  2. पालतू जानवरों (कुत्ते-बिल्ली आदि) की त्वचा और बाल से
  3. घर की धूल और धूल में रहने वाली ‘डस्ट माइट’
  4. हमारे बाथरूम, खिड़कियों आदि पर जमा फफूंद (फंगस)

अब सवाल है कि क्या इस तरह के ज़ुकाम का केवल फौरी इलाज ही उपलब्ध है या इससे छुटकारा भी पाया जा सकता है? इस सवाल का उत्तर ज़रा विस्तार की मांग करता है और इसकी अपनी कुछ बारीकियां है, जिन्हें अलग से समझाए जाने की जरूरत है. सो इस पर चर्चा हम अगले आलेख में करेंगे.