संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते देश में बारिश के सिलसिले पर असर पड़ सकता है. लंबे समय तक मानसून कम हो सकता है.
यूएन का कहना है कि इससे भारत को बड़े स्तर पर वित्तीय नुकसान भी हो सकता है. वायु प्रदूषण पर आयोजित पहले वैश्विक सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट ‘एशिया और प्रशांत में वायु प्रदूषण और विज्ञान आधारित समाधान’ में ये बात कही गई है. इस रिपोर्ट में प्रदूषण के कई पहलूओं को शामिल किया गया है जिसमें भारत को भी जोड़ा गया है. द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की हवा में मौजूद पीएम 2.5 कणों की वजह से कहीं बहुत अधिक बारिश हो सकती है, कहीं बहुत कम. हालांकि रिपोर्ट में प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना भी की गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में घरेलू कारणों की वायु प्रदूषण में हिस्सेदारी 22-52 प्रतिशत है. अगर घरों में ईंधन के रूप में जीवाश्मों को जलाना बंद कर दिया जाता है तो प्रदूषण को कम किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा करने से 20 लाख लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है. रिपोर्ट के अनुसार 1995 से 2014 के बीच में भारत में पीएम 2.5 कणों की मात्रा उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है. वायु प्रदूषण में वृद्धि के साथ दिल का दौरा, कैंसर और सांस संबंधी दूसरी कई बीमारियां बढ़ी हैं.
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