ताइवान में शनिवार को स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदान हो रहा है. हालांकि चीन इस चुनाव के पक्ष में नहीं है. इसे न कराने के लिए ताइवान की आज़ादी समर्थक सरकार पर दबाव भी है. फिर भी राष्ट्रपति साई इंग-वेन यह चुनाव करा रही हैं.
ताइवान के इस चुनाव को देश की चीन से पूरी आज़ादी के मसले पर जनमत संग्रह भी माना जा रहा है. इन चुनावों से ताइवान के 22 शहरों के महापौर, काउंटी मजिस्ट्रेट (नगर पालिका अध्यक्ष जैसे) और नगरीय-कस्बाई निकायों के हज़ारों जनप्रतिनिधियों को चुना जाना है. यहां बताते चलें कि ताइवान की अपनी सरकार, अपना राष्ट्रपति, मुद्रा और सेना है. फिर भी इसे पूर्ण राष्ट्र का दर्जा नहीं है. आधिकारिक तौर पर इसका नाम ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ है और यह ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ यानी चीन गणराज्य का हिस्सा है.
हालांकि 2016 में साई इंग-वेन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से आज़ादी समर्थक बहुसंख्यक ताइवानियाें को उम्मीद जगी है कि नई सरकार देश को चीन के प्रभुत्व से आज़ादी दिला देगी. इसकी वज़ह ये है कि ख़ुद इंग-वेन भी ताइवान की आज़ादी की पक्षधर हैं. इसीलिए उनके लिए इन निकाय चुनावों के नतीज़े काफ़ी मायने रखेंगे. क्योंकि इन में जीत से उन्हें अपना एजेंडा लागू करने में मदद मिलेगी. वे राष्ट्रपति बनने के बाद से अब तक लगातार चीन से एक निश्चित दूरी बनाकर और देश की स्वायत्ता बचाकर चल रही हैं.
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