दिल्ली से सटे गुरुग्राम को भारत की मिलेनियम सिटी कहा जाता है. यह चमचमाता शहर आज सैकड़ों आईटी कंपनियों और उद्योगों का घर है. लेकिन दमघोंटू प्रदूषण की वजह से बीमार हो रहे तमाम लोग भी इसी शहर का सच हैं.
गुरुग्राम वायु प्रदूषण के शिकार शहरों की सूची में सबसे ऊपर है. साल 2018 में प्रदूषण पर नज़र रखने वाली संस्था आईक्यू-एयर और ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट में इसे दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था. इस सर्वे में यहां की हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के मानकों से 17 गुना अधिक प्रदूषित पाई गई. इस पूरे साल गुरुग्राम में केवल तीन दिन ही ऐसे रहे जब प्रदूषण इतना कम था कि हवा को सांस लेने लायक कहा जा सके.
हमने हरियाणा के विधानसभा चुनाव से पहले गुरुग्राम जाकर वहां के नेताओं और जनता से बात करने की कोशिश की. इस दौरान हवा की बदहाली की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रही चोट और उनकी चिंता हमें साफ दिखी. लेकिन यह भी दिखा कि यहां की राजनीति की चिंताओं में यह दूर-दूर तक शामिल नहीं है.
‘मेरे पिता वायु प्रदूषण के शिकार लोगों का जीता-जागता उदाहरण हैं. उनका अस्थमा बिगड़ता ही जा रहा है. यहां छोटे छोटे बच्चों को भी सांस की दिक्कत है. ख़राब हवा ने जीना मुहाल किया हुआ है’ गुरुग्राम में रहने वाली 29 साल की नविका कहती हैं.

लेकिन जब लोगों से यह पूछा जाए कि क्या वे वोट डालते समय वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों को भी अपने दिमाग में रखेंगे तो इसका कोई संतोषजनक जवाब आपको नहीं मिलता. वैसे अगर ऐसा होता तो नेताओं के भाषण और पार्टियों का प्रचार इन मुद्दों पर भी केंद्रित हो सकता थाे. लेकिन उनका सारा प्रचार राष्ट्रीय सुरक्षा, एनआरसी, धारा 370 और ‘देशभक्ति’ जैसे मुद्दों के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है.
भिवानी से भाजपा उम्मीदवार सोनाली फोगट ने अपनी एक चुनावी सभा में कहा कि जो लोग भारत माता की जय नहीं बोल सकते उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिये. इसे लेकर काफी विवाद हुआ और बाद में उन्होंने अपने बयान को वापस ले लिया. लेकिन इससे पूरी बहस जिस दिशा में मुड़ी उसका हरियाणा की जनता से क्या लेना-देना है? गुरुग्राम की ही 48 साल की दुर्गा देवी कहती हैं, ‘जब उन्हें (नेताओं को) हमारा वोट चाहिये होता है तो वो हमारे पास आकर कई वादे करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद कोई नहीं दिखता. मुझे लगता है कि इस बार मैं वोट ही न डालूं.’
दुनिया भर के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की लिस्ट में भारत छाया हुआ है. इस लिस्ट में सबसे ऊपर के 20 शहरों में 15 भारत के हैं. इस साल की शुरुआत में भारत ने एक नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी)की शुरुआत की थी. जुलाई आते-आते इस प्रोग्राम के तहत ऐसे 122 शहरों को चुना गया जिनकी हवा साफ करने के लिये कदम उठाये जायेंगे. हैरानी की बात है कि इस सूची में हरियाणा के किसी भी शहर को शामिल नहीं किया.
हालांकि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) का कहना है कि उसने अब एनसीएपी की तर्ज पर एक क्लीन एयर प्रोग्राम बनाया है जो सख़्ती से लागू किया जायेगा. ‘जो क्लीन एयर प्रोग्राम हमने बनाया है उसमें प्रदूषण रोकने के लिये निर्माण कार्य और सड़क में उड़ने वाली धूल को रोकने के लिये कड़े कदम हैं. हमने इसके अतिरिक्त उद्योगों से हो रहे प्रदूषण, बायोमास और दूसरे कारकों को रोकने की भी व्यवस्था की है’ एचएसपीसीबी के रीज़नल ऑफिसर कुलदीप सिंह कहते हैं.

रियल ऐस्टेट के साथ-साथ गुरुग्राम में प्रदूषण की एक बड़ी वजह हैं डीज़ल जेनरेटर सेट. यहां शॉपिंग मॉल और दफ्तरों से लेकर घरों तक में हर जगह आपको डीज़ल जेनरेटर दिखेंगे. साल 2017 में लगाई गई एक आरटीआई से पता चला कि शहर में 10,500 डीज़ल जेनरेटर सेट व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और रिहायशी अपार्टमेंट में बिजली के लिये चौबीसों घंटे चलते हैं. जानकारों का कहना है कि इतने जेनरेटर एक साथ चलने से जितना प्रदूषण होता है वह 50,000 ट्रकों से होने वाले प्रदूषण के बराबर है.
दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (सीएसई)ने 2018 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसके मुताबिक डीज़ल जेनरेटर पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर को गुरुग्राम में 30 फीसदी तक बढ़ा रहे हैं. ‘गुरुग्राम में सैकड़ों दर्जन सोसायटी हैं जहां कोई बिजली का कनेक्शन नहीं है. जब मैं सोसायटी कहता हूं तो ये कोई 20-30 घर वाले अपार्टमेंट नहीं हैं. किसी भी सोसायटी में 200 से कम घर नहीं हैं. इन सभी अपार्टमेंट्स में (डीज़ल) जेनरेटर दिन रात चलते रहते हैं जो कि प्रदूषण और सबके लिये दिक्कत की वजह हैं’ पर्यावरण कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा कहते हैं.
लेकिन जिम्मेदार लोग इस समस्या को उतनी गंभीरता से नहीं लेते यह कह पाना ज्यादा मुश्किल नहीं है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर अक्टूबर का दूसरा हफ्ता खत्म होते-होते फिर बढ़ गया है. किसानों द्वारा पुवाल जलाने से हवा की गुणवत्ता और खराब हुई है. थोड़े दिनों बाद दीवाली में आतिशबाज़ी के कारण भी प्रदूषण बढ़ना तय है. प्रदूषण की रोकथाम और उस पर नियंत्रण रखने वाली कमेटी ईपीसीए ने डीज़ल जेनरेटरों के इस्तेमाल पर 15 अक्टूबर से रोक लगा दी है. लेकिन हरियाणा सरकार का कहना है कि एयर क्वालिटी ‘बहुत ख़राब’ या ‘अति हानिकारक’ होने पर ही जेनरेटर रुकेंगे.
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. गुरुग्राम लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल नौ विधानसभायें आती हैं और यहां कुल 23 लाख मतदाता हैं. भाजपा पिछले पांच सालों से यहां की सत्ता में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कुछ समय से लगातार पर्यावरण को लेकर अपनी चिंता जताते रहे हैं. लेकिन गुरुग्राम के मौजूदा विधायक उमेश अग्रवाल कहते हैं कि मिलेनियम सिटी में कोई प्रदूषण नहीं है. प्रदूषण का हौव्वा मीडिया और एनजीओ का खड़ा किया हुआ है.
‘गुरुग्राम में प्रदूषण की ख़बरें सही नहीं हैं. मुझे नहीं पता किस आधार पर यह कहा जा रहा है कि गुरुग्राम इतना प्रदूषित है. मैं तो इस शहर में बचपन से रह रहा हूं. मुझे यहां कोई प्रदूषण नहीं लगता’ विधायक अग्रवाल कहते हैं.

दूसरी ओर अरावली में लगातार हो रहे खनन ने पश्चिम से आने वाली धूल को बढ़ा दिया है. अरावली की पहाड़ियां और हरियाली धूल भरी आंधियों के सामने एक दीवार का काम करती हैं लेकिन अब यह दीवार ढह रही है. पर्यावरण कार्यकर्ता चेतन अग्रवाल कहते हैं, ‘गुरुग्राम, फरीदाबाद और दिल्ली में मिलाकर अरावली कुल 50-60 हजार एकड़ में फैली है. इसमें लाखों पेड़ हैं जो इस क्षेत्र के लिये एक विशाल हरित फेफड़े की तरह है. अगर अरावली न होती तो एयर क्वालिटी निश्चित ही और ख़राब होती.’
आज कई पर्यावरण कार्यकर्ता अरावली को संरक्षित ज़ोन घोषित करने की मांग कर रहे हैं. उधर नेताओं और सरकार की बेरुखी के बीच गुड़गांव के कुछ जागरूक लोगों ने भी हरियाली को बचाने की मुहिम शुरू की है. यह उम्मीद की एक किरण तो है लेकिन संकट जिस तरह का और जितना बड़ा है उस लिहाज से काफी नहीं लगती है.
(हृदयेश जोशी पर्यावरण से जुड़े विषयों पर लिखते हैं.)
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