बीते हफ्ते अमेरिका में वह हुआ जिसकी बहुत ही कम लोगों को उम्मीद थी. 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूसी दखल को लेकर चल रही जांच में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को क्लीन चिट मिल गई. अटॉर्नी जनरल विलियम बर्र ने बताया कि जांचकर्ता रॉबर्ट म्युलर को जांच के दौरान ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के साथ मिलकर कोई साजिश रची थी.
अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के पूर्व प्रमुख रॉबर्ट म्युलर की जांच रिपोर्ट ने जहां डोनाल्ड ट्रंप को बड़ी राहत दी है, वहीं इसने विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी में खलबली मचा दी है. अमेरिकी जानकारों की मानें तो ट्रंप को मिली क्लीन चिट ने अगले चुनाव के समीकरणों को काफी हद तक पलट दिया है.
अब ट्रंप पर महाभियोग की बात करना बिलकुल भी जायज नहीं
अमेरिका की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो पिछले कुछ समय से डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने की संभावना काफी प्रबल थी. लेकिन इस जांच के नतीजों ने स्थितियां पूरी तरह बदल दी हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार जोनाथन मार्टिन अपनी एक टिप्पणी में लिखते हैं, ‘रॉबर्ट म्युलर की रिपोर्ट आने के बाद साफ़ हो गया है कि अब ट्रंप के राजनीतिक भविष्य का फैसला अगले चुनाव में जनता के हाथों ही होगा और यही वह वजह है जिसने डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है.’
मार्टिन और कुछ अन्य जानकार कहते हैं कि पिछले कुछ महीनों में जांच के दौरान जिस तरह से ट्रंप के कई सिपहसालार पकड़े गए उससे डेमोक्रेट्स इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि रॉबर्ट म्युलर की जांच में ट्रंप जरूर फंसेंगे. और ऐसा होने पर वे 2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही महाभियोग चलाकर ट्रंप का खेल खत्म कर देंगे. लेकिन जाहिर है कि अब स्थिति साफ़ हो चुकी है जिसमें ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने की गुंजाइश बिलकुल भी नहीं दिखती.
जोनाथन मार्टिन के मुताबिक अब अगर संसद के निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) में वर्चस्व वाली डेमोक्रेटिक पार्टी महाभियोग की तैयारी करती भी है तो उच्च सदन (सीनेट) से यह एक झटके में खारिज हो जाएगा. सीनेट में डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में है जिसके सीनेटर क्लीनचिट मिलने के बाद महाभियोग पर बिलकुल भी विचार नहीं करना चाहेंगे.
रूसी दखल से जुड़ी इस जांच के अगले चुनाव में मुद्दा बनने की कितनी उम्मीद है?
अमेरिकी अटॉर्नी जनरल विलियम बर्र ने रॉबर्ट म्युलर की 300 पन्नों की पूरी जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की है. उन्होंने केवल रिपोर्ट का सार अमेरिकी संसद को बताया है जिसमें कहा गया है कि जांच अधिकारी सबूतों के अभाव में राष्ट्रपति को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं, इसलिए उन्हें दोषी साबित नहीं किया जा सकता.
इसके बाद से ही डेमोक्रेटिक पार्टी का एक बड़ा तबका पूरी रिपोर्ट जनता के सामने रखने की मांग कर रहा है. इसका मानना है कि पूरी रिपोर्ट सामने आने पर कुछ न कुछ ऐसा जरूर मिलेगा जिसे वे अगले चुनाव में ट्रंप के खिलाफ इस्तेमाल कर सकेंगे और इस मामले को अगले चुनाव में मुद्दा बना सकेंगे.
हालांकि, अमेरिकी राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो अगले चुनाव में ‘रूसी जांच’ का बड़ा मुद्दा बनना मुश्किल है. इनके मुताबिक ट्रंप को दो साल की जांच के बाद क्लीन चिट दी गई है. ऐसे में इस मुद्दे को उठाने का मतलब जांच एजेंसी को ही कठघरे में खड़ा करना होगा और इसलिए जनता इस मुद्दे को कभी स्वीकार नहीं करेगी. रॉबर्ट म्युलर की जांच का परिणाम सामने के बाद सीएनएन द्वारा कराए गए एक सर्वे से भी पता लगा है कि अमेरिकी जनता अब इस मुद्दे से आगे बढ़ना चाहती है. इस सर्वे में जब पूछा गया कि अगले चुनाव में आप किन मुद्दों पर वोट देने का फैसला करेंगे, तब किसी भी व्यक्ति ने ‘रूसी जांच’ को मतदान के लिए निर्णायक मुद्दा नहीं माना.
कुछ जानकार एक और बात भी बताते हैं. ये कहते हैं कि डेमोक्रेटिक पार्टी के जो नेता यह सोच रहे हैं कि पूरी रिपोर्ट को इसलिए सार्वजनिक नहीं किया गया क्योंकि उससे ट्रंप की कुछ मुश्किलें बढ़ सकती हैं, तो इनका यह सोचना गलत है. इन जानकारों के मुताबिक अटॉर्नी जनरल ने पूरी रिपोर्ट अभी इसलिए सार्वजनिक नहीं की है क्योंकि उस रिपोर्ट में बहुत कुछ ऐसा है जिससे भविष्य में अमेरिकी चुनाव को प्रभावित किया जा सकता है. इसमें हैकिंग से जुड़ी ऐसी जानकारी भी है जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. बताते हैं कि इसीलिए अटॉर्नी जनरल ने अमेरिकी चुनाव के अधिकारीयों को यह रिपोर्ट भेजी है और पूछा है कि जांच रिपोर्ट में दी गई कौन सी जानकारी सार्वजनिक न की जाए.
डेमोक्रेटिक पार्टी की पूरी रणनीति बदली
रॉबर्ट म्युलर की जांच का नतीजा सामने आने के बाद अब अगले चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के लगभग सभी संभावित उम्मीदवार अपनी रणनीति बदलने जा रहे हैं. अगले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी के दो सबसे बड़े दावेदार एलिजाबेथ वारेन और बर्नी सैंडर्स ने सार्वजनिक रूप से कह दिया है कि अब वे प्रचार में ‘रॉबर्ट म्युलर की जांच’ का मुद्दा नहीं उठाएंगे.
चर्चित डेमोक्रेटिक नेता पीट बटिगिएग एमएसएनबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहते हैं, ‘अब (डेमोक्रेटिक) पार्टी को ‘रूसी जांच’ मामले पर ध्यान नहीं देना चाहिए. अब इससे आगे बढ़कर हमें लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर अपना ध्यान लगाना चाहिए.’
अमेरिकी राजनीति के विशेषज्ञ और 2012 में बराक ओबामा के चुनाव अभियान की उपप्रबंधक रहीं स्टेफ़नी कटर भी कुछ ऐसा ही कहती है. एक साक्षात्कार में वे कहती हैं, ‘संसद के निचले सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी को ट्रंप से जुड़े मामलों की जांच करते रहना चाहिए....लेकिन, अब आव्रजन, टैक्स नीति और हेल्थ केयर जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देना जरूरी है.’ स्टेफ़नी आगे कहती हैं, ‘मध्यमवर्ग ट्रंप के टैक्स कानून के कारण अधिक टैक्स दे रहा है, व्यापार युद्ध के कारण नौकरियां जा रही हैं, कर्ज दोगुना हो गया है फिर भी सीमा पर दीवार के लिए पैसा खर्च किया जा रहा है...ये सभी बड़े मुद्दे हैं.’
डोनाल्ड ट्रंप पहले से और मजबूत हुए
कई राजनीतिक जानकारों की मानें तो चुनावी लिहाज से डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति पहले से ही ज्यादा खराब नहीं थी. वे हर हाल में अपने चुनावी वादे पूरे कर रहे हैं जिस वजह से उनके अधिकांश वोटर अभी भी उनके साथ बने हुए हैं. 2018 के मध्यावधि चुनाव के नतीजों से भी इसका पता लगता है. रूसी जांच की तलवार लटकने के बाद भी इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की स्थिति उससे कहीं बेहतर रही थी जितनी मानी जा रही थी.
जानकारों के मुताबिक ‘रूसी जांच’ का मामला डोनाल्ड ट्रंप की सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा था. अब इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद उनकी स्थिति पहले से मजबूत होना निश्चित है.
रॉबर्ट म्युलर की जांच में क्लीन चिट मिलने का एक फायदा डोनाल्ड ट्रंप को खुद की पार्टी में भी होता दिख रहा है. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता यह सोचकर बैठे थे कि ट्रंप के रूसी जांच में फंसते ही वे अगले चुनाव में अपनी दावेदारी का ऐलान कर देंगे. लेकिन जांच के नतीजे सामने आने के बाद उनके हौसले पस्त हो गए हैं और अब शायद ही अगले चुनाव में इनमें से कोई नेता ट्रंप के सामने अपनी दावेदारी का ऐलान करे.
एबीसी मीडिया से जुड़े राजनीतिक मामलों के पत्रकार पेरी बेकन एक डिबेट में कहते हैं, ‘वैसे भी पिछले दो वर्षों में रिपब्लिकन पार्टी पर ट्रंप का नियंत्रण बढ़ा है और अब म्युलर की जांच के बाद पार्टी पर उनका वर्चस्व और मजबूत होना लाजमी है.’
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