आम तौर पर देश में प्रत्येक पार्टी आंतरिक रूप से लोकतांत्रिक और उदार होने का दावा करती है. हालांकि, इसकी पड़ताल करने और उनकी कार्यप्रणाली को देखने पर यह दावा अधिकांश मामलों में खारिज होता हुआ ही दिखता है. उदाहरण के तौर पर देश की बड़ी राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो इनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) खुद को ‘पार्टी विद अ डिफरेंस’ यानी अन्य पार्टियों से अलग बताती है. वह अक्सर ही दावा करती रहती है कि परिवारवाद और सबसे ऊंचे पायदान पर बैठे लोगों के प्रभुत्व जैसी जो बुराइयां दूसरी पार्टियों में हैं, वे उसके भीतर नहीं हैं.

हालांकि दूसरों के अलावा खुद पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेता इस बात से सहमत नहीं दिखते. कुछ समय पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके अरुण शौरी ने कहा था कि मोदी सरकार ढाई लोगों की सरकार है. उनके मुताबिक सरकार को किस तरह चलाना है, यह ढाई लोग ही तय करते हैं. राजनीति के गलियारों में माना गया कि अरुण शौरी जिनकी बात कर रहे हैं वे नरेंद्र मोदी, अमित शाह और आधे के रूप में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं.

मोदी सरकार को लेकर बागी रुख अपनाए हुए भाजपा के इस वरिष्ठ नेता के दावे की पुष्टि भाजपा के ट्विटर हैंडल से भी करीब-करीब होती दिखती है. भाजपा ने अक्टूबर, 2010 में ट्विटर पर अपना अकाउंट (@BJP4India) बनाया था. फिलहाल सोशल मीडिया के इस प्लेटफॉर्म पर पार्टी के करीब 1.10 करोड़ लोग फॉलोअर्स हैं. वहीं, भाजपा ट्विटर पर जिन्हें फॉलो करती है, उनकी संख्या हाथों पर गिनने लायक केवल दो है. इनमें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और नरेंद्र मोदी हैं.

इस सूची से पार्टी के पूर्व अध्यक्ष भी गायब हैं. साल 2010 से अब तक अमित शाह के अलावा नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इनके अलावा यदि भाजपा की वेबसाइट पर जाएं तो पार्टी की लीडरशिप सूची में नरेंद्र मोदी के साथ लाल कृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह का नाम भी शामिल है. लेकिन पार्टी विपक्ष को तो छोड़िए, अपने भी केवल दो शीर्ष नेताओं को फॉलो करने लायक समझती है. बाकी किसी को नहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पार्टी की नींव रखने वाले लाल कृष्ण आडवाणी को भी नहीं.

इस तरह का रवैय्या केवल भाजपा में ही नहीं दिखता. देश में समाजवाद का नारा बुलंद करने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) अपने ट्विटर हैंडल (@samajwadiparty) पर नाम के ठीक उलट व्यवहार करती हुई दिखती है. पार्टी ने केवल पांच अकाउंटों को फॉलो कर रखा है. इनमें व्यक्तिगत अकाउंट की बात करें तो केवल सपा प्रमुख अखिलेश यादव ही हैं जिन्हें उनकी पार्टी का ट्विटर हैंडल फॉलो करता है. इनके अलावा समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश (@MPSamajwadi ‏), काम बोलता है (@Kaamboltahai ), समाजवादी पार्टी मीडिया (@MediaCellSP ‏) और समाचार एजेंसी एएनआई यूपी (@ANINewsUP ‏) है. भाजपा की तरह सपा भी ट्विटर पर न तो पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव या किसी अन्य वरिष्ठ नेता को फॉलो करती है और न ही सपा सांसद डिंपल यादव को. हालांकि, डिंपल यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के फॉलोइंग की सूची में जरूर दिखती हैं.

समाजवादी पार्टी का ट्विटर अकाउंट
समाजवादी पार्टी का ट्विटर अकाउंट

आज से चार साल पहले सितंबर, 2014 में अपना ट्विटर हैंडल (@RJDforIndia) शुरू करने वाला राजद केवल सपा की डिंपल यादव को ही फॉलो नहीं करता है. इस पार्टी की फॉलोइंग लिस्ट में भाजपा के जयंत सिन्हा के साथ-साथ करीब करीब सभी प्रमुख पार्टियों के कोई न कोई नेता दिख जाते हैं. हालांकि, राजद का यह रुख न तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लिए दिखता है और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए. पार्टी 375 ट्विटर अकाउंटों को फॉलो करती है लेकिन, इससे भाजपा के दोनों बड़े नेता गायब हैं. यानी फॉलो करने के मामले में राजद भाजपा और सपा की तुलना में अधिक उदार तो दिखती है लेकिन, एक दायरे के भीतर ही.

दूसरी ओर, फॉलो करने के मामले में कांग्रेस अन्य पार्टियों के मुकाबले सबसे अधिक उदार दिखती है. पार्टी ने कुल 2,509 अकाउंटों को फॉलो कर रखा है. हालांकि, संसद में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के उलट पार्टी का ट्विटर हैंडल प्रधानमंत्री को गले लगाने से बचता है. साथ ही, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी कांग्रेस की फॉलोइंग सूची से बाहर हैं. वहीं, पार्टी ने एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार के फर्जी ट्विटर अकाउंट (@RavishInc) और सैमसंग कंपनी (@Samsung) को भी फॉलो कर रखा है, साथ ही, अर्बन नक्सल (@Solacezz ‏) नाम का ट्विटर अकाउंट भी कांग्रेस की फॉलोइंग सूची में शामिल है.

वहीं, पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (@AITCofficial) ने ट्विटर पर पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ डेरेक ओ ब्रायन, अभिषेक बनर्जी, दिनेश त्रिवेदी और सुदीप बंद्योपाध्याय सहित 13 ट्विटर हैंडल को फॉलो कर रखा है. यही स्थिति तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक पार्टी (@AIADMKOfficial) के साथ भी है. मुख्यमंत्री कार्यालय, ईके पलानीसामी और ओ पन्नीरसेल्वम ही पार्टी की फॉलोइंग सूची में हैं. इनके अलावा सीपीएम (@cpimspeak), एनसीपी (@NCPspeaks) और बीजेडी (@bjd_odisha) के ट्विटर अकाउंटों ने अपने-अपने नेताओं के साथ कुछ मीडिया संस्थानों को फॉलो किया हुआ है. इन सभी ने अन्य पार्टियों के नेताओं को इस सूची से बाहर ही रखा हुआ है.

देश की बड़ी राजनीतिक पार्टियां ट्विटर पर किनको फॉलो करती हैं, इस बात से आगे बढ़ें तो उनके ट्वीट भी कई अनकही बातों की ओर इशारा करते हैं. बीते एक महीने के दौरान भाजपा के ट्वीटों का अध्ययन करने पर यह बात सामने आती है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों को अधिक जगह दी जाती है. इनके साथ बीच-बीच में अरुण जेटली के भी बयान दिख जाते हैं. इसके अलावा मोदी सरकार की उपलब्धियों को आकर्षक ग्राफिक्स के जरिये जनता के सामने परोसा जाता है. हालांकि, तेल की कीमतों पर पोस्ट किया गया एक ग्राफिक पार्टी के लिए शर्मिंदगी का मुद्दा बन गया था.

इसके अलावा भाजपा के ट्विटर हैंडल पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर किए गए ट्वीट भी बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं. पार्टी नेताओं और प्रवक्ताओं (खासकर संबित पात्रा) द्वारा राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करने और जवाबी हमले को ट्वीटों के जरिये काफी जगह दी जाती है. यह इस ओर संकेत करता है कि भाजपा नेता भले ही राहुल गांधी को गंभीरता से न लेने की बात करते हों, लेकिन रफाल सहित अन्य मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर उनके हमलों ने पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी हैं.

दूसरी ओर, कांग्रेस मोदी सरकार पर तेल की बढ़ती कीमतों और महंगाई को लेकर लगातार निशाना साधती रहती है. इनसे जुड़े ट्वीट बड़ी संख्या में कांग्रेस के ट्विटर अकाउंट पर नजर आते हैं. इसके अलावा पूर्व कांग्रेसी नेताओं के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर बधाई देने से संबंधित ट्वीट भी बीच-बीच में दिखाई देते हैं. वहीं, कांग्रेस दूसरी पार्टियों के नेताओं और कई खबरों को रीट्वीट भी करती है. इन सभी राजनीतिक ट्वीटों के अलावा पार्टी जापान की नाओमी ओसाका को यूएस ओपन (2018) खिताब जीतने पर बधाई देने से नहीं चूकती.

वहीं, सपा के ट्वीटों में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ही नजर आते हैं. इनके अलावा पार्टी के आयोजनों की भी तस्वीर दिखती है. लेकिन, राज्य की आदित्यनाथ सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने को लेकर ट्वीट न के बराबर दिखते हैं. दूसरी ओर, राजद का ट्विटर हैंडल अपने शीर्ष नेताओं – लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के ट्वीट को लगातार रीट्वीट करता है. साथ ही, पार्टी मोदी सरकार और भाजपा के साथ राज्य की नीतीश सरकार पर भी कोई निशाना साधने से चूकती नहीं दिखती. दूसरी ओर, सीपीएम और एनसीपी मोदी सरकार के विरोध को अधिक जगह देते हैं तो तृणमूल कांग्रेस और बीजेडी अपनी-अपनी सरकार की उपलब्धियों को.