आजकल डॉक्टर लोग कई लोगों को जांच-वांच करके यह बताते हैं कि आपको दरअसल ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ नामक परेशानी है. पर वे प्राय: यह साफ नहीं करते कि यह ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ आखिर क्या बला है. मरीज के पूछने पर भी डॉक्टर अक्सर यही जवाब देते हैं कि इसके होने से आगे जाकर आपको हार्ट अटैक या लकवे का स्ट्रोक पड़ सकता है. बस. इससे ज्यादा बताया भी तो इंसुलिन रेजिस्टेंस, बहुत ज्यादा पेरिटोनियल फैट जैसी तकनीकी शब्दावली का वह जंगल खड़ा कर देते हैं जहां आपके हाथ को हाथ नहीं सूझता. इसके बाद आप शून्य में चक्कर लगाते रह जाते हैं.

मुझे लगता है कि हर शख्स को ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ का थोड़ा-बहुत सिर-पैर पता तो होना ही चाहिए. ऐसा माना जाता है कि लगभग 24 प्रतिशत वयस्कों में तथा 44 प्रतिशत साठ वर्ष से ऊपर की उम्र वालों में यह विकार मौजूद हो सकता है. संभव है कि उन्हें कोई तकलीफ न हो रही हो तब भी इसके बारे में जानकारी होगी तो इसे कंट्रोल भी कर लेंगे. कंट्रोल कर लेंगे तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का रिस्क भी बहुत कम कर सकेंगे.
तो आइए अब समझते हैं कि आखिर यह ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ है क्या बला?
इस विकार में शरीर के अंदर ही अंदर मानो एक षड्यंत्र सा चल पड़ता है. आपके लीवर और पेट के अंदर की चर्बी में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है. यह बात ऊपर से पता भी नहीं चलती. जरूरी नहीं कि आप मोटे लगें पर अंदर खतरनाक वाली चर्बी बढ़ जाती है. यह खून में घुलकर अंतत: दिल और दिमाग की नलियों में जमा होकर उन्हें अवरुद्ध करती रहती है. शरीर में इंसुलिन बनती अवश्य है परंतु शरीर पर उसका जरूरी असर ही नहीं होता. इसी को डॉक्टर लोग ‘इंसुलिन रेजिस्टेंस’ की स्थिति कहते हैं. नतीजा? ऐसे शख्स की ब्लड शुगर बढ़ी रहती है. अंतत: उसे डायबिटीज भी हो सकती है.
इससे खून की नलियों में खुद को तनावमुक्त रखने का गुण भी समाप्त हो जाता है. वे अब ‘रिलैक्स’ नहीं हो पातीं. इससे रक्तचाप बढ़ा रह सकता है. रक्त में खराब किस्म के कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाते हैं. खराब कोलेस्ट्रॉल का खोटा सिक्का चलता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल के खरे सिक्के की कीमत कम हो जाती है. और यह सारा उत्पात उस आदमी के शरीर में चल रहा है जो ऊपर से एकदम स्वस्थ महसूस कर रहा है. जब स्वस्थ हैं तो जांच भी क्यों कराना? फिर एक दिन उसे हार्ट अटैक आ जाता है या डायबिटीज निकल आती है या ऐसा ही कुछ हो जाता है जो उसके हिसाब से एकदम अनेपक्षित था पर डॉक्टर की नजर में इतना अपेक्षित था कि ये तो होना ही था. न होता तो आश्चर्य कहलाता. तो कैसे पता चले कि मुझे ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ है अथवा नहीं?
डॉक्टर के पास जाएं. रुटीन मेडिकल चेकअप कराएं. डॉक्टर की सलाह पर कुछ ब्लड शुगर तथा कोलेस्ट्रॉल की जांच. बस. इस सबसे यदि यह पता चले कि :
1. यदि आप औरत हैं तो आपकी कमर 35 इंच से ज्यादा है और यदि आप आदमी हैं तो 40 इंच से ज्यादा है.
2. आपका अच्छा कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) कम है (औरतों में 50mg/dl से कम और आदमी में 40 mg/dl से कम),
3. आपका खराब कोलेस्ट्रॉल (ट्राईग्लिसराइड्स) 150 mg/dl से ज्यादा है.
4. आपका रक्तचाप 130/180 से ज्यादा है.
5. खाली पेट ब्लड शुगर 100 mg/dl से ज्यादा है.
तो जान लें कि आपको ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ है. आप ऊपर से तो स्वस्थ दिखते हैं परंतु आपकी मेटाबोलिज्म, आपका ऊर्जा पैदा करने का सिस्टम, आपका इंजन खराब चल रहा है तो यह किसी भी दिन जरूर बैठ जाएगा. आप तेजी से डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक तथा स्ट्रोक की दिशा, में जा रहे हैं.
तो मैं अब क्या करूं, डॉक्टर साहब? मैं तो जांच कराके फंस गया, साहब. चिंता में डाल दिया आपने तो. कोई दवाई बताइए ना. कैसे इस ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ नामक छिपे दुश्मन को कंट्रोल किया जाए? क्या करें यदि जांच में ऐसा निकल आए? और कुछ भी न करूं तो? देखिए, यदि इसका पता चल जाए तो इसे नजरअंदाज मत करें. ऐसा किया तो यह रास्ता अंतत: आपको उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हार्ट अटैक तथा स्ट्रोक की तरफ ले जाएगा. इसे कंट्रोल करने के लिए यह सब करें जो मैं बता रहा हूं.
1. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ज्यादा न खाएं. आवश्यकता से अधिक कैलोरी ही इसकी जड़ है. अपनी भूख से एकाध रोटी कम ही खाएं.
2. हाई कैलोरी बम टाइप के भोज्य पदार्थ विशेष तौर पर शक्कर, घी और तेल में बने हुए खाने-पीने के पदार्थ बहुत कम कर दें.
3. शक्कर बंद करके शुगर फ्री सेकरिन टाइप कुछ खा लूं क्या? नहीं, बनावटी मीठापन पैदा करने वाली चीजें अंतत: वजन तथा कैलोरी बढ़ाती ही हैं. कैसे बढ़ाती हैं यह फिर कभी बताऊंगा.
4. खाना खाने के बाद फल खाएं और साथ में सलाद भी. फलों को भोजन के तुरंत बाद खाने से एंटी ऑक्सीडेंट वाला लाभदायक प्रभाव पड़ता है जो खाली पेट खाए गए फलों से उतना नहीं मिलता.
5. वैज्ञानिक अध्ययन बताता है कि खाने से ठीक पूर्व यदि 300 मिलिलीटर बीयर या 150 मिलिलीटर वाइन या 45 मिलिलीटर शराब ली जाए तो यह ‘मेटाबॉलिक सिंड्रोम’ को ठीक करने में बेहद मददगार है. परंतु याद रहे कि बस इसी मात्रा में, यदि इससे ज्यादा ली तो बेहद खराब असर भी होता है. यदि आप इस मात्रा में रूकने की इच्छा शक्ति रखते हैं तो यह सलाह आपके लिए है. यदि आप मेरी सलाह के बहाने दारू पीना चाहते हैं तो क्षमा करें.
6. कॉफी पीने से भी इसमें फायदा होगा. कॉफी, चाय, मछली, और मछली का तेल आदि भी फायदा करते हैं.
7. वजन कम करें.
8. नियमित व्यायाम करें. आप कहेंगे कि मैं जब चाहे जिस बहाने से वजन कम करने और व्यायाम करने की सलाह को बीच में घसीट ही लाता हूं. क्या करूं? ये दो बातें आपकी बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याओं का शर्तिया समाधान हैं. कभी करके देखें.
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें | सत्याग्रह एप डाउनलोड करें
Respond to this article with a post
Share your perspective on this article with a post on ScrollStack, and send it to your followers.