प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने से इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए क्या संभावनाएं हैं?
राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को पार्टी महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया और इससे इस क्षेत्र में पार्टी के नेताओं और आम कार्यकर्ताओं में एक नए उत्साह का संचार हो गया है. सभी को ये लग रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी भावनाओं का सम्मान किया है. जिन कमजोरियों का सामना पार्टी कर भी रही थी, उनके बारे में भी पार्टी में यह विश्वास जगा है कि प्रियंका गांधी के आने के बाद वे कमजोरियां खत्म हो जाएंगी. इसका व्यापक असर इस क्षेत्र के चुनावों पर पड़ेगा.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के बारे में कहा जा रहा है कि यहां कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा कमजोर है. भाजपा भी यह कहकर प्रियंका गांधी के प्रभाव को इस क्षेत्र में खारिज कर रही है. यह कितनी बड़ी चुनौती है?
कांग्रेस संगठन कमजोर है या मजबूत है, यह भाजपा के लोग हमें नहीं बताएंगे. यह हमारे संगठन का आंतरिक मामला है. बनारस पूर्वांचल का केंद्र है. पिछले साढ़े चार साल में यहां प्रधानमंत्री और स्थानीय सांसद नरेंद्र मोदी और भाजपा का किसी ने विरोध किया है तो सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने किया है. इनके हर गलत कारनामों का कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर कड़ा विरोध किया, चाहे वह मंदिर तुड़वाने का विषय हो या शिवलिंग फिंकवाने का या फिर प्रवासी सम्मेलन में पैसों की बंदरबांट और इसके लिए गरीब लोगों को उजाड़ने का. खिलाड़ियों के लिए बने स्टेडियम को तोड़ दिया गया. हर आयोजन और विकास परियोजनाओं में गुजराती ठेकेदारों को जो ठेके दिए जा रहे हैं, उसका भी हमने विरोध किया. इतना विरोध कोई भी संगठन बगैर सांगठनिक ढांचे के नहीं कर सकता. बलिया, गाजीपुर, चंदौली, आजमगढ़ और ऐसे अन्य जगहों पर भी जो कांग्रेस कार्यकर्ता थोड़े कम उत्साह में थे, वे सभी प्रियंका गांधी के सक्रिय होने की खबर के बाद नए उत्साह के साथ सामने आ रहे हैं.
आपको पूर्वांचल में कितनी सीटों पर यह उम्मीद लग रही है कि कांग्रेस पार्टी जीत हासिल कर पाएगी?
इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. सीटों को लेकर बड़बोले दावे तो भाजपा के लोग कर सकते हैं. वे कह रहे हैं कि इस बार 73 नहीं 74 सीटें लाएंगे. पता नहीं कौन सा ऐसा काम किया है भाजपा ने कि उनकी सीटें बढ़ने जा रही हैं. कांग्रेस पार्टी ऐसे बेबुनियाद दावे नहीं करती. हफ्ते-दस दिन में हम जमीनी स्थिति पर आकलन करके आपको बता पाएंगे कि कांग्रेस कितनी सीटें जीत रही है. इतना जरूर मैं कहूंगा कि प्रियंका गांधी का नाम आने से इस क्षेत्र में जबर्दस्त परिवर्तन होगा और हमें बड़ी सफलता मिलेगी. कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम लोगों में भी एक नई उम्मीद जगी है.
क्या कोई ऐसी संभावना है कि प्रियंका गांधी बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ें?
कांग्रेस पार्टी के यहां के लोगों ने मांग कर दी है. इसके लिए बनारस के कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने प्रियंका गांधी और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से अपील की है. इसके अलावा यहां के स्थानीय लोग भी चाहते हैं कि बाबा विश्वनाथ की नगरी से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ें. इस बारे में अंतिम निर्णय खुद प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को करना है.
एक बात यह कही जा रही है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से अलग होकर अगर कांग्रेस चुनाव में उतरती है तो इससे सपा-बसपा गठबंधन का वोट कम होगा क्योंकि मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ओर जा सकते हैं और इससे अंततः फायदा भाजपा को मिलेगा. इस पर आप क्या कहेंगे?
भाजपा ने अपनी कोशिश पूरी की कि यह चुनाव हिंदू बनाम मुस्लिम बन जाए. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. यह चुनाव आम आदमी बनाम सत्ता का फायदा उठा रहे कुछ खास लोगों के बीच हो गया है. प्रवासी सम्मेलन के आयोजन के जरिए बनारस में हजारों लोगों के रोजगार छीने गए. ऐसे और कई काम किए गए हैं. इससे आम लोग अपने रोजमर्रा के जीवन में परेशान हैं. ये परेशान होने वाले लोग किसी एक धर्म के नहीं हैं बल्कि आम लोग हैं. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि हमारे अकेले चुनाव लड़ने से भाजपा को फायदा होगा. इस बार हर तरह से भाजपा का नुकसान ही होना है.
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