सुबह से मीडिया में खबर है कि मोदी सरकार ने धारा 370 (संविधान का अनुच्छेद 370) को खत्म कर दिया है. लेकिन यह इतना सीधा मामला नहीं है. असल में धारा 370 को नहीं हटाया गया है. उसे इतनी आसानी से हटाया भी नहीं जा सकता. बल्कि उसकी ही ताकत का इस्तेमाल करके भारत के संविधान को पूरी तरह से जम्मू और कश्मीर पर लागू कर दिया गया है. इस वजह से आर्टिकल 370 के ज्यादातर प्रावधान अप्रभावी और राज्य को मिले विशेषाधिकार खत्म हो गये हैं. लेकिन वह अभी भी संविधान का हिस्सा बना हुआ है. इसे ठीक से समझने के लिए आर्टिकल 370 को ही अच्छे से समझना जरूरी है.

26 अक्टूबर 1947 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के साथ ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर टू इंडिया’ साइन किया था. इसके मुताबिक राज्य से जुड़े केवल तीन मसलों पर केंद्र का नियंत्रण होना था - रक्षा, विदेश और संचार. उस समय भारत सरकार ने वादा किया था कि कश्मीर के लोग एक संविधान सभा के जरिये खुद अपना संविधान बनाएंगे और उसके जरिये इस बात का निर्णय लेंगे कि भारत का राज्य पर कितना अधिकार होगा. अपने इस वादे को निभाने के लिए भारत ने अपने संविधान में आर्टिकल 370 जोड़ा जो इन प्रावधानों के साथ 17 नवंबर 1952 से लागू हो गया:

1- आर्टिकल 238 के प्रावधान जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होंगे.

आर्टिकल 238 पार्ट बी स्टेट्स से संबंधित था. पार्ट बी स्टेट्स वे राज्य थे जिनका भारत में विलय हुआ था. 1952 में धारा 370 के जरिये कश्मीर को इन राज्यों से अलग कर दिया गया. इसके बाद सातवें संविधान संशोधन के जरिये 1956 में आर्टिकल 238 को भी खत्म कर दिया गया. इस तरह से सिर्फ जम्मू और कश्मीर को छोड़कर बाकी पार्ट बी राज्य पूरी तरह से भारत का हिस्सा बन गये.

2- जम्मू और कश्मीर के मामले में भारतीय संसद केवल इन मसलों पर ही कानून बना सकती है:

a- संघ सूची (यूनियन लिस्ट) और समवर्ती सूची (कॉन्करेंट लिस्ट) के सिर्फ उन विषयों पर जो ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन’ में शामिल हैं. इन विषयों की घोषणा राज्य सरकार से विचार करने के बाद राष्ट्रपति करेंगे. इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन में रक्षा, विदेश, संचार और आनुषंगिक मसलों को शामिल किया गया है.

b- संघ सूची और समवर्ती सूची से जुड़े ऐसे मसले जिन पर राज्य सरकार की सहमति हो.

3- भारत को राज्यों और क्षेत्रों का संघ घोषित करने वाले आर्टिकल 1 और आर्टिकल 370 के प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होंगे.

इसका सीधा सा मतलब यह था कि धारा 370 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होगा.

4- इसके अलावा संविधान के अन्य प्रावधानों को राज्य पर केवल उन छूटों और बदलावों के साथ लागू किया जा सकता है जिन पर राज्य सरकार की सहमति ले ली गई हो.

5- भारत के राष्ट्रपति धारा धारा 370 को खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं या उसमें बदलाव कर सकते हैं. लेकिन ऐसा करने के लिए राज्य की संविधान सभा की सिफारिश जरूरी है.

आर्टिकल 370 के मुताबिक ही यह कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संविधान का आर्टिकल 1 भी लागू है और इसके बाकी प्रावधानों को भी लागू किया जा सकता है. भारत सरकार ने इस वक्त यही किया है. उसने राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिये भारतीय संविधान को पूरी तरह से जम्मू और कश्मीर पर लागू कर दिया है.

धारा 370 के अस्तित्व में आने के बाद भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर ने दिल्ली में एक समझौते - दिल्ली एग्रीमेंट - पर हस्ताक्षर किये. इसके बाद राष्ट्रपति ने इस समझौते और आर्टिकल 370 के आधार पर एक आदेश जारी किया जिसका शीर्षक था - कंस्टीट्यूशन (एप्लीकेशन टू जम्मू एंड कश्मीर) ऑर्डर 1954. यह एक बुनियादी आदेश था जो यह बताता था कि भारत के कितने और कैसे अधिकार जम्मू-कश्मीर के ऊपर रहेंगे. इसमें समय-समय पर कई संशोधन किये जाते रहे. लेकिन फिर भी केंद्र को इस राज्य की सीमाओं, नाम आदि को बदलने का अधिकार नहीं दिया गया. इसके अलावा राज्य का अपना संविधान भी बना रहा जिसे केंद्र सरकार खत्म नहीं कर सकती थी. यहां पर विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों का शासन लागू करने का प्रावधान रहा. इसके अलावा यहां के मूल निवासियों को आर्टिकल 35 ए की वजह से कुछ ऐसे मूल और विशेष अधिकार भी मिलते रहे जो दूसरे राज्यों में नहीं हैं. इनमें संपत्ति का अधिकार भी शामिल है. जम्मू और कश्मीर का हाई कोर्ट भी सिर्फ मूलभूत अधिकारों के मामले में ही कोई आदेश दे सकता था. और जम्मू-कश्मीर इकलौता राज्य है जहां से पाकिस्तान जाकर बसने वाले कभी भी यहां लौटकर वापस आ सकते थे.

अब मोदी सरकार ने एक नये कंस्टीट्यूशन (एप्लीकेशन टू जम्मू एंड कश्मीर) ऑर्डर 2019 के जरिये भारतीय संविधान को पूरी तरह से जम्मू और कश्मीर पर लागू कर दिया है. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा और इसके लोगों को मिले विशेष अधिकार खत्म हो गये हैं. इनमें आर्टिकल 35 (ए) भी शामिल है. इस आदेश के बाद केंद्र जम्मू-कश्मीर की सीमाओं में भी बदलाव कर सकता है जोकि वह करने भी जा रहा है.

हालांकि इस बारे में स्थिति उतनी साफ नहीं है और ऐसा करना अब बिलकुल आसान नहीं होगा लेकिन राष्ट्रपति के एक नये आदेश के जरिये स्थिति को फिर से पलटा भी जा सकता है. ऐसा न हो इसके लिए धारा 370 को पूरी तरह से खत्म करना होगा. लेकिन ऐसा हो पाना बेहद जटिल और मुश्किल है.