आज 14 सितंबर, यानी हिंदी दिवस है और अमूमन हर बार की तरह आज भी सोशल मीडिया में इस पर खूब चर्चा हुई है. यहां एक बड़े तबके ने एक दूसरे को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी हैं. इसके साथ ही कई लोगों ने हिंदी की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए अपनी-अपनी तरह से सुझाव भी दिए हैं. पाणिनी आनंद ने फेसबुक पर लिखा है कि जब तक देश के नीति निर्धारक और प्रशासक अंग्रेज़ी में सोचते, पहनते, पहचानते, कहते रहेंगे हिंदी का भला कतई नहीं होगा.

इसके अलावा फेसबुक और ट्विटर पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु का एक बयान भी चर्चा में है. हिंदी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने हिंदी के महत्व पर जोर देते हुए कहा है कि अंग्रेजी एक ‘बीमारी’ है जिसे अंग्रेज जाते-जाते भारत में छोड़ गए हैं. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनके इस बयान के समर्थन और विरोध में प्रतिक्रियाएं दर्ज की हैं.
वहीं हमेशा की तरह सोशल मीडिया में हिंदी दिवस पर विरोध के स्वर भी सुनाई पड़े हैं. ज्यादातर वे लोग जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है, हिंदी दिवस पर सवाल उठाए हैं. ट्विटर हैंडल @vishalvng पर प्रतिक्रिया है, ‘हिंदी दिवस कोई सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक आयोजन है. इस दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा देकर अन्य भारतीयों पर थोपना शुरू किया गया था...’
सोशल मीडिया में हिंदी दिवस पर आई कुछ और दिलचस्प प्रतिक्रियाएं :
इस हिंदी दिवस पर हम श्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की महासभा में हिंदी में भाषण देने वाले पहले भारतीय नेता थे...
This Hindi Diwas Remembering Shri Atal Bihari Vajpayee, The first Indian leader who took UN assembly by storm for delivering a speech in Hindi. Let's Relive the moment of immense pride, bringing Hindi at the international platform!#FridayFeeling#हिंदीदिवस #हिंदी_दिवस pic.twitter.com/oRp5eJFJJO
— Geetika Swami (@SwamiGeetika) September 14, 2018
मीडिया और सिनेमा में दिखने वाली हिंदी असल में फूले पेट की तरह है. उसे अच्छी सेहत मानना नादानी है.
आज हिंदी दिवस है, अंग्रेजी विरोधी दिवस नहीं. अगर आप इसे मनाना चाहते हैं तो कुछ अच्छा हिंदी साहित्य पढ़िये... प्रेमचंद से शुरुआत करना बढ़िया रहेगा.
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने हिंदी को बीमारी बताया है.. जबकि इसके उलट शुद्ध हिंदी बीमारी है और इसे (एलोपैथिक) दवाओं की सख्त जरूरत है.
हिंदी की उंगली पकड़ कर खड़ा हुआ हूं
इसी आंगन की मिट्टी में बड़ा हुआ हूं...
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