किसी का आपके आसपास ‘अचानक ही बेहोश’ हो जाना एक बड़ा ही नाटकीय पल होता है. अभी-अभी एकदम ठीक बैठे थे, बढ़िया बात कर रहे थे कि अचानक कुर्सी पर ही लुढ़क गए. रात में बढ़िया सोए थे और सुबह जब उठाया तो देखा कि बेहोश पड़े हैं. चलते-चलते अचानक ही बेहोश होकर गिर पड़े. ऐसी अनेक स्थितियां हैं जिनमें मूल मुद्दा यह रहता है कि ‘अचानक ही बेहोश’ हो गए.

‘अचानक ही बेहोश हो जाना’ बेहद डरावना अनुभव है. मरीज बाद में ठीक भी हो जाए तो भी उसके आगे हमेशा यह डर लगा रहता है कि फिर तो कभी बेहोश नहीं हो जाऊंगा. बाकी यह सब देखने वालों और परिजनों के लिए डरावना तो होता ही है.

किसी के ‘अचानक ही बेहोश’ होने पर सब लोग अपनी-अपनी समझ से कुछ भी करने लगते हैं. लेकिन यह अराजक माहौल बेहोश मरीज का नुकसान ही करता है. यदि हम बेहोशी की बीमारी के कारणों के मायाजाल को ठीक से समझ लें और फिर उस के हिसाब से प्राथमिक उपचार आदि देकर सावधानीपूर्वक मरीज को डॉक्टर तक अविलंब ले जा सकें तो यह बड़ा काम कहलाएगा. यहां मैं आपको बेहोशी के कार्य-कारण से जुड़े मैकेनिज्म की कुछ बुनियादी बातें बताने की कोशिश करूंगा.

मोटे तौर पर यह मान लें कि बेहोशी का मतलब है - मस्तिष्क (दिमाग) का काम करना बंद हो जाना. लेकिन ये बंद क्यों हो जाता है? दिमाग को काम करते रहने के लिए ताकि आप निरंतर होश में रहें, लगातार रक्त की पूर्ति होनी चाहिए. रक्त न मिला या रक्त प्रवाह में रुकावट बनी हो तो चंद सेकंड में ही दिमाग काम करना बंद कर देता है और आदमी बेहोश हो जाता है.

अब सवाल है कि रक्त की आपूर्ति रुक कैसे जाती है. रक्त की नली में रुकावट (इसे हम स्ट्रोक कहते हैं) से ऐसा हो सकता है. नली में खून जम गया, क्लॉट अटक गया बस. तो बेहोशी का एक महत्वपूर्ण कारण है ‘स्ट्रोक’ जिसमें दिमाग की रक्त नलियां ‘चोक’ हो जाती हैं.

इसके अलावा यह भी हो सकता है कि दिल की बीमारी के कारण, डिहाड्रेशन से, किसी दवाई के कारण अचानक ही आदमी का रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) इस कदर कम हो जाए कि रक्त दिमाग तक पूरे प्रेशर से पहुंचे ही न. दस्त, उल्टी, लंबे बुखार से उठने पर भी ब्लड प्रेशर के बहुत कम होने पर लोगों को बेहोश होते आपने देखा ही होगा.

यहां यह भी जान लें कि कभी-कभी ब्लड प्रेशर और दिल की कुछ दवाइयां इस मामले में खतरनाक साबित हो सकती हैं. इनमें सोरविट्रेट नामक गोली का जिक्र जरूर करना चाहूंगा. हार्ट अटैक के बाद, बाईपास सर्जरी या एजियोप्लास्टी के बाद भी यह गोली हर नुस्खे का अनिवार्य अंग होती है. इस सलाह के साथ कि कभी छाती में दर्द हो तो जुबान के नीचे धर ली जाए. अमूमन डॉक्टर यह नहीं बताते कि इस गोली से आपका ब्लड प्रेशर अचानक बेहद कम भी हो सकता है!

सोरविट्रेट लेकर मरीज को एक सुरक्षा का एहसास होता है. किसी भी तकलीफ होने पर, घबराकर, कि कहीं यह फिर से हार्ट अटैक तो नहीं हो रहा, या फिर प्राय: बिना जरूरत के भी यह गोली खा ली जाती है. कई बार मरीज दस मिनट में दो-तीन गोलियां तक ले लेता है. फिर बेहोश होकर गिर जाता है क्योंकि ब्लड प्रेशर बहुत गिर जाता है. तो ये गोलियां संभलकर खाएं.

बेहोश होने की एक स्थिति यह भी हो सकती है कि दिमाग तक रक्त तो पर्याप्त मात्रा में पहुंच रहा है, परंतु वह रक्त ठीक क्वालिटी का नहीं है. जैसे कि रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम हो तो दिमाग काम नहीं करेगा.

डायबिटीज की गोली या इंसुलिन इंजेक्शन की मात्रा भी कभी आवश्यकता से अधिक हो गई अथवा ये दवाएं लेने के बाद डायबिटीज के मरीज ने खाना ही नहीं खाया या बहुत कम मात्रा में खाया तो इसके परिणामस्वरूप रक्त में ग्लूकोज की मात्रा इतनी कम हो सकती है कि आदमी बेहोश हो जाए. इसीलिए डायबिटीज का मरीज यदि कभी बेहोश हो रहा हो और कभी शुरुआती गफलत की स्टेज में ही हो जहां उसे ग्लूकोज, चीनी या कोई मीठी चीज दें तो गटक सकेगा तो यह सब खिलाने-पिलाने की कोशिश तुरंत करनी चाहिए.

ग्लूकोज कम होने के अलावा भी रक्त की क्वालिटी खराब होने से अनेक चीजें जुड़ी हैं, लेकिन वे डॉक्टरों के समझने की ही ज्यादा हैं. बस इतना जान लें कि किडनी खराब होने पर और लिवर के ठीक से काम न करने पर भी रक्त में जहरीले पदार्थ इकट्ठे हो जाते हैं जिससे दिमाग काम करना बंद कर देता है. इसी कारण किडनी फेल्योर तथा लिवर खराब होने वाले मरीज भी बेहोश हो सकते हैं.

अंत में आइए तीसरी स्थिति पर, यहां रक्त प्रवाह ठीक है, रक्त की क्वालिटी भी बढ़िया है परंतु स्वयं दिमाग में ही ऐसा कुछ हो गया कि वह काम नहीं कर रहा. दिमाग की बनावट में, उसके कनेक्शन में, उसके मटेरियल में गड़बड़ी हो सकती हैं. जैसे कि दिमाग में ‘असामान्य करंट’ पैदा हो सकते हैं जिनसे मिर्गी के दौरे आने से आदमी होश खो देता है.

दिमाग में इनफेक्शन हो सकता है जिससे मेनिन्जाइटिस या इंसेफेलाइटिस के कारण आदमी बेहोश हो सकता है. दिमागी चोट या ब्रेन ट्यूमर आदि से भी बेहोशी हो सकती है. किसी भी कारण से यदि दिमाग को ऑक्सीजन न मिले तो भी आदमी बेहोश हो सकता है. फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश, भारी भीड़ में दब जाने, भगदड़ में फंस जाने आदि में आदमी इसी वजह से बेहोश होता है.

यह तो हुआ बेहोशी का मैकेनिज्म. अब अगली बार आपको मैं यह बताऊंगा कि यदि कभी कोई आपके आसपास बेहोश हो जाए तो आप क्या करें, और उससे भी ज्यादा यह कि क्या-क्या न करें.