कुछ समय पहले यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी के ‘वर्ल्ड इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट इकनॉमिक्स रिसर्च’ की एक रिपोर्ट सामने आई है. एक अध्ययन के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पुरुष विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों की तुलना में महिला विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में ज्यादा आर्थिक विकास हुआ है. यह अध्ययन महिला विधायकों के चुने जाने के आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए किया गया था ताकि किसी जनप्रतिनिधि के पुरुष या महिला होने से आर्थिक विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच की जा सके.
इस अध्ययन के लिए 1992 से 2012 के बीच की अवधि को आधार बनाया गया और इसमें अलग-अलग राज्यों के 4,265 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया था. अध्ययन में जिन चार विधानसभा चुनावों को लिया गया उस दौरान चुनाव जीतने वाली महिला विधायकों की संख्या लगभग साढ़े चार फीसदी से बढ़कर आठ फीसदी हो गई थी. महिला और पुरुष विधायकों के कामों को भ्रष्टाचार, कार्यकुशलता, योजनाओं को लागू करना आदि मानकों पर परखा गया. अध्ययनकर्ताओं के अनुसार महिलाओं और पुरुषों के निर्वाचन क्षेत्रों के बीच विकास में एक चौथाई का अंतर पाया गया.
इस अध्ययन को ज्यादा तथ्यात्मक बनाने के लिए नासा द्वारा ली गई तस्वीरों का भी अध्ययन किया गया. इनसे महिलाओं और पुरुषों के विधानसभा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास का फर्क सामने आया. इन तस्वीरों से पता चला कि महिला विधायकों के इलाकों में न सिर्फ बिजली का प्रसार पुरुष विधायकों के क्षेत्रों से ज्यादा हुआ है, बल्कि सड़क निर्माण के मामले में भी वे काफी आगे हैं. महिला विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में पुरुष विधायकों के क्षेत्रों की अपेक्षा अधूरी सड़क परियोजनाओं की संख्या भी 22 फीसदी कम पाई गई.
सवाल उठता है कि क्या वजह है जो महिला जनप्रतिनिधि विकास के मोर्चे पर अपने पुरुष समकक्षों से 21 साबित हो रही हैं. जानकारों के मुताबिक इसके मोटे तौर पर चार कारण हो सकते हैं.
अपराधों में कम लिप्त संलिप्तता
कुछ समय पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 1765 सांसद और विधायक, कुल 3045 केसों में ट्रायल का सामना कर रहे हैं. यानी कुल सांसदों और विधायकों में से 36 प्रतिशत, किसी न किसी में अपराध के मामले में फंसे हुए हैं. जाहिर है कि सामाजिक अपराधों में फंसना किसी के भी ऑफिस के कामकाज को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है. अदालतों के चक्कर काटने में भी बहुत सारी ऊर्जा, पैसा और दिमाग लगता है. यह पुरुष विधायकों का कामकाज नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. जबकि महिला विधायक ऐसे केसों में बनिस्बत कम फंसे होने के कारण वे अपने क्षेत्र की जिम्मेदारियों पर और भी ज्यादा ध्यान केंद्रित कर पाती हैं.
कम भ्रष्ट
हाल ही में जर्नल ऑफ इकनॉमिक बिहेवियर एंड ऑर्गेनाइजेशन में प्रकशित एक शोध में सामने आया कि सरकार में ज्यादा महिलाओं का होना भ्रष्टाचार को सीमित करता है. 125 देशों में हुए इस शोध में पता चला कि जिन देशों की संसद में महिलाओं की संख्या ज्यादा है, वहां भ्रष्टाचार काफी कम पाया गया है. इस बात की पुष्टि भारत में होने वाले बड़े-बड़े घोटालों में लिप्त महिलाओं की न्यूनतम संख्या देखकर भी होती है. भ्रष्टाचार में कम लिप्त होना भी महिलाओं को अपने क्षेत्र के लोगों के प्रति ज्यादा जिम्मेदार साबित करता है. इस कारण उनका पूरा ध्यान अपने निजी आर्थिक हित साधने की बजाय अपने क्षेत्र के लोगों के विकास में अधिक लगता है.
कम राजनीतिक अवसरवाद
एक वर्ग के मुताबिक भारतीय समाज में आज भी शिक्षित महिलाओं का एक बड़ा वर्ग पुरुषों की अपेक्षा कम महत्वाकांक्षी है. अपने करियर को लेकर ये महिलाएं पुरुषों जितनी उतावली और अवसरवादी नहीं हैं. राजनीति के क्षेत्र में आने वाली बहुत सी महिलाएं भी बहुत ऊंची राजनीतिक महत्वकांक्षाएं नहीं पालती. उन्हें लगता है कि पुरुषों के इस क्षेत्र में उनका एक बार विधायक बनना भी बड़ी बात है. सो महिलाओं का ध्यान भविष्य में फिर से विधायक बनने से ज्यादा अपनी वर्तमान जिम्मेदारियों पर ज्यादा होता है.
कम असुरक्षा
बहुत से लोग मानते हैं कि महिला विधायकों में राजनीतिक असुरक्षा पुरुष विधायकों से कम होती है. भविष्य में वे फिर से विधायक बन सकेंगी या नहीं, सक्रिय राजनीति में रहेंगी या नहीं, इन सब बातों में वे पुरुषों से कम असुरक्षित महसूस करती हैं. भावी राजनीतिक असुरक्षा के चलते पुरुष नेताओं का ज्यादा ध्यान हमेशा जोड़-तोड़ करने में ही लगा रहता है. सत्ता में बने रहने के लालच के चलते वे बहुत बार अनैतिक साठगांठ भी करते हैं. जबकि महिला नेता असामाजिक तत्वों की मदद लेकर अपनी भावी राजनीतिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने में दिमाग नहीं लगातीं. अपवाद हो सकते हैं.
लेकिन यह विडंबना ही है कि पुरुषों की अपेक्षा बेहतर परिणाम लाने के बावजूद राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आज भी बहुत ही कम है. इसलिए महिलाओं का ज्यादा से ज्यादा संख्या में राजनीति में आना आज और समाज दोनों की जरूरत है. ऐसा होना न सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर महिलाओं के लिए बल्कि हमारे सामाजिक विकास के लिए भी अधिक फायदेमंद साबित होगा.
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