इंसान के बाल से जुड़े इस सवाल का जवाब खोजने से पहले जरा इनके इतिहास पर नजर डाल लेते हैं. करीब तीस लाख साल पहले के मनुष्य की बात करें तो वह बालों से बिल्कुल ढका हुआ था. उस फरनुमा बालों वाले मनुष्य की तुलना में आज का मानव एकदम नंगा कहा जाएगा. वैज्ञानिक बताते हैं कि जब भौगोलिक परिस्थितियां बदलीं और धरती का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा तो इंसान दिन में ज्यादा वक्त बाहर बिताने लगा और इसी क्रम में उसने दो पैरों पर चलना शुरू कर दिया. इसका असर यह हुआ कि उसका शारीरिक ढांचा बदलने के साथ-साथ ज्यादा समय तक सूरज की रोशनी में रह सकने यानी पसीने के जरिए तापमान नियंत्रण करने की क्षमता विकसित हो गई. ऐसा माना जाता है कि शुरूआती मनुष्य में आए यही दो बदलाव आगे चलकर उसके शरीर पर फैले बालों के कम होते जाने की वजह बने. इस तरह मनुष्य के रोम-रोम को उसका वर्तमान स्वरूप मिला.

हालांकि यह तर्क इस प्रचलित धारणा को भी खत्म करता लगता है कि शरीर पर बाल उसे धूप और धूल से बचाने के लिए होते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, ज्यादातर वैज्ञानिक इसे प्रकृति की विरोधाभासी मगर कारगर व्यवस्था करार देते हैं. वे बताते हैं कि सिर और भौहों के बाल असल में आपको धूल और गर्मी से बचाने के लिए ही होते हैं. इन बालों में पसीना और हवा रुकने के चलते शरीर और वातावरण के तापमान में थोड़ा अंतर बना रहता है, जिससे शरीर अचानक ठंडा या गर्म होने से बच जाता है.

इससे जरा हटकर, बगल या यौनांगों के पास पाए जाने वाले बालों को मनुष्य की पहचान और सेक्शुएलिटी का हिस्सा बताया जाता है. हर मनुष्य में उसकी अपनी एक गंध होती है और बाल उन्हें शरीर में रोककर रखते हैं. शोध बताते हैं कि एक मनुष्य, दूसरे मनुष्य की गंध को पसंद करता है और पहचान सकता है. उदाहरण के लिए बच्चा अपनी मां को उसकी गंध से भी पहचानता है. इसके अलावा सेक्स संबंधों में भी यह बालों द्वारा मनुष्य की गंध को शरीर में रोका जाना एक खास भूमिका अदा करता है. इस तरह ये बाल आज भी उपयोगी हैं, इसमें कोई शक नहीं है.

अब अपने मूल सवाल पर आते हैं और शरीर पर कई तरह के बालों के होने की वजह से पहले ये जानते हैं कि ये कितने तरह के होते हैं. असल में उम्र के अलग-अलग पड़ावों पर मनुष्य के शरीर पर पाए जाने वाले बाल तीन तरह के होते हैं – लैन्युगो हेयर, वेलस हेयर और टर्मिनल हेयर. लैन्युगो हेयर्स नवजात शिशुओं के शरीर पर दिखाई देने वाले वे पतले-नर्म बाल होते हैं जो जन्म के पहले या जन्म के कुछ ही दिनों बाद गायब हो जाते हैं. वेलस हेयर, बचपन में नाभि, कान, होंठों पर दिखाई देने वाले बाल होते हैं. टर्मिनल हेयर, सिर के काले और घने बाल इसी श्रेणी में आते हैं और ये सारी उम्र इंसान के शरीर पर रहने वाले बाल होते हैं. जब कोई व्यक्ति किशोरवय में कदम रखता है तो प्यूबिक एरिया और बगल के वेलस हेयर्स, टर्मिनल हेयर्स में बदल जाते हैं. पुरुषों में ऐसा चेहरे, सीने और पैर के बालों के साथ भी होता है.

सिर के बाल जहां जन्म से ही शरीर पर होते हैं, वहीं दाढ़ी-मूंछ सहित बाकी बाल एक निश्चित उम्र पर हुए बदलावों की देन होते हैं इसलिए इनकी प्रकृति अलग होती है. सिर के बालों के बढ़ने की रफ्तार ज्यादा होती है और ये कई सालों तक कई मीटर की लंबाई तक बढ़ सकते हैं. इससे अलग दाढ़ी और प्यूबिक एरिया के बाल बहुत धीमी गति से एक निश्चित लंबाई तक ही बढ़ते हैं. इसकी एकमात्र वजह इनका हार्मोन से प्रभावित होना होता है.