केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती और प्रमोशन की शर्तों में व्यापक बदलाव किए हैं. बुधवार को जारी मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के बयान के मुताबिक कॉलेज स्तर पर शिक्षकों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स (एपीआई) की जगह सरल ग्रेडिंग व्यवस्था लागू की है. मंत्रालय ने यह भी कहा है कि नई व्यवस्था के तहत एकेडमिक जर्नल्स में शोधपत्रों का प्रकाशन अब प्रमोशन का आधार नहीं रह गया है. लेकिन शिक्षक शोध कर सकते हैं.
एचआरडी मंत्रालय के प्रेस नोट के मुताबिक 2021 से यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रमोशन या असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद पर सीधी भर्ती के लिए पीएचडी न्यूनतम योग्यता होगी. इसके अलावा असिस्टेंस प्रोफेसर की भर्ती के विशेष प्रावधान के तहत पीएचडी धारकों का दुनिया के शीर्ष 500 यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से स्नातक होना अनिवार्य कर दिया गया है. एचआरडी मंत्रालय के मुताबिक इन नए नियमों को यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की ओर प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करने के मकसद से लाया गया है.
अब तक कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए मास्टर डिग्री और राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास होना पर्याप्त योग्यता थी. लेकिन सरकार के इस कदम से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) का महत्व घटने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि फेलोशिप कार्यक्रमों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा को बरकरा रखा जाएगा.


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