कोई आदमी अचानक ही बेहोश हो जाए तो उसके आसपास एक किस्म की अफरा-तफरी सी मच जाती है. बेहोश आदमी के आसपास अगर दो आदमी भी मौजूद हों तो वे दो लोग ही मिलकर अनियंत्रित भीड़ बन सकते हैं. ऐसे अवसर पर लोग कुछ भी करने लगते हैं. कभी-कभार वे बेहोश आदमी को थपड़ियाकर पूछने लग सकते हैं कि तुम कैसे हो! या फिर बेहोश आदमी को पानी पिलाने के प्रयास में उसके मुंह में पूरा ग्लास या लोटाभर पानी उड़ेलकर उसकी श्वास नली को चोक कर सकते हैं, उसे जूता सुंघा सकते हैं, उसका दिल न भी बंद हुआ हो तब भी उसकी छाती पर चढ़कर ऐसी जबरिया मालिश कर सकते हैं कि बेहोशी टूटने पर वह पाए कि महीनों तक टूटी पसलियां दर्द कर रही हैं.

इन सब परिस्थितियों में होश वाले लोगों की ज्यादा गलती नहीं मानी जा सकती. दरअसल हमें पता ही नहीं होता कि ऐसी स्थिति में क्या करें और क्या न करें. इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर मैं कुछ ऐसी छोटी-छोटी बातें आपको बताने की कोशिश करूंगा जिनसे बेहोश आदमी को प्राथमिक सहायता देकर फिर उसे डॉक्टर के पास ले जाया जा सके.
इस सिलसिले में पहली बात तो यही है कि आप स्वयं न घबराएं. बेहोश आदमी के चारों तरफ तमाशबीनों की भीड़ न लगने दें. उसे हवा आने दें. कोई एक या दो व्यक्ति ही बेहोश आदमी को हैंडल करें. फिर यह देखें कि उसकी सांस चल रही है या नहीं. अगर सांस नहीं चल रही तो सर्वप्रथम हमें अपने मुंह द्वारा उसके मुंह में कृत्रिम सांस देनी होगी. कैसे दें? वास्तव में इस सवाल का उत्तर एक अलग आलेख मांगता है, जिस पर मैं फिर कभी लिखूंगा.
अभी हम मानकर चल रहे हैं कि मरीज बेहोश हुआ है और उसकी सांस चल रही है. अब इस स्थिति में आशंका है कि बेहोश व्यक्ति थूककर, खांसकर अपनी श्वास नली साफ नहीं कर सकता. यानी डर है कि कहीं श्वास नली थूक, गले में एकत्रित लार, बेहोश होते समय गिरकर चोट खाने से टूट गए दांत, चोट लगने के कट गई जीभ से निकल रहे खून, या नकली दातों के सेट के खिसककर गले में फंस जाने से बंद तो नहीं हो रही है. ऐसे में आप बेहोश हुए व्यक्ति के कपड़े ढीले कर दें, टाई-वाई निकाल दें या ढीली कर दें और गर्दन को एक तरफ करके उंगली में रुमाल लपेटकर उंगली द्वारा मुंह साफ कर दें. खून बह रहा हो तो तुरंत साफ कर दें. नकली दांत लगे हों तो उन्हें निकाल दें. बस, किसी भी तरह उसकी श्वास नली चोक न होने पाए, हमें यह देखना है.
यदि आदमी गिरकर न केवल बेहोश हुआ है, बल्कि उसे झटके भी आ रहे हों (जिन्हें हम मिर्गी का दौरा कहते हैं) तो? झटके रोकने का जबरिया प्रयत्न न किया जाए. पकड़-धकड़ करके, आदमी को दबोचकर हम झटके नहीं रोक सकते. बस ये करें कि ‘झटका खा रहे’ व्यक्ति के आसपास से ऐसी सभी चीजें हटा दें जिनसे टकराकर उसे चोट लग सकती हो.
ऐसे मरीज को जूता सुंघाने न बैठ जाएं. माना कि आपका जूता ऐसा गंधाता होगा कि अच्छे-अच्छे की बेहोशी तोड़ दे, लेकिन यह टोटका यहां न आजमाएं. मिर्गी के दौरे आमतौर पर एक निश्चित समय बाद निकल ही जाते हैं. मिर्गी की बेहोशी से जुड़ी एक बात और कि इस दौरान मरीज की ‘दत्ती’ बंध जाती है. मतलब कि बेहोश आदमी जोर से दांत भींचे रहता है. ऐसे में दांतों को जबरन खोलने, मुंह खोलकर उसमें चम्मच आदि घुसेड़ने की कोशिश बिलकुल भी न करें. इसका कोई फायदा नहीं है. आप इस अनावश्यक कोशिश में उसके दांत अवश्य तोड़ सकते हैं, या मुंह में चोट तो पहुंचा ही देंगे.
बेहोश आदमी की नाड़ी भी जरूर देख लें. न आती हो तो सीख लें. आखिर यह कोई कर्ण पिशाचिनी मंत्र नहीं है जिसे सिद्ध करना पड़ता हो. इसे आसानी से सीखा जा सकता है. बेहोश आदमी की यदि नाड़ी नहीं मिलती तो मान लें कि यह आदमी हार्ट (दिल) बंद होने के कारण बेहोश हुआ है. ऐसे आदमी में अगर दिल की धड़कन दोबारा शुरू नहीं हुई तो वह कुछ ही मिनटों में मर जाएगा. यह इमरजेंसी की स्थिति है. ऐसे मरीज को तुरंत ‘दिल की मालिश’ (कार्डियक मसाज) की आवश्यकता होती है. यह कैसे करें? यह भी वास्तव में अलग ही लेख का विषय है और इस पर फिर कभी विस्तार से चर्चा होगी. अभी इतना जान लें कि इसके लिए आपको उसकी छाती को, बीचों-बीच हथेली द्वारा तेज-तेज दबाकर दिल को हर मिनट में 60-70 बार दबाना पड़ता है. अगर यह न आता हो तो नाड़ी न मिलने की दशा में मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचा दें.
बेहोश व्यक्ति को कभी-भी खिलाने-पिलाने की कोशिश न करें. उसे तो होश नहीं है. ऐसे में खिलाई-पिलाई गई चीज उसके पेट की जगह फेंफड़े में जाकर जानलेवा साबित हो सकती है. यहां एक प्रश्न उठ सकता है कि डायबिटीज के केस में क्या हो? डायबिटीज का मरीज तो कभी रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर अचानक कम होने की वजह से भी बेहोश हो सकता है. तो यहां ध्यान रखें कि डायबिटीज का मरीज अगर अभी पूरी तरह बेहोश नहीं हुआ है. कुछ गफलत में है तो उसे कुछ मीठा खिलाने-पिलाने की कोशिश की जा सकती है. हां, लेकिन ऐसा करने में उसे ठसका लगे तो यह कोशिश तुरंत बंद कर दें.
तो इस पूरी चर्चा की कुल शिक्षा यह है कि अगर अगली बार किसी बेहोश आदमी को देखें तो अपना होश न खोएं और फिर उसे प्राथमिक चिकित्सकीय मदद देने की कोशिश करें.
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