ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे को तीसरी बार ब्रेक्जिट समझौते पर संसद से निराशा हाथ लगी है. शुक्रवार को ब्रिटेन के सांसदों ने एक बार फिर उनके ब्रेक्जिट समझौते को भारी मतों से खारिज कर दिया.
सीएनएन के मुताबिक शुक्रवार को टेरेसा मे ने ब्रेक्जिट मसौदे को ब्रिटिश संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में रखा जिसे सांसदों ने 286 के बदले 344 मतों से खारिज कर दिया.
इससे पहले बीते बुधवार को टेरसा मे ने अपना अंतिम दांव चलते हुए कहा था कि अगर ब्रिटिश संसद उनके ब्रेक्जिट समझौते को पास कर देती है तो वे अपना पद छोड़ने को तैयार हैं. इसके बाद कंजरवेटिव पार्टी के कई वरिष्ठ सांसदों ने मे को समर्थन देने की बात भी कही थी.
ब्रेक्जिट समझौते के तीसरी बार संसद से ख़ारिज होने के बाद अब ब्रिटेन के 12 अप्रैल को बिना किसी समझौते के यूरोपीय संघ से अलग होने की सम्भावना बढ़ गयी है. अगर ब्रिटेन ऐसा नहीं चाहता है तो उसे 12 अप्रैल तक यूरोपीय संघ से ब्रेक्जिट प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अपील करने पड़ेगी. अगर वह ब्रेक्जिट प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अपील करता है तो यूरोपीय संघ ब्रेक्जिट प्रक्रिया को एक लंबे समय (दो साल से ज्यादा) के लिए आगे बढ़ा देगा. ऐसा यूरोपीय संघ की नयी शर्तों के तहत होगा.
दरअसल, बीते हफ्ते ब्रेक्जिट को लेकर ब्रिटेन को यूरोपीय संघ ने राहत दी थी. वह ब्रेक्जिट के लिए ब्रिटेन को 29 मार्च की जगह 22 मई तक का समय देने पर सहमत हो गया है. हालांकि, इसके लिए उसने ब्रिटेन के सामने एक शर्त रखी थी. शर्त के अनुसार ब्रिटेन की सरकार को वह ब्रेक्जिट डील अपनी संसद से पारित करानी होगी जिसे सांसद दो बार नकार चुके हैं. अगर डील तीसरी बार भी पास नहीं हो पाती है तो ब्रिटेन को 12 अप्रैल तक यूरोपीय संघ को अपने आगे के निर्णय के बारे में बताना होगा.
बीते शुक्रवार को यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क का साफ़ कहना था कि ब्रिटेन के पास अब भी चार विकल्प हैं. उसके पास समझौते के साथ बाहर होने, समझौते के बिना बाहर होने, दीर्घकालिक विस्तार या फिर यूरोपीय संघ से अलग नहीं होने का फैसला करने का भी विकल्प है.
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