बीती 18 जून की बात है. जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में मरहामा गांव में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दो मिलिटेंट्स की मौत के बाद आसपास के कई इलाक़े तीन दिन तक बंद रहे. इनमें संगम और हालमुल्ला भी शामिल थे जहां कश्मीर का क्रिकेट बैट उद्योग बसा हुआ है.
वैसे क्रिकेट बैट बनाने वाली डेढ़ सौ से ज्यादा फैक्ट्रियों के मालिकों के लिए यह कोई नई बात नहीं है. यह आए दिन होता रहता है. इसके चलते इन लोगों का पूरा कारोबार भारत के अन्य राज्यों पर ही निर्भर है. और भारत के अन्य राज्यों में यह बाज़ार गरम रहता है क्रिकेट टूर्नामेंटों से जिनमें सबसे ज़्यादा असर विश्व कप का रहता है और जो अभी इंग्लैंड में जारी है. जहां पहले खेले गए विश्व कप क्रिकेट बैट के इन कारखानों की बिक्री में 50 फीसदी की बढ़त लेकर आते थे, वहीं इस बार ऐसा नहीं हुआ है. संगम स्थित फ्रंटलाइन स्पोर्ट्स के मालिक शकील अहमद डार सत्याग्रह से बातचीत में कहते हैं, ‘काम वैसा ही है जैसा पिछले कई सालों से है, मंदा.’
पिछले कई सालों से मुश्किल हालात से जूझ रहे क्रिकेट बैट के ये कारोबारी अपनी सारी उम्मीदें विश्व कप से लगाए बैठे थे. लेकिन अभी तक इनकी उम्मीदों पर पानी फिरता ही दिखाई दे रहा है. बिक्री में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. सवाल है कि ऐसा क्यों. लेकिन उससे पहले एक नज़र क्रिकेट बैट बनाने इन कारोबारियों के मुश्किल हालात पर डाल लेते हैं.
2012 में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग की चौड़ाई बढ़ाने का काम शुरू हुआ. कश्मीर घाटी में क्रिकेट बैट उद्योग एनएच-44 के दोनों तरफ ही बसा हुआ था. सड़क चौड़ी हुई तो इस उद्योग से जुड़े लोगों को हटना पड़ा. अपनी फैक्ट्रियां ध्वस्त करके उन्हें अन्य जगहों पर शरण लेनी पड़ी. संगम और हालमुलला आते-आते करीब दो साल लग गए. क्रिकेट बैट मैन्युफैक्चरर्स सोशिएशन के अध्यक्ष ग़ुलाम कादिर डार कहते हैं, ‘और जैसे ही हमने वापस आके काम करना शुरू किया तभी 2014 में बाढ़ आ गई. करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया.’
इन लोगों को सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिला. कारोबारियों को अपना काम वापस पटरी पर लाते-लाते बरसों लग रहे हैं. 2015 का विश्व कप इनके लिए थोड़ी सी राहत लेकर आया था. बिक्री में थोड़ी बढ़त हुई थी, लेकिन बाढ़ के चलते ये लोग उस समय का पूरा फायदा नहीं उठा पाये थे. इन सभी की नज़रें इस साल के विश्व कप पर टिकी हुई थीं. उन्हें लग रहा था कि इस बार सब पटरी पर आ जाएगा. लेकिन किस्मत अभी भी इन लोगों का साथ नहीं दे रही है.
लेकिन इन लोगों को विश्व कप का कोई फायदा क्यों नहीं मिल पा रहा? ग़ुलाम कादिर डार की मानें तो विश्व कप इस बार गलत समय पर हो रहा है. वे कहते हैं, ‘भारत के अन्य राज्यों में गर्मी हद से ज़्यादा पड़ रही है, और रही-सही कसर बरसात पूरी कर रही है.’ वे आगे जोड़ते हैं, ‘ऐसी गर्मी में कौन अपने बच्चों को क्रिकेट खेलने की इजाज़त देगा. पेशेवर खिलाड़ी भी इस समय क्रिकेट से दूर ही रहते हैं और ज़ाहिर है कि बिक्री कम हो जाती है. इसका सीधा असर हमारे कारोबार पे पड़ता है.’
कादिर की बात इसलिए भी सही लगती है क्योंकि 2015 के विश्व कप के दौरान प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने के बावजूद इस उद्योग को ठीक ठाक फायदा हुआ था. उसकी वजह कारोबारी यह बताते हैं कि 2015 का विश्व कप फ़रवरी और मार्च के महीनों में खेला गया था. शकील कहते हैं, ‘वो मौसम भारत में क्रिकेट का होता है.’ उनके मुताबिक इस दौरान क्रिकेट खूब खेला जाता है नतीजतन उसका असर बिक्री पर भी पड़ता है.
जहां ये सब क्रिकेट बैट बनाने वाले कादिर और शकील की ‘समय’ वाली बात से सहमत हैं, वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इंग्लैंड का मौसम भी ‘क्रिकेट फीवर’ बढ़ाने में कोई मदद नहीं कर रहा है. संगम स्पोर्ट्स के अलताफ़ डार सत्याग्रह से बातचीत में कहते हैं, ‘आपने देखा ही होगा कितने मैच बारिश की वजह से रद्द हो गए इंग्लैंड में. ऐसा लग रहा है लोगों की जैसे दिलचस्पी खत्म हो गई है इस विश्व कप में.’
अलताफ़ के मुताबिक कोढ़ में खाज वाली बात यह है कि अभी तक हुए मैच भी एकतरफा रहे हैं. वे कहते हैं, ‘कोई ऐसा रोमांचक मैच अभी तक देखने को नहीं मिला है जिससे लोगों की दिलचस्पी में कुछ बढ़त हो.’ अलताफ़ सहित कइयों को सबसे ज़्यादा अफसोस इस बात का है कि भारत-पाकिस्तान का मैच भी एकतरफा हुआ था. उनके मुताबिक अगर यह मैच थोड़ा सा भी रोमांचक हो जाता तो लोगों में विश्व कप के उत्साह का एक अलग ही स्तर होता.
इस बात का दावा ये लोग अपने पिछले अनुभव के आधार पर कर रहे हैं. यह हमेशा से देखा गया है कि भारत-पाकिस्तान जब भी आपस में क्रिकेट मैदान पर भिड़ते हैं, इन लोगों को कारोबार में खासा मुनाफा होता है. कादिर कहते हैं, ‘आप 2012 की भारत-पाकिस्तान सीरीज ले लें, उस समय हमारे कारोबार में सीधा-सीधा 50 से 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.’ उनके मुताबिक अब जब इन दो देशों में द्विपक्षीय सीरीज दूर-दूर तक होती नहीं दिख रही है तो सारी आशाएं आईसीसी श्रंखलाओं में भारत-पाकिस्तान के मैच पर ही होती हैं.
क्रिकेट बैट बनाने वाले बाकी लोग भी यही बात कहते हैं. इन सब का मानना यह है कि भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट के मैदान पर बार-बार सामना होना चाहिए. लेकिन दोनों देशों में चल रहे तनाव के चलते ऐसा होने कि संभावना बहुत कम दिखाई दे रही है. इधर विश्व कप भी लग भगआधा खत्म हो गया है. आने वाले मैचों से इन उत्पादकों को कोई फायदा हो ऐसी कोई संभावना नज़र नहीं आ रही है. वजह यह कि भारत में गर्मी अभी भी भीषण है और विश्व कप में रोमांचक मैच हों इसकी कोई गारंटी है नहीं.
फिर भी ये लोग उम्मीद ज़रूर लगाए बैठे हैं. अच्छे मौसम की, रोमांचक मैचों की और भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय श्रंखलाओं की. उम्मीद पर ही दुनिया कायम है.
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें | सत्याग्रह एप डाउनलोड करें
Respond to this article with a post
Share your perspective on this article with a post on ScrollStack, and send it to your followers.