27 बरस की उम्र में जब कमल हासन ने हिंदी फिल्मों का रुख किया तब वे दक्षिण भारत में फिल्मों का शतक लगभग बनाने ही वाले थे. ‘एक दूजे के लिए’ उनकी 98वीं या 99वीं फिल्म रही होगी क्योंकि इसी साल यानी 1981 में रिलीज हुई ‘राजा पारवई’ के नाम उनकी 100वीं फिल्म होने का सम्मान भी दर्ज है. महज छह साल की उम्र से अपना फिल्मी करियर शुरू करने वाले कमल हासन के लिए यह रिकॉर्ड इतनी कम उम्र में बना लेना बहुत मुश्किल बात नहीं रही होगी.

के बालाचंद्रन निर्देशित ‘एक दूजे के लिए’ उनकी पहली हिंदी फिल्म थी जो उन्हीं की सुपरहिट तेलुगु फिल्म ‘मारो चरित्र’ का हिंदी रीमेक थी. आज से करीब चार दशक पहले रिलीज हुई यह फिल्म न सिर्फ तब ब्लॉकबस्टर थी, आज भी कल्ट क्लासिक में गिनी जाती है. उस बरस का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के अलावा यह फिल्म फिल्मफेयर अवार्ड्स की 13 अलग-अलग कैटेगरी में नॉमिनेट हुई थी और बेस्ट एडिटिंग, लिरिक्स और स्क्रीनप्ले के लिए यह अवॉर्ड जीता भी. आज तक इस फिल्म से जुड़े किस्से न सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री बल्कि आमलोगों में भी सुने-सुनाए जाते हैं. इनमें से सबसे चर्चित वे हैं जिनमें बताया जाता है कि फिल्म के रिलीज होने के बाद कैसे कई प्रेमी जोड़ों ने आत्महत्या कर ली थी. इसी के चलते फिल्म की अपार सफलता के बावजूद कमल हासन के पास इस फिल्म से जुड़ा पछतावा भी है और यह बात वे बार-बार जताते रहे हैं.

हिंदी नायिका और तमिल नायक की ट्रैजिक प्रेम कहानी ‘एक दूजे के लिए’ के जरिए कमल हासन के साथ-साथ रति अग्निहोत्री और गायक एसपी बालासुब्रमण्यम ने भी डेब्यू किया था. फिल्म के शुरुआती दृश्यों में ही हिंदी ना जानने वाले इस सुंदर-सजीले, भोले मगर शैतान नायक से आपकी मुलाकात करवाई जाती है. इसके बाद पूरी फिल्म में वे दृश्य उंगलियों पर भी गिने जा सकते हैं जिनमें कमल हासन मौजूद ना हों. हालांकि इंटरवल तक उनके हिस्से आने वाले संवाद न के बराबर होते हैं, फिर भी उनका चार्म और किरदार के मुताबिक की गई आड़ी-तिरछी हरकतें आपका ध्यान उन पर बनाए रखने में पूरी तरह सफल होती हैं.

फिल्म के दूसरे हिस्से में कमल हासन खुशी और गम के वे तमाम एक्सप्रेशन्स देते दिखते हैं जो बाद में उनकी ‘सदमा,’ ‘सागर’ या ‘चाची-420’ में और विस्तार से नजर आते हैं. इस हिस्से में उन्हें लंबे-लंबे हिंदी संवादों को अपने दक्षिण भारतीय उच्चारण के साथ बोलते हुए सुना जा सकता है. एक घोर फिल्मी आशिक के उनके इस किरदार को, उसकी सारी विशेषताओं को देखो तो लगता है कि इसे शायद उनके अलावा कोई और नहीं निभा सकता था. रजनीकांत भी नहीं! इसके बावजूद उस समय के हिंदी फिल्मों के पैमानों पर देखें तो उस वक्त यह कह पाना मुश्किल रहा होगा कि दक्षिण भारत का यह गोरा-चिट्टा सुपरस्टार बॉलीवुड में अपनी जगह बना पाएगा या नहीं, पर शायद फिल्म की अपार सफलता ने सब बदल दिया.

क्लासिकल डांस में ट्रेंड कमल हासन अपनी पहली फिल्म में अपना यह हुनर भी दिखाते हैं. फिल्म में एक्शन सीन ना होने की भरपाई वे इसी से करते हैं. आज इस फिल्म को देखकर लगता है कि शायद ‘एक दूजे के लिए’ के कल्ट फिल्म बन जाने की एक बड़ी वजह यह भी थी कि इसका नायक, उन सारे मानकों पर अनफिट था जो उस वक्त बंबइया फिल्मों के लिए जरूरी समझे जाते थे. आज राजनीति में किस्मत आजमाने की कोशिश कर रहे इस नायक की पहली फिल्म देखकर उनके गुजर चुके ‘भविष्य’ का साफ अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता, पर यह जरूर कहा जा सकता है कि कमल हासन में कुछ तो था जो दर्शकों से कह गया - वी आर मेड फॉर ईच अदर, समझे!