जब भी हम किसी बीमार को देखते हैं तो मन में सवाल उठता है कि क्या कभी मेरे साथ भी ऐसा हो सकता है. गौतम बुद्ध के मन में उठे ऐसे ही प्रश्नों ने उन्हें बैरागी बना दिया था. यूं हमें बैरागी होने का कोई डर नहीं. उतनी गहराई से हम जीवन के प्रश्नों से जूझते ही कहां हैं! अभी जब कहीं किडनी फेल होने वाला कोई मरीज देखा तो सहज ही प्रश्न उठा कि क्या मुझे किडनी फेल होने का कोई रिस्क है. है तो इससे कैसे बचूं? यहां मैं आपकी इन्हीं जिज्ञासाओं को शांत करने की कोशिश करूंगा.

उम्र बढ़ने के साथ-साथ गुर्दे (किडनी) के फिल्टरों की क्षमता कम होती जाती है. मतलब कि अधिक उम्र वाले लोगों के गुर्दे खराब होने का चांस भी अधिक होता है. तो बढ़ती उम्र में हमें इस बीमारी के प्रति और भी सचेत हो जाना चाहिए. मैं आज जो भी बताऊंगा वह यूं तो हर उम्र पर लागू होता है परंतु बढ़ती उम्र पर और भी ज्यादा लागू होता है.
कुछ विशिष्ट बीमारियां तथा स्थितियां हैं, जिनमें किडनी फेल होने के चांस बढ़ जाते हैं.
(क) उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
हाई बीपी गरीब की लुगाई टाइप बीमारी है. यानी ऐसी भौजाई जिसकी परवाह नहीं की जाती. यानी हाई बीपी अंदर-अंदर बढ़ता रहता है, बड़ी तकलीफ नहीं देता तो हम उसका इलाज भी नहीं कराते. ‘हां, हाई बीपी निकला तो था और कुछ दिन दवाइयां भी चलीं पर फिर कुछ तकलीफ नहीं थी सो बंद कर दीं.’ ‘मुझे कभी हाई बीपी टाइप लगता है तो तभी एक-दो दिन तक गोलियां खा लेता हूं बस.’ ‘अपन तो पांच साल पहले बताई दवाई बिना चेकअप के खाए जा रहे हैं.’ ऐसे बहुत से भ्रामक, रोचक और दुस्साहसी बयान मैं रोज ही अपने मरीजों से सुना करता हूं. सबसे ज्यादा किडनी फेल्योर इन्हीं लोगों में देखा जाता है. तो इनको मेरी सलाह है :
- यदि आपको हल्का-सा भी हाई बीपी, कभी भी बताया गया हो तो नियमित चेकअप कराएं और दवाएं भी नियमित लें.
- बीपी 130/80 के आसपास रखें. इसके लिए अपने महसूस करने पर न जाएं बल्कि हमेशा जांच करवाएं.
- डॉक्टर ने जिस डोज में दवा दी है उतनी ही लें.
- साल में एक बार किडनी व अन्य टेस्ट जरूर कराएं.
- किडनी की बीमारियों से भी उच्च रक्तचाप हो सकता है, सो पहली बार हाई बीपी निकले तो किडनी संबंधित सारी जांचें अवश्य करा लें.
(ख) डायबिटीज (मधुमेह)
दुनिया में किडनी फेल होने में बहुत बड़ा प्रतिशत डायबिटीज के रोगियों का है. कम उम्र में होने वाली डायबिटीज (जिनमें बच्चे तथा जवान इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने को मजबूर होते हैं. जिसे टाइप 1 डायबिटीज कहते हैं.) तो किडनी फेल करती ही है, अधेड़ों तथा बड़ी उम्र वालों की (टाइप 2) डायबिटीज में भी दस वर्षों के बाद (कभी-कभी पहले भी) किडनी फेल होने के चांस बहुत होते हैं. डायबिटीज है तो किडनी फेल होने के मार्ग पर कदम रखे ही जा चुके हैं. इससे बचने के लिए डायबिटीज रोगी यह करें :
- डॉक्टरी सलाह पर नियमित ब्लड शुगर टेस्ट कराएं.
- साल में एक बार किडनी की रक्त जांचें अवश्य कराएं.
- साल में एक बार पेशाब की (माउक्रोएल्बुमिन) जांच कराएं. इससे पता चलेगा कि डायबिटीज ने किडनी पर असर शुरू किया है या नहीं. यदि पेशाब में माइक्रोएल्बुमिन की मात्रा ज्यादा है तो कुछ और भी दवाइयां लेनी होंगी ताकि यह प्रक्रिया यहीं रुक सके.
- यदि डायबिटीज के साथ आपको हाई बीपी भी है तो यह कोढ़ में खाज वाली स्थिति है. हर डायबिटीक को अपनी बीपी 130/80 से नीचे ही रखना है. विशेष तौर पर यदि आपके पेशाब में माइक्रोएल्बुमिन आ रहा हो, तब तो वांछित बीपी (टार्गेट बीपी) 120/80 या उससे नीचे मानकर चलें. जितना बीपी ठीक रखेंगे उतना ही किडनी सुरक्षित रहेगी.
(ग) दर्द निवारक (एनालजेसिक) औषधियों से किडनी का खराब होना
उम्र बढ़ती है तो कमरदर्द, घुटनों का दर्द तथा अन्य जोड़ों के दर्द परेशान करते हैं. विशेष तौर पर गृहिणियों को. ये लोग प्राय: दर्द निवारक दवाइयां खाकर काम करते रहते हैं. यह कभी नहीं सोचते कि इन दवाओं से वे अपने गुर्दे खराब कर रहे हैं. ये दवाइयां डायबिटीज और बीपी द्वारा पहले से मुसीबत में पड़े गुर्दों को और भी खराब कर सकती हैं. ये कतई सुरक्षित नहीं है. चमड़ी पर मली जाने वाली औषधि का भी 6-8% हिस्सा जज्ब होकर रक्त में घुस जाता है. गोली की भांति यह भी हानि पहुंचा सकती है.
दर्द की गोलियां बहुत जरूरत होने पर ही खाएं. मैं तो कहूंगा कि डॉक्टर भी यदि नियमित लेने के लिए लिख दे तो भी नियमित न खाएं, बहुत दर्द हो तभी लें.
(घ) अन्य कुछ बातें
बहुत सी अन्य बातें हैं परंतु लिखने की जगह तथा आपका धैर्य, दोनों सीमित हैं. ज्ञान चर्चा सुनना और गुनना भी एक सीमा तक चलता है. तो बंद करने से पहले चंद पंक्तियां और :
- आजकल कई प्रकार की एंजियोग्राफी जांचें होने लगी हैं. हृदय रोग के अलावा किडनी पेट तथा मस्तिष्क के रोगों की जांचों में भी ‘कंट्रास्ट’ पदार्थ धड़ल्ले से प्रयुक्त होने लगे हैं. ये सभी गुर्दों को खराब कर सकते हैं. यदि जांच करानी ही पड़े तो उससे पहले तथा उसके बाद गुर्दों की रक्त जांच अवश्य कराएं.
- यदि बुखार है, बीपी कम है या फिर डीहाइड्रेशन है तो इन स्थितियों में बिना ठीक से पर्याप्त पानी, दूध, या फलों का रस लिए बिना अथवा बोतल लगवाए बिना एनालजेसिक की एक गोली या इंजेक्शन भी गुर्दे खराब कर सकता है. ध्यान रखें.
कुल मिलाकर संदेश यह है कि किडनी को फेल होने से बचाना है तो इसकी एक कुंजी यहां दी गई है. इसको पढ़ें, ध्यान रखें. बाकी डॉक्टर एक हद तक ही इन्हें बचा सकता है.
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