कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ का आखिरकार शव बरामद हुआ. सोमवार को मेंगलुरु के पास उन्होंने अपने ड्राइवर को नेत्रावती नदी पर बने एक पुल पर गाड़ी रोकने को कहा था. इसके बाद उन्होंने ड्राइवर से कहा कि वे टहलने जा रहे हैं और वह उनका इंतजार करे. फिर वे लापता हो गए. व्यापक तलाशी अभियान के बाद बुधवार को उसी जगह से एक किलोमीटर दूर नदी से उनका शव बरामद किया गया.
वीजी सिद्धार्थ की गुमशुदगी के बाद से ही उनके आत्महत्या करने की आशंकाएं जताई जा रही थीं. इससे पहले उनका लिखा एक पत्र भी सामने आया था. इसमें उन्होंने कारोबार के कर्ज में फंसे होने और आयकर विभाग की कुछ कार्रवाइयों का जिक्र किया था.
वीजी सिद्धार्थ के लापता होने और इस चिट्ठी के सामने आने के बाद कई तरहें की बहसें शुरु हो गई हैं. उनको एक ऐसा उद्यमी माना जाता रहा है, जिसके पास नए विचारों की कमी नहीं थी. सिद्धार्थ को इतना बड़ा कारोबार में विरासत में नहीं मिला था. उन्होंने 1993 में सीसीडी की स्थापना की और उसे भारत की सबसे बड़ी कॉफी चेन बना दिया. लेकिन, इतने कुशल कारोबारी के आत्महत्या करने की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
वीजी सिद्धार्थ ने अपने पत्र में कारोबार चलाने में आ रही जिस तरह की मुश्किलों का जिक्र किया है, उसे अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत से तो जोड़ा ही जा रहा है, यह भी सवाल उठ रहे हैं कि सरकार के कारोबार को सुगम बनाने के दावे कितने सही हैं? ‘ईज ऑफ’ डूइंग बिजनेस’ जैसे मानकों में भारत की रैकिंग में सुधार के जो दावे किए जा रहे हैं क्या वे वाकई धरातल पर कारगर हैं?
वीजी सिद्धार्थ ने अपने पत्र में इस ओर इशारा किया है कि आयकर विभाग ने जिस तरह से उनकी कंपनियों पर कार्रवाई की उसके चलते उनके सामने पैसों का संकट खड़ा हो गया था. इस वजह से यह बहस भी तेज हो गई है कि यह पूरा मसला ‘टैक्स टेरर’ से जुड़ा है और आयकर जैसे विभाग कर वसूलने के नाम पर कारोबारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं. संसद में कांग्रेस ने इसी तरह के आरोप लगाए हैं तो सिद्धार्थ के कई करीबियों ने भी इसी तरह की बातें कही हैं. कई बड़े पत्रकारों और उद्यमियों ने भी इस बारे में ट्वीट किया कि यह पूरा मसला टैक्स अधिकारियों के डराने–धमकाने का है और हम एक तरह के टैक्स आतंकवाद की तरफ लौट रहे हैं. वीजी सिद्धार्थ कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के दामाद भी थे, ऐसे में ये सवाल भी उठे कि जब इतने रसूखदार नेता के दामाद के साथ ऐसा हो सकता है तो छोटे कारोबारियों के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है.
If VG Siddhartha letter is genuine (yet to be verified), then it only confirms what bizmem have been saying for a while now: tax terrorism is taking us back to the past, retarding investment/growth. And if this can happen to the son in law of SM Krishna, god help small bizmen.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 30, 2019
वीजी सिद्धार्थ ने अपने पत्र में लिखा है कि सीसीडी कर्ज के दबाव में थी और इसके बाद आयकर विभाग की कार्रवाइयों ने उसकी मुश्किल और बढ़ा दी थी. चिट्ठी में सिद्धार्थ ने कंपनी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए लिखा, ‘मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन अब मैं हार मान रहा हूं. एक प्राइवेट इक्विटी पार्टनर के शेयर बाईबैक करने का दबाव मैं नहीं झेल सकता.’ सिद्धार्थ के पत्र से यह भी मालूम होता है कि पहले इस तरह के ट्रांजैक्शन करने के लिए भी उन्हें अपने एक दोस्त से बड़ा कर्ज लेना पड़ा था.
सिद्धार्थ ने अपने खत में आयकर विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि उनके मालिकाना हक वाली सॉफ्टवेयर कंपनी माइंडट्री के शेयरों को दो बार अटैच किया गया. पत्र में सिद्धार्थ ने एक तरह से आरोप लगाया है कि ऐसा माइंडट्री के सौदे को रोकने के लिए किया गया. हालांकि, बाद में यह शेयर जब्ती हटा ली गई और सिद्धार्थ ने माइंडट्री के 20 फीसद शेयर लार्सन एंड टूब्रो को बेच दिए. लेकिन, इसके बाद सिद्धार्थ के कैफे कॉफी डे के शेयर अटैच कर दिए गए जिससे उनके पास नगदी का संकट हो गया. इस बारे में कर्नाटक में आयकर विभाग के एक महानिदेशक का नाम चर्चा में आ रहा है. 2017 में वीजी सिद्धार्थ पर आयकर विभाग का छापा पड़ा था, उसके बाद से ही इस तरह की कार्रवाइयां की जा रही थीं.
बताया जा रहा है कि सीसीडी पर 7000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज था. इस कारण वीजी सिद्धार्थ पर बैंक और अन्य कर्जदाताओं का दबाव बढ़ता जा रहा था. आयकर विभाग की सख्ती ने इस दबाव को और बढ़ा दिया और आखिर में इसका नतीजा वीजी सिद्धार्थ की मौत के रूप में निकला. सिद्धार्थ की मौत ने इस सवाल को जन्म दिया है कि क्या सरकारी संस्थाएं और कर्जदाता कारोबारियों के साथ इतनी सख्ती से पेश आ रहे हैं कि वह उत्पीड़न में बदल जा रहा है. बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि क्या सिद्धार्थ के प्राइवेट इक्विटी पार्टनर उनके साथ सूदखोरों जैसा व्यवहार कर रहे थे जिसके कारण वे इतने मानसिक दबाव में आ गए.
Coffee Day Owner Alleged Harassment By Tax Officer In Letter: Report - Such a shocking and sad end to a quiet n unassuming pioneer who started the coffee cafes business ahead of Starbucks in India. https://t.co/SKgAJH3dAS
— Kiran Mazumdar Shaw (@kiranshaw) July 30, 2019
हालांकि आयकर विभाग का कहना है कि इस मामले में जो भी कार्रवाई की गई है वह नियमों के मुताबिक ही की गई है. विभाग के मुताबिक, सिद्धार्थ ने माइंडट्री के जो शेयर बेंचे थे उससे उन्हें 3200 करोड़ रुपये मिले थे, इस पर मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स के तहत 300 करोड़ रूपये की देनदारी बनती थी, लेकिन उन्होंने केवल 46 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में चुकाए. इस बारे में सच क्या है और किसका कहना सही है यह जानना इतना आसान नहीं है.
जानकार, इस पूरे प्रकरण को कारोबार और एजेंसियों की कार्रवाई में पारदर्शिता से भी जोड़कर देखते हैं. भारत में कारोबार करने में इतनी मुश्किलें हैं कि कई बार उद्यमियों को तमाम हेरफेर करने ही पड़ते हैं और आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों को बाद में इनकी वजह से उद्यमियों के खिलाफ कार्रवाई करने का मौका मिल जाता है. इसमें नियमों की तमाम पेचीदीगियां भी कई तरह से उनके काम आती हैं.
हालांकि फिलहाल कर अधिकारियों की सख्ती की एक वजह और हो सकती है. नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या जैसे उद्यमी जब बैंकों के कर्ज लेकर विदेश भाग गए तो सरकार को इन मामलों में खासी किरकरी का सामना करना पड़ा था. उसके बाद से आयकर अधिकारियों और बैंकों को सख्ती करने के निर्देश दिए गये हैं. ऐसे में यह सख्ती बुरी है, ऐसा नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि बैंकों का कर्ज डूबने या टैक्स चोरी के मामले सामने आने के बाद सरकार को ही तरह-तरह की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है. लेकिन, ज्यादातर उद्यमियों और जानकारों का मानना है कि यह सख्ती इतनी और ऐसी नहीं होनी चाहिए कि कारोबार और कारोबारियों की जान पर बन आए.
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