कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफ़ा देने के कुछ घंटे बाद ही शिवसेना का दामन थाम लिया. इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘मैं महाराष्ट्र की सेवा के लिए शिवसेना में शामिल हुई हूं. मुंबई मेरी जन्मभूमि ही नहीं, कर्मभूमि भी रही है. और बहुत छोटी उम्र से शिवसेना के साथ मेरा स्वाभाविक जुड़ाव रहा है. जैसा कि महाराष्ट्र के अन्य लोगों के मन में भी रहता है. इसीलिए यह नहीं समझा जाना चाहिए कि पार्टी बदलकर मेरा मन बदल गया है.’
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौज़ूदगी में प्रियंका चतुर्वेदी ने पार्टी की सदस्यता ली. इस मौके पर उन्होंने इन ख़बराें का खंडन किया कि उन्हें कांग्रेस पार्टी ने टिकट देने से इंकार कर दिया था इसलिए उन्होंने पार्टी बदली. यहां बताते चलें कि उनके बारे में कहा जा रहा था कि वे मुंबई, महाराष्ट्र या मथुरा, उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का टिकट मांग रही थीं. हालांकि प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है, ‘मेरे माता-पिता मथुरा से ताल्लुक़ रखते हैं. इसलिए मेरे मन में उस जगह की तमाम स्मृतियां हैं, वहां से मेरा जुड़ाव है. लेकिन यह सही नहीं है कि मैं मथुरा या किसी और जगह से कांग्रेस प्रत्याशी बनने की अपेक्षा कर रही थी.’
ग़ौरतलब है कि प्रियंका चतुर्वेदी ने गुरुवार देर रात कांग्रेस अध्यक्ष को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था. वे इस बात पर नाराज़ थीं कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश के उन आठ नेताओं को फिर नियुक्ति दे दी जिन्होंने मथुरा में उनके साथ दुर्व्यवहार किया था. इन पार्टी नेताओं को उन्होंने ‘गुंडे-मवाली’ कहा था. बताया जाता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया की सिफ़ारिश पर इन नेताओं को बहाल किया गया था. जबकि पहले प्रियंका चतुर्वेदी के साथ बदसलूकी की वज़ह से इन सभी को पार्टी ने निलंबित कर दिया था.
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