भारतीय रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस में अनिल अंबानी की एक कंपनी का टैक्स माफ होने के मामले को रफाल सौदे से जोड़ने वाली मीडिया रिपोर्टों को खारिज किया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारत और फ्रांस के बीच रफाल विमान सौदे को लेकर जो समझौता हुआ था, उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.
शनिवार को रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘कुछ मीडिया रिपोर्टों में भारत सरकार द्वारा रफाल लड़ाकू विमानों की खरीद और एक निजी कंपनी को टैक्स से छूट मिलने के मामले को जोड़ने की कोशिश की गई है. लेकिन टैक्स में मिली इस छूट और इसकी समयावधि का भी वर्तमान सरकार के कार्यकाल में रफाल खरीद से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है.’
आज भारतीय मीडिया में फ्रांस के चर्चित अखबार ला मोंद के हवाले से कुछ ऐसी रिपोर्टों में प्रकाशित हुई थीं जिनके मुताबिक वहां 2015 के दौरान अनिल अंबानी की एक कंपनी का टैक्स माफ हुआ था. इन रिपोर्टों में जानकारी दी गई है कि फरवरी और अक्टूबर 2015 के बीच में फ्रांस सरकार ने ‘रिलायंस फ्लैग एटलांटिक फ्रांस’ (आरएफएएफ) नाम की एक फ्रांसीसी कंपनी पर 14 करोड़ 37 लाख यूरो यानी एक हजार करोड़ रु से भी ज्यादा की टैक्स वसूली रद्द की थी. यह वही वक्त था जब भारत और फ्रांस के बीच 36 रफाल विमानों के सौदे पर बात चल रही थी. आरएफएएफ का स्वामित्व अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस के पास है.
भारत में विपक्ष बीते कुछ समय से लगातार इस सौदे पर भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को घेरे हुए है. राहुल गांधी तो इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं. उनका दावा है कि प्रधानमंत्री ने खुद पेरिस जाकर यह सौदा इसलिए किया कि वे अपने मित्र अनिल अंबानी को फायदा पहुंचा सकें. उधर, सरकार और अनिल अंबानी इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं.
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