ट्विटर ने अपने प्लेटफार्म पर राजनैतिक सामग्री के प्रचार पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया है. कंपनी ने यह फैसला राजनेताओं के बारे में सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं डाले जाने के बाद हुई आलोचना के मद्देनजर लिया है. लेकिन, फेसबुक ने राजनीतिक विज्ञापनों को उम्मीदवार तथा लॉबिंग समूहों की आवाज के लिये जरूरी बताते हुए अपने प्लेटफॉर्म पर इस तरह के विज्ञापनों को बंद करने से इनकार कर दिया है.
ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैक डोरसे ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि ‘मशीन लर्निंग’ तकनीक से गलत सूचनाओं को रोक पाने में समस्या आने की वजह से यह निर्णय लिया गया है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि हालांकि इंटरनेट द्वारा प्रचार शक्तिशाली माध्यम है, लेकिन इस शक्ति से राजनीति को खतरा है जहां इसका इस्तेमाल वोट और करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है. जैक डोरसे ने कहा कि नई नीति के विस्तृत विवरण का अगले महीने तक खुलासा किया जाएगा और इसे 22 नवंबर से लागू कर दिया जाएगा. इसके तहत ट्विटर पर राजनैतिक उम्मीदवारों और राजनीतिक मुद्दों के प्रचार पर पाबंदी होगी.
We’ve made the decision to stop all political advertising on Twitter globally. We believe political message reach should be earned, not bought. Why? A few reasons…🧵
— jack 🌍🌏🌎 (@jack) October 30, 2019
उधर, फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग ने निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि एक लोकतंत्र में नेताओं या खबरों पर रोक लगाना निजी कंपनियों के लिये ठीक है. हमने पहले भी इस बात पर विचार किया है कि हमें ऐसे विज्ञापन चलाने चाहिये या नहीं और हम आगे भी इसपर विचार करते रहेंगे. अभी के हिसाब से हमने इसे जारी रखने का निर्णय लिया है.’ उन्होंने गूगल, यूट्यूब, केबल नेटवर्क और टेलीविजन चैनलों का जिक्र करते हुए कहा कि ये सब अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसे विज्ञापन चलाते हैं.
जुकरबर्ग ने कहा कि कंपनी ने इन विज्ञापनों को राजस्व के कारण जारी रखने का फैसला नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक विज्ञापन अगले साल कंपनी के राजस्व में 0.50 प्रतिशत से भी कम योगदान देंगे. यह फैसला इसलिये लिया गया है कि ये विज्ञापन उम्मीदवारों व लॉबिंग समूहों की महत्वपूर्ण आवाज हैं.
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