पिछले दिनों एस्सेल और जी समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने निवेशकों को एक खुला पत्र लिखा. इसमें उन्होंने बताया कि उनका ‘साम्राज्य’ वित्तीय दिक्कतों से जूझ रहा है. उन्होंने कंपनी को कर्ज देने वालों और निवेशकों से माफी भी मांगी. सुभाष चंद्रा ने कहा कि कुछ नकारात्मक ताकतें उनके खिलाफ काम कर रही हैं.
भारत के मीडिया जगत की ताकतवर शख्सियत सुभाष चंद्रा का यह सार्वजनिक माफीनामा तब सामने आया जब बीते शुक्रवार को उनके समूह की सबसे ताकतवर कंपनी जी एंटरटेनमेंट के शेयर करीब 31 फीसदी गिर गए. जी एंटरटेनमेंट की सहायक कंपनी डिश टीवी का शेयर भी 37.41 से टूटता हुआ 21 रुपये तक आ गया. शेयर बाजार में जी के शेयरों में इतनी गिरावट पहले कभी नहीं हुई थी. एक अनुमान के मुताबिक इस झटके के कारण एक ही दिन में समूह का बाजार पूंजीकरण 14 हजार करोड़ कम हो गया.
इस घटनाक्रम के बाद टीवी शो पर लोगों को बिजनेस के नुस्खे सिखाने और प्रेरित करने वाले सुभाष चंद्रा को निवेशकों और कर्जदारों को आशवस्त करने के लिए सामने आना पड़ा. अपने खुले पत्र में उन्होंने कंपनी की आर्थिक दिक्कतों की बात स्वीकार की और कहा कि कुछ नकारात्मक ताकतें उनकी कंपनी के खिलाफ काम कर रही हैं.
सुभाष चंद्रा मौजूदा भाजपा सरकार के खासे करीबी माने जाते हैं. उनके राज्यसभा के लिए चुने जाने में भी भाजपा का सहयोग रहा है. अब सवाल उठता है कि ऐसी कौन सी नकारात्मक ताकतें हो सकती हैं जो मोदी सरकार के बेहद नजदीकी माने जाने वाले चंद्रा को परेशान कर सकती हैं.
इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जानते हैं कि बीते शुक्रवार जी समूह के शेयर बाजार में एकाएक धड़ाम क्यों हुए? जानकारों के मुताबिक इसकी तात्कालिक वजह एक मीडिया रिपोर्ट थी जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी के बाद नित्यांक इंफ्रापावर नाम की एक कंपनी ने 3000 करोड़ रुपये जमा कराए थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नित्यांक इंफ्रापावर और कुछ शेल यानी कागजों पर चलने वाली कंपनियों के साथ एस्सेल समूह के लेनदेन की बात सामने आई है और सीरियस फ्राड इंवेस्टिगेशन आफिस (एसएफआईओ) इसकी जांच कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में हुए वीडियोकान और एस्सेल समूह के बीच सौदे में भी नित्यांक इंफ्रापावर ने भूमिका निभाई थी. जानकारों के मुताबिक इसी मीडिया रिपोर्ट के बाद जी ग्रुप के शेयर एकाएक गिरे.
उधर, जानकारों का एक खेमा इस बात से बहुत इत्तेफाक नहीं रखता. उनके मुताबिक यह शेयर बाजार में निवेश करने वाले गंभीर लोगों के लिए नई सूचना नहीं थी. नोटबंदी के बाद नित्यांक इंफ्रापावर द्वारा 3000 करोड़ रुपये जमा करने और एस्सेल समूह के उसके साथ संबंध होने की जांच संबंधी खबर पहले भी आ चुकी थी. इन जानकारों का कहना है कि जी समूह के शेयर एक दिन में इतनी तेजी से गिरने की वजह सिर्फ ऐसी सूचना को नहीं माना जा सकता. हां, कई यह जरूर मानते हैं कि एस्सेल समूह के आर्थिक तंगी में होने की बात ने इस सूचना के साथ मिलकर जो असर दिखाया, वह जी के शेयरों के गिरने की वजह बना. इन जानकारों का मानना है कि सुभाष चंद्रा जिन्हें नकारात्मक शक्तियां कह रहे हैं वे इन मीडिया रिपोर्ट से इतर भी हैं.
अब फिर सुभाष चंद्रा के खुले पत्र पर आते हैं. इस पत्र में सुभाष चंद्रा ने समूह की वित्तीय तंगी के पीछे अपने कुछ गलत फैसलों की बात भी स्वीकार की है. उन्होंने माना कि समूह ने आक्रामक तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश किया जो घाटे का सबब बना. एस्सेल इंफ्रा पर ही चार हजार करोड़ से पांच हजार करोड़ तक का कर्ज है. उन्होंने वीडियोकान से डी2एच कारोबार खरीदने को भी गलत फैसला बताया. उन्होंने कंपनी के वित्तीय संकट में फंसने की एक वजह आईएलएंडएफएस संकट को भी बताया.
सुभाष चंद्रा ने अपने पत्र में समूह पर कुल कर्ज का उल्लेख तो नहीं किया, अलबत्ता उन्होंने कर्ज देने वालों से धैर्य रखने की बात कहते हुए चेताया कि उनकी हड़बड़ी से हालात और गड़बड़ा सकते हैं. उधर, खबरों के मुताबिक जी समूह की कंपानियों पर 12000 करोड़ से अधिक का कर्ज है. जाहिर है कि सुभाष चंद्रा के पत्र में मुख्य चिंता इसी देनदारी को लेकर है. कर्ज देने वालों से उन्होंने कहा कि वे कर्ज को चुकाने के लिए समूह में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाली कंपनी जी एंटरटेनमेंट में 50 फीसदी हिस्सेदारी बेंचगे और सबकी पाई-पाई वापस करेंगे, लेकिन कुछ नकारात्मक ताकतें इस बिक्री को रोकने की कोशिशें कर रही हैं. सुभाष चंद्रा ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि उन्होंने नवंबर में पुलिस, महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय और सेबी को इन नकारात्मक शक्तियों के बारे में लिखा था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सवाल उठता है कि ये नकारात्मक ताकतें कौन हैं? सरकार के इतने करीबी होने के बाद भी जी समूह की शिकायत पर सरकारी एजेंसियां संज्ञान क्यों नहीं ले रही हैं? यह भी कि क्या वे कथित नकारात्मक ताकतें जी समूह के सुभाष चंद्रा से भी ज्यादा ताकतवर हैं.
वित्तीय मामलों और कंपनियों की खरीद-ब्रिक्री पर नजर रखने वाले एक और तथ्य की बात कर रहे हैं. उनके मुताबिक जी समूह में प्रमोटरों के 50 फीसदी हिस्सेदारी की बेचने की बात भी नई नहीं है. नवंबर में इस तरह की खबर आई थी कि कंपनी इसके लिए उचित खरीददार ढूंढ रही है. सूत्रों के मुताबिक जी समूह में हिस्सेदारी खरीदने लिए सोनी एंटरटेनमेंट, अलीबाबा जैसे कुछ बड़े नाम सामने आ रहे थे. तब इस बात का प्रमुखता से उल्लेख किया गया था कि कंपनी अपनी हिस्सेदारी इसलिए बेच रही है कि बतौर टेक-मीडिया कंपनी जी समूह अपनी ग्लोबल उपस्थिति चाहता है. उस समय मीडिया में छपे विश्लेषणों में प्रमोटरों के इस विनिवेश को नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम जैसे प्लेटफार्म को टक्कर देने के रूप में विश्लेषित किया गया था. लेकिन अब माजरा कुछ और ही दिख रहा है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में इस नए घटनाक्रम के तार रिलायंस से जुड़ने के कयास लगाए गए हैं. कहा जा रहा है कि रिलायंस नहीं चाहता कि कोई बड़ा समूह जी एंटरटेनमेंट में हिस्सेदारी खरीदे. तो क्या जिन नकारात्मक शक्तियों की बात सुभाष चंद्रा कर रहे हैं वह रिलायंस तो नहीं. या फिर ऐसी एक से ज्यादा शक्तियां हैं. इशारों में यहां तक कहा गया है कि जी एंटरटेनमेंट के शेयर गिराने के पीछे कुछ ताकतवर कंपनियों की यही मंशा है कि इस हिस्सेदारी को बेहद सस्ते में खरीद लिया जाए.
अब इसमें कितनी सच्चाई है और कितना झूठ, यह तो पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता. लेकिन अब ताजा खबरें यह आ रही हैं कि जी एंटरटेनमेंट में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में रिलायंस भी शामिल हो गई है. जानकारों का एक तबका मानता है कि जी समूह के हिस्सेदारी बेचने और उसके कर्ज में फंसे होने के कारण उसे सस्ते में हासिल करने की चाहत भी उसके शेयर धड़ाम होने की वजह हो सकती है.
जो भी हो, यह तय दिखता है कि कम से मीडिया एंटरटेनमेंट सेक्टर में खासी उछल-पुथल होने वाली है. कुछ जानकार इसे मनोरंजन जगत में एकाधिकार की शुरुआत के तौर पर भी देख रहे हैं.
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