श्रीलंका के विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे ने कहा है कि 2014 में नई दिल्ली में नई सरकार के गठन के बाद से भारत और उनके देश के द्विपक्षीय संबंधों में ‘बड़ी गिरावट’ देखने को मिली है. हालांकि इसके साथ उनका यह भी कहना है कि अब उनके नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन और भारत की सत्ताधारी पार्टी के बीच ‘अच्छा समन्वय’ है.
महिंदा राजपक्षे शुक्रवार को भारत पहुंचे हैं. उन्होंने बेंगलुरू में ‘दि हिंदू’ अखबार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में ये बातें कही हैं. यहां उनका कहना था, ‘2014 में द्विपक्षीय संबंधों में दूसरी बड़ी बाधा उत्पन्न हुई. दुर्भाग्यवश, मेरी सरकार और निर्वतमान सरकार (यूपीए) के बीच मौजूद कामकाजी संबंध भारत में बनी नई सरकार (एनडीए) के साथ जारी नहीं रहे.’
इस कार्यक्रम में श्रीलंका के विपक्ष के नेता का यह भी कहना था, ‘पिछले अनुभवों से स्पष्ट है कि सत्ता परिवर्तन के तुरंत बाद भारत और श्रीलंका के द्विपक्षीय संबंधों में व्यवधान का खतरा पैदा हो जाता है. दोनों देशों के लिए ऐसे आसानी से टाले जा सकने वाले व्यवधानों के गंभीर परिणाम हुए हैं.’
अपने भाषण में महिंदा राजपक्षे ने जोर देते हुए कहा कि भारत-श्रीलंका संबंधों को लेकर स्थाई नियम यह होना चाहिए कि यदि एक सरकार का उनके देश के साथ अच्छा संबंध है तो आने वाली सरकार में भी यह स्थिति कायम रहे.
महिंदा राजपक्षे को बीते साल अक्टूबर में श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने अचानक ही प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी थी. इसके बाद यहां एक संवैधानिक संकट पैदा हो गया था जो 50 दिन तक चला. बाद में देश के सुप्रीम कोर्ट ने रानिल विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री पद पर बहाल कर दिया था.
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