नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं से घिरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में किसी भी तरह का कोई डिटेंशन सेंटर होने की बात को खारिज किया है. कल दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई एक रैली में उन्होंने कहा, ‘जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, जिनके पुरखे मां भारती की संतान हैं. भाइयों और बहनों, उनसे नागरिकता कानून और एनआरसी दोनों का कोई लेना देना नहीं है. देश के मुसलमानों को ना डिटेंशन सेंटर में भेजा जा रहा है, ना हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तरह की बातों को सफेद झूठ बताया. उन्होंने कहा, कांग्रेस और उसके साथी शहरों में रहने वाले कुछ पढ़े लिखे अर्बन नक्सल अफवाह फैला रहे हैं कि सारे मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा. पढ़े-लिखे लोग भी डिटेंशन सेंटर के बारे में पूछ रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट देखी- जिसमें मीडिया के लोग पूछ रहे थे कि डिटेंशन सेंटर कहां है, लेकिन किसी को पता नहीं.’ उनका आगे कहना था, ‘अब भी जो भ्रम में हैं, उन्हें कहूंगा कि जो डिटेंशन सेंटर की अफवाहें हैं, वो सब नापाक इरादों से भरी पड़ी हैं. यह झूठ है, झूठ है, झूठ है.

उधर, कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए कहा है कि उल्टे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोल रहे हैं. एक ट्वीट में उसका कहना था, ‘क्या पीएम ये समझते हैं कि लोग उनके झूठ की वास्तविकता जानने के लिए गूगल सर्च भी नहीं कर सकते?’

सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा एक-दूसरे को झूठा बताए जाने के बीच सच क्या है? क्या देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं? या फिर विपक्ष सच कह रहा है?

अलग-अलग प्रकाशनों ने कई जमीनी रिपोर्ट्स की हैं जिनमें दावा किया गया है कि ये डिटेंशन सेंटर हैं और इनके बनने की प्रक्रिया भी चल रही है. द क्विंट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार असम में गुवाहाटी से 22 किलोमीटर दूर भारत के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया में है. असम के गोलपाड़ा जिले के मटिया में स्थित इस डिटेंशन सेंटर में 3,000 बंदियों को रखा जा सकता है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि असम में अभी तक छह डिटेंशन सेंटर मौजूद हैं. द इंडियन एक्सप्रेस ने भी गोलपाड़ा में बन रहे इस डिटेंशन सेंटर पर रिपोर्ट की है. बीते सितंबर की इस रिपोर्ट के मुताबिक यहां एक अस्पताल, प्राइमरी स्कूल और जल आपूर्ति की एक अलग व्यवस्था भी बनाई जानी है जिसके लिए काम जोरों पर है.

इसी तरह बीबीसी ने भी असम के ही कोकराझार जिले में मौजूद एक डिटेंशन सेंटर पर एक रिपोर्ट की है. इसके मुताबिक बीते जुलाई में असम सरकार ने विधानसभा में डिटेंशन सेंटरों में हुई 25 मौतों की जानकारी भी दी थी. मरने वालों में डेढ़ महीने का एक बच्चा भी शामिल है. संसदीय राज्य मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने इन सभी 25 मौतों के लिए बीमारियों को दोषी ठहराया. बीबीसी की ही एक अन्य रिपोर्ट में असम की सिलचर सेन्ट्रल जेल में बने डिटेंशन कैंप का जिक्र है. इसके मुताबिक यहां 35 x 25 फीट के कमरे में करीब 35 लोगों को रखा जाता है. राज्य सरकार के मुताबिक असम के कुल छह डिटेंशन सेंटरों में करीब 1000 लोग हैं.

इसके अलावा इसी साल जुलाई में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया था कि डिटेंशन सेंटरों के संबंध में केंद्र ने राज्यों को निर्देश भेजे हैं. उसका कहना था कि अवैध प्रवासियों को पहचानने, हिरासत में रखने और उन्हें प्रत्यर्पित करने के केंद्र के अधिकार को संविधान के तहत राज्यों को हस्तांतरित किया गया है. उसके मुताबिक राष्ट्रीयता की पहचान और उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने तक राज्यों को अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटरों में रखा जाना चाहिए.